23 अगस्त 2017
हैं सब, बस उफनती सी उन लहरों के दीवाने,पर, कलपते सागर के हृदय की व्यथा शायद कोई ना जाने! पल-पल विलखती है वो ... सर पटक-पटक कर तट पर, शायद कहती है वो.... अपने मन की पीड़ा बार-बार रो रो कर, लहर नहीं है ये...