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अधिकार

hindi articles, stories and books related to adhikar


शिक्षा का अधिकार या मजाक रौनक रोज की तरह स्कूल ना जाने की जिद्द पर अड़ा था और उसकी माँ बिमला उसे पीट पीट कर स्कूल छोड़ने की जिद्द पर अड़ी थी दोनों का चीख चीहाड़ा अब पड़ोसियों के लिए भी रोज सुबह का सिरदर्द बनता जा रहा था।पड़ोसी शर्मा जी रौनक

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फिल्म अधीर से सुहाग की रात आयी सजनी गीत पहारी सान्याल द्वारा गाया जाता है, इसका संगीत तिमिर बरन द्वारा रचित है और गीत मुंशी अरजू और रशीद द्वारा लिखे गए हैं।अधिकार (Adhikar )सुहाग की रात आयी सजनीआँगन में तोरा चाँद हँसत हैआँगन में तोरा चाँद हँसत हैपवन रचत मधु बाईं सजनीपवन रचत मधु बाईं सजनीकाहे भरे तोर

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'अधीकर' 1 9 38 की हिंदी फिल्म है जिसमें जमुना, फारी सान्याल, मेनका देवी, बरुआ, पंकज मुलिक, जगदीश सेठी, पीसी बरुआ, राजलक्ष्मी और विक्रम कपूर प्रमुख भूमिका निभाते हैं। हमारे पास एक गीत गीत और अधिकारी का एक वीडियो गीत है। तिमिर बरन ने अपना संगीत बना लिया है। पहारी सान्याल ने इन गीतों को गाया है, जबकि म

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Kamata Hoon Bahut Kuch Par song belongs to the Mohan Sehgal's film Adhikaar starring Kishore Kumar, Neeru, Usha Kiran and Radha Kishan. Kamata Hoon Bahut Kuch Par Lyrics are penned by Raja Mehdi Ali Khan while this track is sung by Kishore Kumar and Geeta Dutt.अधिकार (Adhikaar )कमाता हूँ बहुत कुछ पर

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अध्याकार से एक धारती है एक है गगन गीत: यह मीना कपूर द्वारा अविनाश व्यास द्वारा अच्छी तरह से तैयार संगीत के साथ एक बहुत अच्छा गाया गया गीत है। गीत के गीत खूबसूरती से नीलेकांत तिवारी द्वारा लिखे गए हैं।अधिकार (Adhikaar )एक धरती है एक है गगनएक मन मेरा एक है लगनजितने अम्बर में हैं तारेजितने अम्बर में है

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'अधिकाकर' 1 9 54 की हिंदी फिल्म है जिसमें मुख्य भूमिका में किशोर कुमार, नीरू, उषा किरण, राधा किशन, बलम और बेबी शशी हैं। हमारे पास 2 गीत गीत और अधिकाकार के 2 वीडियो गाने हैं। अविनाश व्यास ने अपना संगीत बना लिया है। किशोर कुमार, गीता दत्त और मीना कपूर ने इन गीतों को गाया है, जबकि राजा मेहदी अली खान और

अपना 'कर्तव्य' देखें, 'अधिकार' नहीं! सदभावी मानव बन्धुओं ! आजकल सर्वत्र यही देखा जा रहा है कि सभी कर्मचारी, अधिकारी, सामाजिक संस्थायें, राजनीतिक नेता गण आदि आदि प्राय: सभी के सभी ही अपने अधिकारों के माँग में

 पसीने से अमोल मोती देखे हैं कहीं ?कल देखा उन मोतियों को मैंनेबेज़ार ढुलकते लुढ़कतेमुन्नार की चाय की चुस्कियों का स्वादऔर इन नमकीन जज़्बातों का स्वादक्या कहा ....बकवास करती हूँ मैं !कोई तुलना है इनकी ! सड़कों पर अपने इन मोतियों की कीमतमेहनतकशी की इज़्ज़त ही तो मांगी है इन्होंनेसखियों की गोद में एक झपकी ले

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