कहते हैं बचपन से बढ़कर कुछ भी नहीं.... ये ही वो उम्र होतीं हैं जिसमें हम कोई बात दिल से नहीं लगाते... ना ही दिमाग में रखते हैं.. पर क्या ऐसा सबके साथ होता हैं...!!!!
शायद नहीं....।।।
मैं श्रेया....
आज मैं आपको एक ऐसे बच्चे से मिलवाने जा रही हूँ... जिसके बारे में शायद हम सबको जानना चाहिए...।
उसका नाम हैं.... मानव......
उम्र महज़ 7 साल..
एक मध्यम वर्गीय परिवार में जन्मा साधारण सा बच्चा...।
मैं मानव को बचपन से जानती थी........ अब आप सोचेंगे कैसे तो चलते हैं बीते हुए कल में....!!!!
तो आइये जानते हैं मानव की कहानी.....।।।
मानव......
कशिश मानव की मम्मी..... शादी के 12 साल बाद उसकी गोद में आया था मानव..... कशिश ने तो उम्मीद ही छोड़ दी थी.... पर कहते हैं ना जिसे आना हो वो बस आ ही जाता हैं....।
पुरा घर बहुत ही खुश था.... सब हर एक दिन इंतजार कर रहे थे की कब बच्चा उनकी गोद में आए.....
आखिरकार दिपावली की रात को मानव का जन्म हुआ....।
सबके चेहरे खुशी से खिल गए थे.... लेकिन ये खुशी बस कुछ पल की ही थी....।।। क्योंकि मानव के पैदा होते ही डाक्टर ने उसे आईसीयू में रख दिया....।
घरवालों के पुछने पर बताया गया की बच्चें की हालत बहुत गंभीर हैं....।
लेकिन ठीक से कोई कुछ बता ही नहीं रहा था....।
मैं भी उस वक़्त उस पुरी प्रकिया में शामिल थीं.... क्योंकि मैं ही आईसीयू में मानव की नर्स थी....।
नर्स थी तो सब जानती थी कि मानव के साथ क्या हुआ हैं.... लेकिन हमारी भी कुछ मजबुरीयां होतीं हैं जिसकी वजह से हम उस वक़्त किसी को कुछ भी बता नहीं रहे थे...।।। उस वक़्त हमने बस सबकों यही कहा था कि बच्चा थोड़ा कमजोर पैदा हुआ हैं इसलिए रखा गया हैं...। तीन दिन तक हमारी टीम और डाक्टर की टीम दिन रात मानव की कंडिशन को संभालने में लगी हुई थी... लेकिन कहीं से कोई उम्मीद नहीं दिख रहीं थी तो अंत में हमने मानव के पिताजी को सब कुछ बताने का निर्णय लिया....।
डाक्टर ने उनके पिताजी को अपने केबिन में बुलाया... मैं भी उस वक़्त वहाँ मौजूद थीं....।
डाक्टर:- आइये राकेश जी....।
राकेश:- क्या हुआ डाक्टर साहब...!!! सब ठीक तो हैं ना...??
डाक्टर:- आइ एम सारी .... पर बात अब हमारे हाथ में नहीं हैं... आपकी वाईफ की कंडिशन बिल्कुल भी ठीक नहीं हैं इसलिए हम अब तक चुप रहें... हमने अपनी तरफ से हर मुमकिन कोशिश करके देख ली.. पर....!!!
राकेश:- व्हाट..... ये क्या बकवास कर रहे हैं आप....।
डाक्टर:- ये ही सच हैं.... आपके बच्चे के जन्म के समय ही उसके दिमाग में पानी भर गया था... हमने एक छोटा सा आपरेशन किया था उस वक़्त... जिसकी हमने आपके पिताजी से परमिशन भी ली थी... क्योंकि उस वक़्त आप यहाँ नहीं थें...। उसके बाद हमने उसे आईसीयू में रखा था.... लेकिन उसकी हालत ठीक नहीं हो रहीं हैं...। अब फैसला आपके ऊपर हैं.... उसकी सांसे तब तक ही चलेंगी जब तक वो मशीनों पर हैं.... और मशीनों का रोज़ का खर्चा आपको पता ही हैं...। हमने आपके पिताजी को पुरी जानकारी दी हैं... और उन्होंने हमें बच्चे को मशीनों से हटाने का फैसला दिया हैं.... लेकिन हम एक बार फिर भी बच्चे के मां या पिता से अंतिम फैसला लेकर ही कोई डिसिजन लेते हैं.... इसलिए हम आपके आने का ही इंतजार कर रहे थे....।।। अब आप सोच लिजीए आपको क्या करना हैं...।
राकेश:-लेकिन सर कोई तो रास्ता होगा... कोई तो इलाज होगा....।
डाक्टर:- देखिए मुझे एक इमरजेंसी केस के लिए जाना हैं...। आपको आगे की पुरी जानकारी नर्स दे देगी और समझा भी देगी...।
डाक्टर ने मुझे कहा और मैने मानव के पिताजी को पुरी बात बताई... देखिए सर.... लाखों में कोई एक बच्चे के साथ ऐसा होता हैं....।।। आपके बच्चे के दिमाग में पानी भर गया था जिसकी वजह से उनका सिर फुल गया था... सर ने उसी वक़्त उनके दिमाग में एक बहुत ही महीन पाईप डालकर पानी तो निकाल दिया लेकिन ये पानी फिर से कभी भी भर सकता हैं... अभी वो मशीनों पर हैं... हमें एक आपरेशन और करना होगा जिससे हम उसके दिमाग में एक पाईप डालेंगे जो सीधे उनकी नाभी तक जाएगी जिससे दुबारा पानी भरने की समस्या तो खत्म हो जाएगी.... लेकिन इतने छोटे बच्चे का तुरंत दुबारा दिमाग का आपरेशन करने में खतरा हैं.... और उससे भी ज्यादा चिंता की बात ये हैं की ऐसे केस में अगर बच्चा बच भी जाता हैं तो वो स्पेशल चाइल्ड होता हैं.... मतलब उसके शरीर में दिमाग का विकास वैसा नहीं होता जैसा आम बच्चे का होता हैं..। ऐसा नहीं हैं की हमारे हास्पिटल में ऐसा केस पहली बार आया हैं पर जितने भी आए हैं हर किसी ने ऐसे बच्चे को मशीनों से हटा देने का ही फैसला लिया हैं.... क्योंकि कोई भी आपरेशन के बाद होने वाली सिचुएशन को संभालने के लिए तैयार नहीं था...।।।।
राकेश:- इसका मतलब जब तक वो मशीन पर हैं ठीक हैं.... आपरेशन के बाद स्पेशल चाइल्ड हो जाएगा..... ये कैसे हो सकता हैं....।
नहीं सर ऐसा नहीं हैं.... मशीनों पर भी उसकी कंडिशन ठीक नहीं हैं..... आपको बताया था डाक्टर ने..... लेकिन आप कब तक मशीनों पर रखेंगे.....।
राकेश:- मुझे तो कुछ समझ नहीं आ रहा आप क्या कह रहीं हैं...!!! आखिर हमें करना क्या चाहिए.... प्लीज सही से बताइये...।।।
देखिए सर बच्चे का दुबारा आपरेशन तो करना ही पड़ेगा लेकिन आपरेशन के बाद होने वाली सिचुएशन मैं आपको बता ही चुकी हूँ..... अभी आप सोच समझकर फैसला लिजीए...।
राकेश:- ठीक है.... मैं घर पर सलाह करके आपको बताता हूँ....।
बच्चे के पिता तो चले गए लेकिन मैं जानती थी की उनका फैसला क्या होगा.... एक स्पेशल चाइल्ड को संभालना बहुत ही मुश्किल और चुनोतियों भरा होता हैं....।।।।
लेकिन मानव के केस में मैं गलत साबित हुई....।।
अगले दिन उसके पिताजी आए और डाक्टर से कहा की वो आपरेशन के लिए तैयार हैं.... उसके बाद जो होगा हम संभाल लेंगे.... अगर कुदरत ने 12 सालों के बाद हमारी झोली भरी ही हैं तो हम उनके हर फैसलें को अपनाने के लिए तैयार हैं...।
उसी दिन जरुरी पेपर वर्क करके मानव का दुसरा आपरेशन किया गया....।।।। मैं आपरेशन थियेटर में उस हर एक पल की गवाह थीं....।।।।। तीन घंटे चले आपरेशन के बाद मानव को फिर से मशीनों पर रखा गया....। दो दिन तक ऐसे ही मानव को दवाइयों और मशीनों पर ही रखा गया... उसके शरीर में कोई मुमेंट नहीं होता था.... क्योंकि दवाइयों की वजह से वो बेहोशी की हालत में ही रहता था.... अगले 5 दिन ओर मानव ऐसे ही रहा.... आखिर कार एक दिन जब मैं उसे दवाइयों का डो़ज डाल रहीं थी तो अचानक उसके रोने की आवाज से पुरा वार्ड गुंजने लगा....।।।।।। सभी ने पहली बार मानव की आवाज सुनी थी...।।
दो दिन ओर मशीनों पर रखने के बाद आखिर कार मानव को डिस्चार्ज किया गया.... लेकिन उसकी दवाइयाँ शायद लंबे समय तक चलतीं रहें...।।।
शुरुआती कुछ सालों तक तो सब कुछ सही ही था.... लेकिन जैसा कि सबको पता था... वो सबके जैसा तो नहीं था....।।। समझता सबकुछ था लेकिन अपनी बातों को ठीक से बता नहीं सकता था...। उसकी आँखों में भी थोड़ा सा बदलाव था... सात साल की उम्र में भी उसे बोलने और चलने में कुछ दिक्कत होती थी...।।।
लेकिन कहते हैं ना ऐसे बच्चों को भगवान कुछ खास गुण भी जरुर देता हैं.... मानव पेंटिंग बहुत अच्छी करता था.... उसकी पेंटिंग के रंगों में उसकी मासुमियत और बचपना साफ़ झलकता था....।।।।। वो दुसरे बच्चों की तरहा उनके साथ ना ही खेल सकता था ना ही उनकी तरह बातें कर सकता था.... लेकिन वो हर रोज अपने परिवार के साथ बगीचे मे जाकर उनकों देखता था और वापस घर पर आकर उन्हें अपने अंदाज में रंगों में पिरौता था..।
मैं हास्पिटल के बाद से ही मानव के परिवार से जुड़ी हुई थी.... और मानव मेरे दिल के बहुत करीब हैं आज भी....।।।
कहते हैं बचपन सबके लिए खास होता हैं लेकिन कुछ बच्चे इस बचपन को अपने अलग ही अंदाज में बिताते हैं...।।।
कुछ बच्चे मानव जैसे होते हैं तो कुछ बच्चे ऐसे भी होतें हैं जो छोटी उम्र में ही घर परिवार की जिम्मेदारी उठाने के लिए मजदूरी करते हैं.... भीख मांगते हैं...।।।। हर किसी का बचपन सिर्फ खेलने कुदने और मस्ती के लिए ही नहीं होता....।।।।
कभी कभी ऐसे बच्चों को देखकर अक्सर ये ख्याल आता हैं..... कि जो भी हैं.... इसमें इनका क्या कसूर.... क्यूँ उन्हें इतनी छोटी उम्र में ऐसी जिंदगी जीनी पड़तीं हैं.... आखिर क्यूँ...!!!!!!!!