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अरेंज मैरिज

13 जनवरी 2022

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"ओह्ह शिट"  लॉकडाउन की घोषणा सुनते ही दिवाकर की आह निकली।
क्या हुआ? माँ ने हमेशा की तरह मेरी एक हरकत पर क्वेश्चन बैंक का पिटारा खोल दिया।
"कुछ नही माँ" मैनें आज भी बात कहने के बजाए चुप रहने को प्राथमिकता दी।

मन में आतंक तो इस बात को लेकर पनप रहा था कि लॉकडाउन में पूरा पूरा दिन घर मे काटना अथाह मुश्किल होगा। ख़ासकर मुझ जैसे लोगो के लिए जो एक साल के अरेंज मैरिज को बस किसी तरह घसीट रहा हो और तो और ऐसा करते हुए खुद भी कभी खुद को बेगैरत नही लगा समय की कमी ने कभी इस बात को सोचने की इज़ाजत ही न दी कि क्या गलत क्या सही कर रहा हूँ।

सोफे पर लदकर तक़रीबन एक घंटे  तक ये सोचने पर मन ने एक बात कहकर बात टाल दी कि...
"देखा जाएगा" 
मन ने इतनी गम्भीर सोच से मुझें आख़िरकार बाहर निकाल ही दिया। मैं सोच के जाने कितने फिट गहरा डूबा था कि गीत किचन का काम निपटा कर कब आकर बैड के उस मखमली चादर पर नींद में पड़ गई की मुझें खबर तक न हुई।
मैं पहली दफ़ा गीत के सोने के बाद सो रहा था शायद इस बात के ग़म ने सोने न दिया कि कल के बाद घर में सारा दिन काटना जैसे पहाड़ी की टेढ़ी मेढ़ी सरकरी चोटियों पर चढ़ाई करना होगा...ओह तौबा।

गीत की बन्द आँखे, विनम्रता भरे चेहरे, नाक से धीमी साँस की आहट ने मुझें उसकी तरफ देखने को मजबूर कर दिया मैं टकटकी लगाकर देख ही रहा था कि गीत हल्की हिली और करवट बदल ली वो अब भी गहरी नींद में थी और मैं मदहोश...जिस से अभी मैं बेखबर था।

उसके करवट लेने के बाद मन थोड़ा छटपटा रहा था उसके चेहरे के उसी गमगिनियत को देखने ख़ातिर।
"ख़ैर सो जाना ही बेहतर होगा" कहकर मैं सोफे पर लेटा पँखे की चलती पंखुड़ियों को देखकर कब नींद के आग़ोश में आ गया पता नही चला।आँख खुली तो सुबह के 7 बज रहे थे।
अचानक नज़र बिस्तर की सिलवटों पर पड़ी जिसे देखकर तो ये तय था कि मेरी तरह गीत बेहद इत्मीनान से नही बल्कि बेचैनी से सोई हो और शायद उसने अनगिनत करवटें बदली हो। 
"धत्त मैं कब से इन चीज़ों की और ध्यान देने लगा" कहकर मैं उठा और कमरें के बाहर की ओर बढ़ ही रहा था कि गीत बाहर से बुलेट ट्रैन की रफ़्तार से आई और हम दोनों टकराए मैं वही गिर पड़ा कमाल की बात तो ये थी कि उनकी क़िस्मत ने हमेशा उसे गिराया पर उसकी दृढ़निश्चयता ने न अब तक उसे ज़िन्दगी में गिरने दिया न आज टकराकर।

"किस बात की जल्दबाज़ी ज़रा आराम से चलों"
उसने हमेशा की तरह 

'हम्म' 
कहकर गीत ने बात ही ख़त्म कर दी।

मैं वाशरूम की तरफ़ बढ़ा फ्रेश होकर निकला और जब कमरे में प्रस्थान किया तो देखा कि गीत बिस्तर पर पेट के बल लेटी थी शायद रोते हुए सिसकियां भर रही थी मुझें लगा शायद अपनी क़िस्मत पर रो रही होगी कि मिला भी तो मुझ जैसे साथी का साथ जिसने कभी उसे पत्नी का दर्जा नही दिया, कभी उसकी ओर प्यार से नही देखा, कभी उसकी मुलायम हथेली को अपने हाथ मे भरकर  प्यार भरी बातें नही की, कभी उसके ज़िस्म के करीब नही आया।

पर फिर मन में एक बात आई कि कोई और बात है इसका तेजी से बाहर से आकर अचानक रोने लगना जरूर कोई और बात होगी। मैं पूछने के लिए आगे बढ़ा ही था कि उसके साड़ी की ओर मेरी नज़र पहुँची और मैंने देखा उसपर ख़ून के कुछ धब्बे लगे थे। अब साइंस से इतना तो मैं वाकिफ़ था ही की ये किस बात का साइन था मुझें अब कंफर्म हो चुका था कि पीरियड्स के कारण पेट या कमर के दर्द से वो कर्राह रही थी। 

ऐसा नही ये सब पहली बार हो रहा था पर हाँ मेरा घर पर रहकर कुछ चीज़ो पर इस तरह अटेंनटीव हो जाना शायद मेरी जिंदगी के इतिहास में पहली बार था।
मुझमें जानें क्यों इतनी हिम्मत नही थी या ये कहे कि मेरा ईगो मुझे इजाज़त नही दे रहा था कि उससे पुछु कहा दर्द हैं?

पर उसे दर्द में देखना मुझें कतई मंजूर न था मैं तुरन्त दौड़कर माँ की ओर गया।
"गीत शायद किसी दिक़्क़त में हैं जाकर देखिए क्या बात हैं" 
कहकर मैं बाहर की और निकल गया सोचा पार्क जाना ही बेहतर होगा नही तो माँ सोचेगी कि मैं गीत के लिए नर्म पड़ रहा हूँ या उसे अपनी पत्नी के रूप में स्वीकार करने लगा हूँ पर मेरा ईगो मुझे इस बात को साबित होने दे अलाउ नही करता।

मन अब लगातार गीत की ओर खींच रहा था कुछ ऐसे समझिए जैसे एक रस्सी हैं एक तरफ मैं और एक तरफ मेरा एगोईस्ट मन दोनों अपनी पूरी शक्ति से रस्सी को अपनी और खिंच रहे हैं। बस इसी खिंचा तानी में मैं गीत के मन ही मन करीब आ रहा था इस बात से मैं अनजान था अब भी कुछ दिन ऐसे ही मेरा गीत के हर काम पर न देखते हुए भी ध्यान देना, उसके थकावट को महसूस करना, उसके चेहरे की शिकन को अपने चेहरे पर पाना ये सब अजीब था पर वास्तविक स्थिति यही बनी हुई थी।

अब मन मे इच्छा होती थी कि गीत मुँह से 'हम्म' के सिवा भी और शब्द बोले। मैं गीत से 'एग्जाम के 5 नम्बर वाले सवाल की तरह लेन्थी जवाब उम्मीद करता और वो हर बात का टिक मार्क वाले क्वेश्चन की तरह हाँ ना में जवाब देकर निकल जाती'। पर धीरे धीरे मैं बेवज़ह के सवाल पर उसका जवाब मांगता इस तरह अब हम पति पत्नी की तरह न सही सामान्य तौर पर रूममेट की तरह तो एक दूसरे से व्यवहार करने लगे थे।

वास्तव में उसके रूखे व्यवहार की वज़ह मैं था जिसने शादी की पहली रात ही उससे समझौता कर लिया था कि एक ही कमरे में रहने के लिए मेरे बनाए गए नियम मानने होंगे जैसे हम दोनों अजनबी की तरह रहेंगे, दोनों का स्लीपिंग प्लेस अलग होगा तरह तरह के नियम पर हाँ बोलने के बाद ही उसे इजाज़त मिली थी मेरे रूम में मेरे साथ रहने की। ये सब करने की एकमात्र वजह भी तो अरेंज मैरिज थी जो मुझें कभी करनी ही नही थी। मेरे मन मे तो बस सवी ही बसी थी पर अब जब उसकी शादी हो गई थी तब वो भी बेगैरत लगने लगी थी।

मोहब्बत में रुसवाई मिली थी अब मन उचट गया था प्यार मोहोब्बत, घर, परिवार से मोह भंग हो चुका था।
पर लॉकडाउन में एक ही जगह पर घंटो घंटो बिना बात किये बिताए जाने से उसके लिए कुछ पनप रहा था और साथ ही उसका अनकंडीशनल एफर्ट महसूस हो रहा था।

एक दिन मैं थोड़ा कमजोर महसूस कर रहा था सांस लेने में दिक्कत और तनिक सांस भी फूल रही थी सीने में दर्द और दबाव सा महसूस हो रहा था। फिर मैंने सोचा कि कोरोना टेस्ट करा लेना ही बेहतर होगा क्योंकि आस पड़ोस में बातचीत तो सामान्यतौर पर किया ही करता था तो मन भी शंकित था अगले दिन सुबह रिपोर्ट आनी थी मैं इस बात के लिए गम्भीर नही था अगले दिन जैसे ही माँ रिपोर्ट लेकर आई तो शायद गीत ने लिफ़ाफ़ा खोलकर देख लिया था कमरे में आकर बिस्तर पर मेरी तरफ जैसे ही उसने लिफ़ाफ़ा घिसकाया उसके आँसू छलक पड़े आँखे नम थी सिर्फ एक शब्द बोली 
"पॉज़िटिव"
मैंने कहा 
क्या?
और इतने में वो कमरे के बाहर निराश होकर चल दी।
मैंने हड़बड़ाहट में लिफ़ाफ़ा खोला रिजल्ट में पॉजिटिव मेंशन किया हुआ था।
ये बात अब भी बहुत दुख नही पहुँचा रही थी जितना गीत का निराश चेहरा।
गीत ने कमरे के बाहर रहकर भी अनकहे प्रयास लगाए पूरे दिन कमरे के बाहर से मेरा ख़्याल रखती, बिस्तर तक वहाँ लेकर जमा लिया था, वही सोती थी जितना कर सकती थी उसका सौगुना अधिक किया अब न भीतर से बस एक मन करता कि एक बार गीत को गले से लगा लू पर कोरोना के कारण मजबूर था मन बेहद कचोट रहा था उस बर्ताव के लिए जो मैं इतने लंबे समय से उसके साथ 
करता चला आ रहा था।

इस तरह से तकरीबन 10 दिन बीत गए मैं पूरी तरह स्वस्थ महसूस कर रहा था पर टेस्ट कराने के लिए अब भी 5 दिन और बीते जाने का इंतजार कर रहा था और गीत मेरे पूरी तरह ठीक हो जाने का। 

जैसे तैसे 4 दिन बीते और अगले दिन सुबह मैंने कोविड टेस्ट करवाया गीत के प्रयास से और मेरे मन की सकारात्मकता से रिपोर्ट नेगेटिव आया मैंने सबसे पहले गीत को गले से लगाया और उसके माथे को चूमते हुए उससे मुझको  माफ़ करने को आग्रह किया उसने हमेशा की तरह विनम्रता से हँसकर सब बिता भूलकर मुझे माफ़ किया।

"कई बार बेहतर पाने की चाह में
हम बेहतरीन को दुत्कार रहे होते हैं 
पर समय कीमत समझा ही देता हैं"

Annu sah anupam






@साहित्य विमर्श

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