रह रह कर मुझे ये ख्याल आता रहा
पिछला गुजरा हुआ मुझे याद आता रहा।
गर जमाने को समय रहते हम समझ पाते
तो आज धोखों के झंझावतों में न उलझते।
जो भी आया वो हमसे खेल खेलता रहा
भोला भाला है कह कर हमें सालता रहा।
मासूमियत का मसीहा वह हमें कह गया
किसी और का दामन चुपके से वह थाम चला।।