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यमलोक की गद्दी पर ,
चित्रगुप्त बैठे थे परेशान ,
अब कितनी बही खाता लाए,
प्राणी बढ़ते जा रहे बेफाम,।
यमदूतों को फुरसत नहीं थी ,
यमराज भी थे हैरान ,
नाना उपाय करके हारे,
ये मुसीबत कैसे टारे, ।
जनसंख्या का क्या करे ,
कैसे करे रोक थाम ,
अब तो यहां भी लगने लगा है ,
आते जाते पूरा जाम,।।
थक जाते है यमदूत भागे ,
यमराज का भैसा हैरान ,
कितनी बार दौड़ाएंगे ,
मुझको भी ये भगवान ,।
चित्रगुप्त ले आए संगणक,
कर लिया अपना निदान ,
सिख लिया उसे चलाना ,
बन गए एकदम से चालाक,
यमराज बैठे विचार में ,
भगवान से करते पुकार ,
ये भी गद्दी इंद्र को दे दो ,
मुझको बिदा करो सरकार ,।।।