गल्फ स्ट्रीम में वह बूढ़ा आदमी अपनी नाव से अकेले मछलियाँ पकड़ता था। चौरासी दिन हो चुके थे और उसे एक भी मछली नहीं मिली।
शुरू के चालीस दिनों में एक लड़का उसके साथ था, लेकिन चालीस दिनों तक जब लड़के को कोई मछली नहीं मिली तो उसके माँ-बाप ने कहा कि बूढ़ा निश्चित ही एकदम अभागा है, उसे छोड़ दो। माँ-बाप के आदेश पर लड़का दूसरी नाव पर चला गया, जहाँ पहले सप्ताह में उसने तीन अच्छी मछलियाँ पकड़ डालीं। लेकिन लड़के को यह देखकर दुःख होता था कि बूढ़ा मछुआरा रोज खाली नाव लिये तट पर वापस लौटता था। वह हमेशा नीचे आकर उसकी मदद करता था, चाहे वह डोरियों के गट्ठर को ले जाना हो या बरछा और मत्स्य भाला या फिर नाव के मस्तूल पर लगा हुआ पाल हो। नाव के पाल में आटे की खाली बोरियों से पैबंद लगा दिया गया था। सिकुड़ा हुआ सा पाल ऐसा लगता था, जैसे कोई पराजय का स्थायी ध्वज हो!
बूढ़ा आदमी पतला और मरियल-सा था। उसकी गरदन के पिछले भाग पर झुर्रियाँ पड़ गई थीं। उष्ण कटिबंधीय समुद्र में सूरज के पराव- र्तन से त्वचा पर मामूली कैंसर से पड़नेवाले धब्बे उसके चेहरे पर दिखाई पड़ते थे। ये धब्बे उसके चेहरे से नीचे की ओर जाते दिखते थे। उसके हाथों पर भारी मछलियों को खींचते रहने से गहरी खरोंचों के निशान पड़ गए थे। लेकिन इनमें से कोई भी निशान ताजा नहीं था। ये निशान किसी बिना मछली के रेगिस्तान में होनेवाले क्षरण जितने पुराने थे।
उसकी आँखों के सिवा उसकी हर चीज पुरानी थी। उसकी आँखों का रंग समुद्र के रंग जैसा था। उसकी आँखों में प्रफुल्लता की चमक थी और पराजय का कोई भाव नहीं था।
जिस किनारे से नाव तैयार की जाती थी, उस पर चढ़ते हुए लड़के ने कहा, "सेंटियागो, अब मैं आपके साथ फिर से चल सकता हूँ। अब हमने कुछ पैसे कमा लिये हैं।"
बूढ़े आदमी ने इस लड़के को मछली पकड़ना सिखाया था और लड़का उससे बहुत प्यार करता था।
"नहीं, आजकल तुम भाग्यशाली नाव के साथ हो, इसलिए उन्हीं के साथ रहो।" बूढ़े ने कहा। "लेकिन आपको याद है कि सत्तासी दिन तक हमें एक भी मछली नहीं मिली थी और फिर हम तीन हफ्ते तक लगातार हर दिन बड़ी-बड़ी मछलियाँ पकड़ते रहे थे?"
"मुझे याद है।" बूढ़े आदमी ने कहा । "मैं जानता हूँ कि तुम मुझे इसलिए छोड़कर नहीं गए हो कि तुम्हें मुझ पर विश्वास नहीं है।"
"मुझे पापा की वजह से जाना पड़ा। मैं छोटा हूँ, इसलिए मुझे उनकी बात माननी चाहिए।"
"मुझे पता है," बूढ़े ने कहा। "यह बड़ी आम सी बात है।”
"उन्हें आप पर ज्यादा विश्वास नहीं है।"
"हाँ," बूढ़े ने कहा। "लेकिन हमें तो पूरा विश्वास है। है कि नहीं?"
“हाँ।” लड़का बोला। "छज्जे पर आपके लिए बियर लेकर आता हूँ, फिर सामान लेकर घर चलेंगे।"
"क्यों नहीं,” बूढ़ा बोला। "दो मछुआरे पिएँगे।”
वे दोनों छज्जे पर बैठ गए। कई मछुआरों ने बूढ़े आदमी का मजाक उड़ाया, लेकिन उसे गुस्सा नहीं आया। कुछ दूसरे बूढ़े मछुआरों ने उसकी तरफ देखा और उन्हें दुःख हुआ। लेकिन उन्होंने इसकी चर्चा नहीं की। वे समुद्री धाराओं की तीव्रता और जिन गहराइयों में वे भटक जाते थे, उसके बारे में चर्चा करते रहे। इसके अलावा वह लगातार अच्छे मौसम और जो कुछ उन्होंने हाल-फिलहाल देखा था, उसके बारे में गए मारते रहे। उस दिन सफल रहनेवाले मछुआरे अंदर आ चुके थे। उन्होंने अपनी बड़ी समुद्री मारलिन मछलियाँ दो तख्तों पर लंबी लिटा रखी थीं। दोनों तख्तों के किनारों को सँभालनेवाले लड़खड़ा रहे थे। मछलीघर में बर्फवाले ट्रकों का इंतजार हो रहा था। इन ट्रकों से मछलियाँ हवाना के बाजार में जानी थीं। जो लोग शार्क पकड़कर लाए थे, वे उन्हें छोटी खाड़ी के दूसरी तरफ शार्क फैक्टरी लेकर चले गए, जहाँ मछलियों को शिलाखंड और रस्सों पर लटका दिया गया था। उनका कलेजा निकाल लिया गया था, पंख काट डाले गए थे, खाल अलग कर दी गई थी और मांसल हिस्से को नमक लगाने के लिए धारियों में काट दिया गया था।
जब पुरवाई हवा चलती थी तो शार्क फैक्टरी से बंदरगाह को पार करती हुई बदबू निकलती थी। लेकिन आज उस गंध का मामूली सा अहसास ही था, क्योंकि आज हवा वापस उत्तर की ओर मुड़कर फिर बंद हो गई थी। मौसम खुशगवार था और छत पर धूप निकली हुई थी।
"सेंटियागो।" लड़के ने कहा।
"हाँ।" बूढ़े आदमी ने कहा। उसके हाथ में गिलास था और वह कई वर्ष पहले की किसी बात के बारे में सोच रहा था। "मैं बाहर जाकर आपके लिए कल के लिए सार्डिन मछली ले आऊँ?"
"नहीं, तुम जाओ और बेसबॉल खेलो! मैं अभी भी नाव चला सकता हूँ और रोजेलियो जाल फेंक देगा।"
"मैं भी साथ चलूँगा। अगर मैं आपके साथ मछली नहीं पकड़ सकता तो मैं किसी और तरह से सेवा करूँगा।"
"तुम मेरे लिए बीयर की बोतल खरीदकर लाए हो। अब तो तुम भी जवान हो रहे हो।" बूढ़े ने कहा । "जब आप मुझे पहली बार नाव पर बिठाकर ले गए थे, तब मैं कितना बड़ा था?"
"पाँच साल के थे तुम और मरने से बाल-बाल बचे थे। जब मैं उस दमदार मछली को नाव में लाया था और उसने नाव के लगभग टुकड़े
कर डाले थे। कुछ याद है तुम्हें?"
"मुझे याद है, उसकी पूँछ की मार और आवाज, तख्ते का टूटना और डंडा मारने का शोर मुझे याद है, आपने मुझे नाव के अगले हिस्से
में फेंक दिया था, जहाँ भीगी हुई लच्छेदार रस्सियाँ थीं और नाव काँपती हुई महसूस हो रही थी। जिस तरह पेड़ काटने के लिए वार करते हैं, उसी तरह आप मछली पर प्रहार कर रहे थे और मेरे ऊपर मीठे रक्त की गंध फैल गई थी।"
"क्या तुम्हें वाकई यह सब याद है या मैंने यह बात तुम्हें बताई थी?"
"जब हम पहली बार साथ गए थे, तब से लेकर अभी तक मुझे सब याद है।"
बूढ़े आदमी ने सूरज की रोशनी में तप्त, विश्वास और सेह भरी नजरों से बच्चे की ओर देखा ।
"अगर तुम मेरे बच्चे होते तो तुम्हें बाहर ले जाता और खेलता। लेकिन तुम तो अपने पिता और अपनी माता की संतान हो। फिर तुम भाग्य- शाली नाव में भी हो।"
"सार्डिन मछली मिलेगी अब मुझे: मुझे पता है कि चार चुग्गे भी कहाँ मिलेंगे।" "मेरी तो आज से छूट गई है। मैं उन्हें बॉक्स में नमक लगाकर रखता हूँ।”
"अब मुझे चार ताजा लाने दो।"