जंगल में मंगल गर करना है
तो मशीन नहीं इंसान बनना है।
जंगल सिर्फ उन्हीं के लिए हैं
जो जानवरों की तरह भावनाएं लिए हैं।
मशीन ने सब कुछ उजाड़ कर रख दिया
मानव को संवेदनहीन बना दिया।
इससे तो कहीं अच्छे जानवर ही हैं
जो संवेदनाओं पर न्योछावर आज भी हैं।।
©प्रवीण कुमार शर्मा