नन्ही सुमन चित्रकला मे बहुत माहिर थी। बहुत सुंदर सुंदर चित्र बनाती थी ।जब मां लोगों के घरों मे काम करने जाती तो पीछे से सुमन अपनी स्लेट बत्ती लेती और चित्र उकेरने लगती थी। क्या सिनरी, क्या पक्षी, क्या लोगों के स्केच । बहुत ही अच्छे तरीके से बनाती थी।बस हर बार जब भी मां उससे अपने लिए कुछ लेने के लिए बोलती तो वह बस यही कहती "मां मेरे चित्रों मे रंग भर दो।मतलब मुझे चित्रों को बनाने के लिए कागज ,कलर दिला दो।" बेचारी बिमला दो चार घरों का काम करती थी ।उसी मे छह जनों का पेट पालना होता था।सुमन से छोटे तीन भाई बहन थे उसके ।जब मां काम पर जाती थी तो सुमन ही सब की बोस बन जाती थी किसी भाई से स्लेट धोने को बोलती तो अपने से छोटी बहन को उसे धूप मे सुखाने के लिए बोलती।बदले मे उनके मुंह की हूबहू तस्वीर उतार देती थी।छोटे भाई बहन अपनी ही तस्वीर देख कर खूब तालियां बजाते।यही सुमन के लिए बहुत बड़ा पारितोषिक होता।बीच बीच मे सुमन बूढ़ी दादी को भी चाय पानी दे आती थी।बिमला जानती थी कि उसकी बेटी मे भगवान ने हुनर दिया।पर वह लाचार थी।
सुमन ने एक दिन गली मे पड़े कागज पर एक छोटी सी पेंसिल से एक पेंटिंग बनाई जिसमे उसके साथ उसके भाई बहन और मां ओर दादी खड़े थे । पिता की जगह उसने प्रश्न चिन्ह लगा दिया था। क्यों कि वह बहुत छोटी सी थी उसे अच्छे से याद भी नही है जब उसकी सबसे छोटी बहन हुई थी तो उसके पापा की मां से बहुत जोर से लड़ाई हुई थी और पिता घर छोड़ कर चले गये थे।उसके बाद उसने अपनी मां को ही उस गृहस्थी के लिए पीसते देखा था।
एक दिन मां की तबीयत ठीक नही थी । बेचारी सुमन को ही घरों मे काम करने जाना पड़ा ।वह छोटी थी जैसा उससे बना उसने वैसा काम कर दिया ।सबसे आखिरी घर मे वह काम करने गयी तो उसने दरवाजा खटखटाया । अंदर से मिसेज चटर्जी बाहर आयी ।उसे देखकर वे बोली,"तुम्हारा नाम सुमन है ना ।"
सुमन ने हां मे सिर हिलाया।तभी मिसेज चटर्जी बोली,"आज क्या हुआ बिमला को वह नही आयी। चलों कोई नहीं मुझे उसने बताया था कि तुम पेंटिंग करती हो । मुझे आज ही एक थीम पर पेंटिंग बना कर प्रदर्शनी मे लगानी है तुम बनाना चाहोगी।"
अंधे को क्या चाहिए दो नैन वाली बात हो गयी ।सुमन तो रंगों से खेलने के लिए बेताब थी। मिसेज चटर्जी उसे अपने पेंटिंग रुम मे ले गयी और उसे कहा,"तुम काम को रहने दो आज बस आज मेरे लिए जो मै विषय दूंगी उस पर पेंटिंग बना देना।"
सुमन जी जान से जुट गयी । तकरीबन दो घंटे की मेहनत के बाद सुमन ने जो पेंटिंग बनाई उसको देखकर मिसेज चटर्जी जैसे पागल सी हो गयीऔर जोर जोर से चिल्लाने लगी"यही पेंटिंग फर्स्ट आयेगी।"
सुमन को कुछ समझ नही आया वह पेंटिंग बना कर घर चली आयी। मां ने पूछा ,"इतनी देर कहां थी ।"तो सुमन ने सारी बात बता दी।सुमन थक कर सो गयी थी तभी मिसेज चटर्जी का फोन आया बिमला के पास,"सुनो तुम कल सुमन को लेकर प्रदर्शनी हाल पहुंच जाना। मुझे लगता है सुमन की बनाई पेंटिंग ही फर्स्ट आयेगी। यह कहकर उन्होंने फोन काट दिया।अगले दिन जब बिमला सुमन को लेकर वहां पहुंची तो इनाम घोषित हो रहे थे सुमन की बनाई पेंटिंग को फर्स्ट प्राइज मिला था पूरे पांच लाख का।सुमन और बिमला को स्टेज पर बुलाया गया । चारों तरफ तालियों की गड़गड़ाहट हो रही थी बड़े बड़े टीवी एंकर बिमला और सुमन का इंटरव्यू लेना चाहते थे।पर वे दोनों बोल ही नही पा रही थी।उनकी जगह मिसेज चटर्जी ही जवाब दे रही थी।इनाम लेकर जब बिमला औय सुमन घर पहुंची तो अपने पति को दरवाजे पर खड़े पाया। बिमला की आंखों मे आंसू थे उसका पति भी माफियां मांग रहा था और आइंदा ऐसे ना करने की कसम खा रहा था ।आज सुमन की वो अधूरी पेंटिंग पूरी हो गयी थी।रात को उस पेंटिंग मे सुमन अपने पिता का चेहरा उकेर रही थी।