शीत काल में ठंड ना लागे, सम्मर में साँप से डर ना लागे, खाने को दाने ना, पुलिस थाने ना, भर्ती होना आसान नहीं, जवानों का दर्द कोई जाने ना । दौर - दौर के छाले पयरों में, हित-नात की बातें दिलों में, होठों से होठ दबोच आँशु नयनों में, शौक है किसका डूब जाना पानी में, इन्हें मोहब्बत है अपने देश से, वरना मर जाना कौन चाहता भरी जवानी में? कुछ लोग कहते हैं , ये लड़के फालतू में दौर लगाते हैं, निक्कमा - नालायक हैं ये सब, ये सब सुनकर भी वे रहते हैं मौन, ये निकम्मा - नालायक ही तो देश को बचा रखे हैं, अब इन्हें समझाए कौन ? Pulii vijay
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