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अजय बहादुर के बारे में

स्टेट बैंक से २०१४ में रिटायर किया हूँ।बिहार से हूँ और फिलहाल रांची में रहता हूँ।

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अजय बहादुर की पुस्तकें

बहदुर52

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ए खुदा किसी एक का तो नसीब बदल दे, चाहे उसे मेरा या मुझे उसका कर दे !!

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जिंदगी

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अजय बहादुर के लेख

दिल

14 अप्रैल 2016
6
0

अच्छा किया जो तोड़ दिया दिल तूने मेरा इसको भी बहुत गरुड़ था तुम्हारे प्यार पे !!!

चैत्र नवमी

14 अप्रैल 2016
7
2

चैत्र नवमी की पूर्व वेला पर माँ जगदम्बा के चरणों में समर्पित :-भवानी भवमोचिनी, ब्रह्म चारिणी नमो नम:सर्व दानव  घातिनी,  शूल धारिणी नमो नम:भद्रकाली    तपस्विनी,   मातंगी     माहेश्वरी शुभ  जीवन   दायिनी,   महादेवी   परमेश्वरी सर्व  भय विनाशिनी, शूल धारिणी नमो नम :सर्व  दानव घातिनी, शूल  धारिणी नमो नम

दोस्ती

14 अप्रैल 2016
7
2

कामयाबी बड़ी नहीं, पाने वाले बड़े होते हैं;ज़ख्म बड़े नहीं, भरने वाले बड़े होते हैं;इतिहास के हर पन्ने पर लिखा है; बड़ी नहीं, निभाने वाले बड़े होते हैं।

नजरें

14 अप्रैल 2016
6
1

नजरें झुका के जब भी वो गुजरे है करीब सेहमने समझ लिया कि "आदाब-अर्ज" हो गया।

दोस्ती

14 अप्रैल 2016
6
2

दुनियादारी में हम थोड़े कच्चे हैं;पर दोस्ती के मामले में सच्चे हैं;हमारी सच्चाई बस इस बात पर कायम है;कि हमारे दोस्त हमसे भी अच्छे हैं।

शायरी

14 अप्रैल 2016
7
0

निकलोगे तो हर मोड़ पर मिल जायेंगी लाशेंढूंढोगे तो इस मुल्क में क़ातिल न मिलेगा !!!

शायरी

14 अप्रैल 2016
7
2

कोशिश करो ,हल निकलेगा आज नही तो,कल निकलेगा !अर्जुन के तीर सा निशाना साधो,जमीन से भी जल निकलेगा !मेहनत करो ,पौधों को पानी दो,बंजर जमीन से भी फल निकलेगा !ताकत जुटाऔ,हिम्मत को आग दो,फौलाद का भी बल निकलेगा !जिंदा रखो दिल मे उम्मीदों को,समंदर से भी गंगाजल निकलेगा !कोशिशें जारी रखो कुछ कर गुजरने की ,जो है

शायरी

3 अप्रैल 2016
2
1

हर रोज़ के मिलने में तकल्लुफ़ कैसा, चाँद सौ बार भी निकले तो नया लगता है!

शायरी

3 अप्रैल 2016
2
1

तू वो ज़ालिम है जो दिल मे रहकर भी मेरा बन ना सका और दिल वो काफ़िर है जो मुझमे रहकर भी तेरा हो गया

शायरी

3 अप्रैल 2016
2
1

बहुत लम्बी ख़ामोशी से गुज़रा हूँ मैं,किसी से कुछ कहने की कोशिश में

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