shabd-logo

अजनबी

1 सितम्बर 2021

16 बार देखा गया 16

अजनबी

वह अजनबी अनजान, जो मिला था रहगुज़र 

नज़रे बचा के चुपके से, दिल में गया उतर   

सूरत जरा थी सांवली, आंखो में जशन था   

दिल की हर एक गली में, वो घूमा इधर उधर

ये कायनात मिल के ,वह खुशी ना दे सकी   

जो कुछ पलों में हमको, यूं आ गया नज़र   

वादा किया ना  उसने, न कोई कसम ही दी

निगाहों के गलियारों में, गुम हो गया किधर

वो तीर चल गया ,जो तरकश में नहीं था

अब कैसे संभाले खुदा, सब है तितर बितर ।।

                                             स्वरचित

                                             साधना सिंह

7 सितम्बर 2021

2 सितम्बर 2021

2 सितम्बर 2021

2 सितम्बर 2021

किताब पढ़िए

लेख पढ़िए