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वो लड़की

27 मई 2022

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बात कहां से शुरू करू कुछ समझ नही आ रहा ।आजकल मेरे साथ क्या हो रहा है।"जुबिन अपने दोस्त पंकज से बतिया रहा था। दोनों का लंच टाइम हुआ था दोनों ही अपने केबिन से निकल कर कैंटीन मे बैठे बात कर रहे थे।पंकज ने टिफिन खोलते हुए कहा,"क्यों क्या है गया है तुम्हें।मै भी काफी दिनों से देख रहा हूं तुम बुझे बुझे से रहते हो।"
जुबिन पंकज की तरफ पनीली आंखों से देखते हुए बोला,"यार मुझे अच्छे से याद है मेरा नौकरी ज्वाइन करने का पहला दिन था ।मै हड़बड़ी मे बस की ओर भाग रहा था क्योंकि कि आफिस को जाने वाली बस छूटने वाली थी।मै बड़ी मुश्किल से बस मे चढ़ा और आननफानन में जहां सीट मिली वही बैठ गया।जब सांसें नार्मल हुई तो मुझे बहुत ही प्यारी चमेली की सुगंध ने अपनी ओर खींचा।यह खुशबू मेरे बगल वाली सीट पर बैठी लड़की से आ रही थी जिसके बाल हवा मे उड़ उड़ कर मेरे मुंह पर आ रहे थे।वो कुछ उदास सी लग रही थी।जब उसने देखा कि उसके बाल मुझे परेशान कर रहे है तोवह मुझे देखते हुए बोली,"आय एम सारी।"सच मे पंकज जैसे ही उसने मेरी ओर देखा मै उसकी आंखों की गहराई मे खोता चला गया।वह नीले रंग के परिधान मे बला की खूबसूरत लग रही थी ।गुलाब की पंखुड़ियों से होंठ,करीने से संवरे बाल , दुधिया गुलाबी रंग। आसमान से उतरी अप्सरा जैसी लग रही थी।मै तो जैसे दीवाना हो गया था उसका।
मेरा बस स्टाप आ गया था ।मै जैसे ही नीचे उतरा वो भी दूसरे दरवाजे से नीचे उतर कर भीड़ मे खो गयी।मेरा पहला ही दिन आफिस का और मेरे साथ ये वाकया हो गया।मेरा उस दिन बिल्कुल भी मन नही लगा आफिस मे।मै घर आया तो बिना खाना खाये ही सो गया।सारी रात मुझे उस लड़की के ख्वाब आते रहे।सुबह मै फिर से उससे मिलने की आशा से जल्दी से तैयार हो गया और फटाफट जब बस स्टैंड पर आयी मै उसमे चढ़ गया और देख मुझे वही सीट दोबारा मिली जिस पर मै कल बैठा था।मैने अगल बगल मे देखा मुझे वो कही भी नही दिखी।मै निराश हो कर अपना मोबाइल निकालने ही वाला था कि पीछे से आवाज़ आयी,"एक्सक्यूज मी ।आप मेरी सीट पर है । मैंने पीछे मुड़कर देखा तो वही कल वाली लड़की खड़ी थी।आज पीले रंग मे फूलों वाली ड्रेस पहन कर आयी थी ।सच मे मेरे मुंह से हां ना कुछ नही निकला और मै खड़ा हो गया वह मुझे हल्का सा हटाकर खिड़की वाली सीट पर बैठ गयी।आज वो मुझे देखकर जरा मुसकुराई पर आंखों मे वही सूनापन दिख रहा था।मेरी हिम्मत बढ़ी तो मैंने उससे पूछ ही लिया ,"आप भी यही नौकरी करती है जहां मेरा बस स्टाप है।"वो होले से मुस्कुराते हुए बोली,"जी।मै भी आप के आफिस से आधा किलोमीटर दूर एक आफिस मे काम करती हूं।यह कहकर उसने अपने आफिस का पता मुझे बता दिया।उस दिन हमारी इतनी ही बात हुई।जब बस स्टॉप आया तो आज वो मेरे साथ ही स्टाप पर उतरी । थोड़ी देर मेरे साथ साथ चुपचाप चली फिर मैं अपने आफिस उसे बाय कह कर चला गया।इस तरह वो मुझे तकरीबन हररोज ही मिल जाती थी हमारी मुलाकात मे मुझे इतना पता चला कि उसका नाम स्नेहा है और वह जिस आफिस मे काम करती है उसमे काजल नाम की लड़की उसकी पक्की  दोस्त है।आफिस मे सभी उसके काम से खुश है और वह अपने मां बाप की इकलौती बेटी है।बस उसे अपने माता पिता की चिंता रहती है क्योंकि उसे पढाने के लिए उसके पापा ने बहुत कर्ज ले रखा है ।अगर वो ना चुकता हुआ तो क्या होगा।मै बार बार उसे ढांढस बंधाता हूं कि तुम चिंता मत करो सब ठीक हो जाएगा।कभी कभी आंखों मे पानी भर कर बोली ,"कभी ठीक नही होगा।"मै सोचता हो सकता है ज्यादा सोचती है स्नेहा तभी बार बार आंसू भर आते है उसकी आंखों मे। थोड़े दिनों बाद लगातार वो पांच दिन नही आयी बस मे।मेरी बेचैनी बढ़ने लगी ।घर का पता तो मै जानता नही था । आफिस का पता था लेकिन मै वहां जाकर उसके विषय मे पूछता तो उसके लिए बातें बनती। इसलिए मै चुप रहा।ऐसे ही छठे दिन मै उसी सीट पर बैठा उसका इंतजार कर रहा था तभी वह बदहवास सी बस मे चढ़ी और मेरी बगल वाली सीट पर आकर बैठ गयी।उसकी सांसें तेज चल रही थी। कपड़े भी थोड़े थोडे कयी जगह से फटे हुए थे।मैने उससे पूछा,"क्या हुआ?"वो बोली," कुछ नही ऐसे ही मवाली किस्म के लड़के थे मुझे छेड़ रहे थे।"आज वो बला की खूबसूरत लग रही थी ।कालू पटियाला सूट पर बाल खुले छोडे थे मैचिंग इयररिंग्स पहने थे।उसे देखकर मेरा ही मन मचल उठा था।तभी मैंने देखा उसका कुरता खून से भीगा हुआ है । मैंने उसे कहा,"तुम्हें तो चैट लगी है चलो मरहम पट्टी करा दूं ।"वो बोली,"नही इसकी कोई जरूरत नही है बस तुम एक काम कर सकते हो मै किसी काम से जा रही हूं।मेरे आफिस मे मेरे दराज मे एक लिफाफा पड़ा है ।तुम काजल से वो लिफाफा निकलवा कर इस पते पर दे आना ।उसने हाथ मे पकड़ा मुड़ा तुडा कागज मेरी ओर बढ़ा दिया ओर बस से नीचे उतर गयी।"जुबिन इतना कहकर रूक गया और जेब से वही कागज़ दिखाता हुआ बोला,"चल यार आज मही काम करते है।आफिस से एक घंटा पहले छुट्टी लेकर स्नेहा के आफिस से वो लिफाफा लेकर उसके दिए पते पर देकर आते है।"पंकज मान गया। दोनों शाम को चार बजे स्नेहा के आफिस पहुंचे और जब काजल नाम की लड़की का पता किया तो पता चला वह दो दिन से आफिस ही नहीं आ रही है।जैसे तैसे स्नेहा के दराज की चाबी काजल की अलमारी मे ढूंढी और स्नेहा के दराज से वो लिफाफा निकाला । बड़ा सारा लिफाफा था और भारी भी था। जुबिन को आफिस से ही पता चला दोनों सहेलियां तीन दिन से आफिस नही आयी है। जुबिन को लगा स्नेहा वास्तव मे ही कोई काम पर गयी है जो आफिस भी नही आयी।उसे तो वो लिफाफा स्नेहा के बताए पते पर पहुंचाना था।वे दोनों मोटरसाइकिल से उस पते पर पहुंचे । जुबिन ने जाकर डोर बेल बजाई।एक अधेड़ उम्र का आदमी बाहर निकला ओर पूछा,"हां जी क्या काम है।"
तभी जुबिन बोला,"अंकल ये स्नेहा ने भेजा है।"
इतना सुनते ही उस व्यक्ति को जैसे करंट लगा हो ऐसे पीछे मुड़ा और बोला,"क्या स्नेहा ने?"
जुबिन बोला,"हां अंकल आज वै सुबह मुझे बस मे मिली थी वो और मै अकसर एक साथ बस मे सफर करते है आज उसने मुझे ये कहा कि मै तो कही जा रही हूं तुम मेरे आफिस से ये लिफाफा लेकर इस पते पर दे आना।"
वह व्यक्ति फफक कर रो पड़ा । जुबिन बंगले झांकने लगा कि ऐसा मैनै क्या कह दिया जो उन्हें हर्ट हो गया।वो अ़कल उसका हाथ पकड़ कर अंदर ले गये। जुबिन जब अ़दर पहुंचा तो सामने की दीवार पर टंगी फोटो देखकर हक्का बक्का रह गया। क्यों कि उसकी स्नेहा की फोटो पर फूलमाला चढ़ी थी।तभी वो बूढ़े अंकल बोले"बेटा मुझे नहीं पता वो तुमसे कैसे मिली मेरी बिटिया कै मरे तै एक हफ्ता है गया।उस दिन काला पटियाला सूट पहनकर गयी थीं उसकी मां ने तो कहां था कि ला नजर का टीका लगा दूं आज तू बहुत सुंदर लग रही है ।पर वह पगली भी हंसते हुए बोली,"तुम भी ना मां।"ओर हम दोनों उसे जाते हुए देखते रहे।बाद मे पता चला कुछ मनचले लड़कों ने उसे घेर लिया और उसकी इज्जत लूटने की कोशिश करने लगे।वह अपने आप को बचाने के चक्कर मे एक पहाड़ी पर चढ़ गयी ओर वहां से उसका पैर फिसला ओर वो नीचे खाई मे गिर गयी।दो दिन बाद तो लाश मिली है हमें।"इतना कहकर स्नेहा के पिताजी चुप हो गये और जब जुबिन ने उन्हें लिफाफा दिया तो उसे खोलने पर दो दो हजार की तीन गड्डियां निकली जो शायद स्नेहा ने अलग से पैसे जोड़ कर इकठ्ठा किये थे।एक लड़की होकर भी स्नेहा ने एक बेटे जैसा काम कियाऔर जाते जाते भी पिता को कर्ज से मुक्ति दिला गयी।
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रचनाएँ
जज्बातों का काफिला
5.0
आओ जज्बातों के रोमांचक सफर पर चलें।
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खजाना

12 मई 2022
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मदन की नयी नयी नौकरी लगी थी ।एक छोटे से कस्बे मे।उसने दलाल से कह कर अपने लिए एक कमरा किराए पर लेने की बात की।छोटे कस्बों मे घरों के अंदर ही एक कमरा किराए पर दे दिया जाता है ऐसे ही एक दलाल ने मदन को यह

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अधूरी पेंटिंग

13 मई 2022
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नन्ही सुमन चित्रकला मे बहुत माहिर थी। बहुत सुंदर सुंदर चित्र बनाती थी ।जब मां लोगों के घरों मे काम करने जाती तो पीछे से सुमन अपनी स्लेट बत्ती लेती और चित्र उकेरने लगती थी। क्या सिनरी, क्या पक्षी, क्या

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मुखौटा

15 मई 2022
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हिया बहुत ही प्यारी और आज्ञाकारी बहू थी ।पांच साल शादी के हो गये थे दोनों सास बहू ऐसे रहती थी जैसे मां बेटी।हिया के चार साल की बेटी थी चारु ।सारे घर की लाड़ली। नितिन की तो परी थी चारु।सारा दिन दादा दा

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संस्कारी

16 मई 2022
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काफी देर से प्रकाश खिड़की मे बैठा उस सात आठ साल केे बच्चे को देख रहा था।वह रंग बिरंगी गोलियों के साथ खेल रहा था।कभी अपने से ही बोलता ,"कली या जूट"। फिर हंसता और कहता"पगले ये तो कली है।"प्रकाश काफी देर

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अपने अपने हिस्से का झरोखा

18 मई 2022
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वंदना आज बहुत थक गयी थी ।घर मे पार्टी जो थी ।वैसे उसे तो कुछ नही करना था पर एक हाई प्रोफाइल पार्टी मे सुंदर सुंदर ड्रेस पहन के हाय हैलो करने मे ही व्यक्ति थकान महसूस करने लगता है । वंदना के पति शहर के

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बिखरे मोती

19 मई 2022
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मीकू ओ मीकू ।जरा मेरी बेंत तो लाना।देख तेरी बूढ़ी दादी को दिखाई"मीकू नही दे रहा मेरा चश्मा भी ला ढूंढ कर।" सरला ने अपने पांच साल के पोते को आवाज दी।तभी मीकू दौड़ कर दादी का चश्मा ले आया।और चश्मा लाकर

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मुंह दिखाई

20 मई 2022
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मानव जाति मे एक गुण होता है वो दूसरों के दुःख को देख कर दुखी नही होते जितना दूसरों के सुख को देखकर होते है।ललिता ताई का यही हाल था । ललिता ताई एक ऐसी महिला थी मुहल्ले मे जिसके घर मे लड़ाई झगड़ा होता थ

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दो पाटन के बीच

22 मई 2022
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नारी का जीवन हमेशा से ही दो पाटों मे पिसता रहता है ।खासकर जब शादी करके ससुराल आती है तो जिंदगी बहुत इम्तिहान लेती है एक औरत के।रूचि अपने परिवार मे सब से समझदार लड़की थी उसके माता पिता हमेशा कहते थे कि

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इस हाथ दे ,उस हाथ ले

26 मई 2022
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शर्मा जी अपने बेटे मयंक के साथ प्लेटफार्म पर बैठे गाड़ी का इंतजार कर रहे थे । गाड़ी डेढ़ घंटे लेट थी ये बात उन्हें प्लेटफार्म पर आकर पता चली।सात साल का मयंक बड़ा उत्सुक था अपनी दादी के पास जाने के लिए

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वो लड़की

27 मई 2022
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बात कहां से शुरू करू कुछ समझ नही आ रहा ।आजकल मेरे साथ क्या हो रहा है।"जुबिन अपने दोस्त पंकज से बतिया रहा था। दोनों का लंच टाइम हुआ था दोनों ही अपने केबिन से निकल कर कैंटीन मे बैठे बात कर रहे थे।पंकज न

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सौ भाईयों की बहन

28 मई 2022
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आज संगीत बहुत खुश थी।आज उसका इकलौता भाई सेना की ट्रेनिंग पूरी करके लेफ्टिनेंट के पद पर आसीन होकर घर जो आ रहा था।तीन साल से बैंगलूरू मे रहकर ट्रेनिंग ले रहा था। इसलिए संगीत अपने भाई सुनील को राखी भी ना

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सर्वगुण संपन्न

28 मई 2022
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सीमा की सास आज सुबह से ही बड़बड़ कर रही थी,"हाय पता नही कैसी मनहूस हमारे पल्ले पड़ गयी है । कोई काम सही ढंग से नही करना आता ।बता मठरिया बनाने मे भी कोई मंतर पढ़ने थे क्या । मां ने कुछ सीखाया हो तो कुछ

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