बैंक खातों में नामांकन : प्रक्रिया व महत्व ।
बैंक, प्राचीन काल से ही मानव जीवन का एक हिस्सा रहा है । डिजिटल- इण्डिया युग में तो बैंक, प्रत्येक व्यक्ति के जीवन का एक अनिवार्य हिस्सा बन गये है । वर्तमान समय में लगभग सभी व्यक्तियों के एक से अधिक बैंक खातें है । वेतन व अन्य भुगतान की प्राप्ति बैंक खातों के माध्यम से होती है, इसी प्रकार अधिकांश भुगतान बैंक खातों के माध्यम से ही किये जाते है साथ ही अपनी बचत का विनियोग भी बैंक मियादी जमा खातों के माध्यम से किया जाता है।
मानव, हर पल जीवन की एक नयी शुरूवात करता है; हर पल अगले पल के बारे में आशांवित रहता है लेकिन भविष्य का प्रत्येक पल अनिश्चितता से भरा होता है । इसलिए बैंकों में प्रत्येक खाते में नामांकन किये जाने का प्रावधान है ताकि दुर्भाग्य से खाताधारक के निधन होने पर उसके वारिसों को बैंक में जमा धन प्राप्त करने में कोई दिक्कत व देरी न हो ।
आइये, बैंक खातों में नामांकन की प्रक्रिया को समझे-
• बैंकिंग विनियमन अधिनियम, 1949 की धारा 45 व बैंकिंग कम्पनी (नामांकन) नियमों, 1985 के तहत वर्ष 1985 से बैंकों में नामांकन की सुविधा उपलब्ध है ।
• सभी प्रकार के बचत व सावधि जमा बैंक खातों में नामांकन की सुविधा उपलब्ध है । चाहे खाते एकल या सयुक्त हैसियत से खोले गये हो सभी बैंक खातों में नामांकन कर सकते है अर्थात सयुक्त खातों में भी नामांकन किया जा सकता है ।
• चालू खाते में भी नामांकन की सुविधा उपलब्ध है । लेकिन अधिविकर्ष खाते में नामांकन नहीं किया जा सकता भले ही खाते में जमा शेष हो।
• नामांकन स्वयम खाताधारक द्वारा ही किया जा सकता है, खाते के परिचालन हेतु नियुक्त प्रतिनिधि, अटांर्नी इत्यादि को नामांकन करने का अधिकार नहीं ।
• केवल व्यक्ति को ही नामित किया जा सकता है, न्यास या अन्य किसी गैर-व्यक्ति संस्था को नहीं ।
• नामांकन केवल एक ही व्यक्ति के पक्ष में ही किया जा सकता है । सयुक्त खाते की स्थिति में सभी खाताधारक सयुक्त रूप से किसी एक व्यक्ति के पक्ष में नामांकन कर सकते है ।
• यह आवश्यक नहीं कि नामित व्यक्ति रिश्तेदार या वारिस ही हो । किसी भी स्वस्थ मस्तिष्क वाले व्यक्ति को नामित बनाया जा सकता है । अनिवासी व्यक्ति के पक्ष में भी नामांकन किया जा सकता है ।
• अवयस्क व्यक्ति के पक्ष में भी नामांकन किया जा सकता है । ऐसी स्थिति में नामांकनकर्ता को किसी तीसरे वयस्क व्यक्ति का उल्लेख नामांकन प्रपत्र में करना होगा जो कि नामित व्यक्ति की अवयस्कता के दौरान खाताधारक की मृत्यु होने की स्थिति में नामित की ओर से राशि प्राप्त करने का अधिकारी होगा।
• खाते के चालू रहने के दौरान, किये गये नामांकन को कभी भी निरस्त किया जा सकता है और उसके पश्चात नया नामांकन भी किया जा सकता है ।
जब तक खाताधारक द्वारा न चाहा जायेगा, नामित व्यक्ति का नाम गुप्त रखा जाता है । पासबुक व जमारसीद पर केवल नामांकन पंजीकरण संख्या दर्ज की जाती है । लेकिन खाताधारक की सहमति होने पर नामित व्यक्ति का नाम दर्ज किया जाता है ।
• मियादी जमा के नवीनीकरण पर पूर्व में किया गया नामांकन प्रभावी रहता है जब तक कि उसको स्पष्ट रूप से निरस्त या उसमें में परिवर्तन नहीं किया जाये ।
• सयुक्त खाते की स्थिति में नामित व्यक्ति का अधिकार दोनों खाताधारकों की मृत्यु के पश्चात ही उत्पन्न होता है ।
• ग्राहकों की सूविधा के लिए बैंक जमा खाता खोलने के साथ ही नामांकन का प्रपत्र संलग्न होता है ।
• नामांकन करने के लिए किसी गवाही की आवश्यकता नहीं होती । लेकिन खाताधारक अशिक्षित है तो दो स्वतंत्र व्यक्तियों का साक्ष्य होना जरूरी है ।
• बैंक द्वारा किये गये नामांकन की पावती दी जायेगी । ग्राहक को चाहिए कि वह, अपने व्यक्तिगत अभिलेख हेतु इस पावती को अवश्य प्राप्त करें । और इसको अपने महत्वपूर्ण प्रलेखों के साथ फाइल में नत्थी कर लें जिससे वारिसों को समय पर सूचना प्राप्त हो सके ।
• नामित व्यक्ति द्वारा भुगतान प्राप्त करना बेहद आसान है । खाताधारक की मृत्यु होने पर, मृत्यु प्रमाण-पत्र व आधार/अन्य केवाईसी प्रलेख के साथ एक पृष्ठ का आवेदन प्रस्तुत करना होता है । आवेदन पत्र में नामित व्यक्ति की किसी राजपत्रित अधिकारी या किसी बैंक अधिकारी या बैंक के दो प्रतिष्ठति ग्राहकों द्वारा जान-पहचान की जायेगी । सन्तुष्ट होने पर देय राशि बैंक द्वारा नामित के खाते में जमा कर दी जायेगी ।
मृतक खाताधारक के एक ही शाखा में परिचालित एक से अधिक बचत व मियादी जमा खातों का निपटान एक ही आवेदन में एक साथ ही हो जाता है ।
• भारतीय रिजर्व बैंक के निर्देशानुसार आवेदन प्राप्ति के पन्द्रह दिनों के भीतर दावे का निपटारा करना जरूरी है ।
• नामित के अलाव यदि किसी तीसरे पक्षकार द्वारा मृतक खाताधारक की राशि पर दावा किया जाता है तो उसके आवेदन को स्वीकार नहीं किया जायेगा । बैंक द्वारा उसे सलाह दी जायेगी कि वह अदालत से निषेधाज्ञा आदेश प्राप्त करें, यदि तीसरा पक्षकार पन्द्रह दिनों में निषेघाज्ञा आदेश प्राप्त करने में असफल रहता है तो बैंक नामित को भुगतान कर अपने दायित्व से मुक्त हो जायेगी ।
• खाताधारक द्वारा किसी व्यक्ति के पक्ष में नामांकन कर देना का आशय यह नहीं कि उस व्यक्ति को प्राप्त राशि पर कानूनी अधिकार प्राप्त हो गया । नामांकन “मृतक खाताधारकों” के जमा शेष को भुगतान को सरल करने की प्रक्रिया मात्र है ।
• यदि खाताधारक द्वारा कानूनी वारिसों के अलावा अन्य किसी व्यक्ति को नामित बनाया जाता है तो भी वारिसों का अधिकार अक्षुण्ण बना रहता है । ऐसी स्थिति में नामित का यह कानूनी दायित्व बनता है कि वह वारिसों को उनकी विधिक स्थिति के अनुसार भुगतान करे ।
• इसको उदाहरण द्वारा समझते है कि मृतक खाताधारक के चार पुत्र थे उनमें से एक को उसने अपना नामित बनाया । दावे के रूप में नामित ने बैंक से एक लाख रूपये प्राप्त किये ऐसे में नामित का दायित्व बनता है कि अपना एक चौथाई हिस्सा, रूपये पच्चीस हजार, अपने पास रखते हुवे वह अपने शेष तीनों भाइयों को, प्रत्येक को पच्चीस हजार का भुगतान करें।
अगर नामित वारिसों को उनका विधिक हिस्सा देने से मना करता है तो वारिस अपना हिस्सा प्राप्त करने के लिए नामित के विरूद्ध कानूनी दावा प्रस्तुत कर सकते है । भारतीय रिजर्व बैंक की अधिसूचना के अनुसार कलैण्डर वर्ष 2019 के अन्त में 18000 करोड़ रूपये बैंक खातों में अदावा (अनक्लेमड) पड़े है जिनका कोई दावेदार नहीं है । अन्य कारणों के अलावा एक कारण, खातों में नामांकन न होना भी है ।
देखा आपने, कितनी बड़ी राशि है यह । अत: आज ही अपने समस्त बैंक खातों में नामांकन की स्थिति की जांच करे । अगर किसी खाते में नामांकन नहीं है तो आज ही बैंक जाये और नामांकन करें व पावती प्राप्त करने के पश्चात ही वापस आये । अगर आपके परिवार में विवाद नहीं है तो अपने बैंक खातों व नामांकन के बारे में अपने-अपनों को बताये और अगर विवाद है या हो सकता है तो चुपचाप नामांकन पावती को अपने व्यक्तिगत कागजों के साथ रख दे ।
याद रखे कि नामांकन न होने पर आपकी जमा राशि का भुगतान “मृतक खाता भुगतान” के लिए निर्धारित प्रक्रिया के तहत किया जायेगा जो कि कागजी व कानूनी प्रावधानों के कारण समय व श्रम साध्य है । अत: अपने परिजनों की सुविधा के लिए अपने खातों में नामांकन अवश्य करवाये।
पुनश्च: एक अवयस्क व्यक्ति अनुबंध करने के असक्षम होता है तो भी युवाओं में बैंकिंग आदतों को बढ़ावा देने के लिए बैंकों द्वारा दस वर्ष से ज्यादा अवयस्क बच्चों को स्वतंत्र रूप से खाता परिचालित करने की अनुमति दी जाती है, ऐसे खातों में नामांकन अवयस्क खाताधारक के वैधानिक संरक्षक, माता-पिता व अदालत द्वारा नियुक्त व्यक्ति के द्वारा ही किया जाता सकता है।
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माणक चन्द सुथार, बीकानेर (राज)
चलभाष: 8005926494