shabd-logo

अधुरी

21 सितम्बर 2021

22 बार देखा गया 22

कौन हो तुम,

क्या वज़ूद तेरा,

धिक्कार है तुझ पर ,

तेरे अपने ही तुझे नकारे

तुझ पर थुके,

और तुम उसी जमीं पर पड़े हुए थुक को

चंदन की तरह सिर पर लगाते हो ! 

____रीना झा!

रीना झा की अन्य किताबें

1
रचनाएँ
अधुरी
0.0
मैं विचलित , मेरा मन विचलित, कैसे संभालू खुद को, मेरी जिंदगी एक सुनसान सड़क जहां किसी का आना ,जाना वर्जित!

किताब पढ़िए

लेख पढ़िए