shabd-logo

मैं अकेला

24 जुलाई 2022

19 बार देखा गया 19
इतना आसान नहीं है मुझे पढ़ना, 

मैं गमों में भी मुस्कुरा के जीता हूं !!!

भीड़ में चलने का शौक नहीं मुझे,

मैं अपना रास्ता खुद चुनता हूं !!!

कौन, कब कैसे बदल गया?

उसका में पूरा हिसाब रखता हूं!!!

कभी डरा या घबराया नहीं किसी मोड़ पे, 

मैं जान हथेली पे रख के जीता हूं !!!!

Sumit की अन्य किताबें

कविता रावत

कविता रावत

इरादें बुलन्द हों तो फिर पीछे मुड़कर क्या देखना। बहुत खूब!

24 जुलाई 2022

किताब पढ़िए

लेख पढ़िए