आज सुना है मातृ दिवस है
पर सच पूछो तो 'मात्र' दिवस है।
ये इसलिए क्योंकि ;
एक दिन स्टेटस अपडेट करने से
एक दिन भगवान की तरह पूजने से
एक दिन अपनी स्वर्गीय माँ को याद करने से
एक दिन को माँ के लिए समर्पित कर देने से
ये दिन खास नहीं होने वाला।
मेरी भावना गर तुम जानना चाहते हो
तो ये भी एक मात्र दिवस ही है।
अफसोस!
कितना दिखावटी हो गया है
आज का इंसान।
जानवरों से भी बदतर
भाव शून्य
क्या सिद्ध करना चाहता है
ये इंसान?
यही कि इन सब दिखावों को करके
वह छुपा लेगा अपने उन सब कृत्यों को
जो अविराम ढ़हाता आया है
इसी माँ पर ।
जिसे आज का ये दिन
खास तौर से समर्पित किया है
वह कोई सामान्य जीव नहीं
वह तो सृजन की प्रतिमूर्ति है
उस ख़ुदा की अतुलनीय कृति है।
अरे मूर्ख इंसान!
निश्वार्थ प्रेम कभी दिखावा नहीं करता
नहीं कोई ढोंग दिखाता है
निश्वार्थ प्रेम की मूरत;
वह माँ
हां, वही माँ
जिसके लिए आज तुम अपना स्टेटस
अपडेट कर रहे हैं;
हर दिन अपनी संतान के लिए
बिना किसी स्वार्थ के समर्पित रहती है
और हमेशा रहेगी।
बाकी सब ऐसे ही दिखावा करते आए हैं
और करते रहेंगे।
जीते जी तड़पाते रहेंगे
और उसी माँ के मरने के बाद
फूलों से सजे हुए उसके
स्टेटस अपडेट होते रहेंगे।
ऐसे ही औपचारिक
मातृ दिवस मनते रहेंगे।
-प्रवीण कुमार शर्मा