रितिका जी " इस की शादी का क्या कर रहे हो ??"
दिनेश जी " समझा रहा हूँ । उसके लिए वह घर बिल्कुल सही है । अब उस घर की बहू बनेगी ।"
कहकर दोनों ही अपनी बात खत्मकर चले जाते हैं ।रात के खाने के बाद डायनिंग टेबल पर सब लोग बैठे थे। तभी
दिनेश जी : आशिता मैंने तुम्हारे लिए एक रिश्ता ढुंढा है । और तुम्हें उसी से शादी करनी ही पड़ेगी। वरना राणावत कंपनी डूब जाएगी । और तुम खुद चाहती हो कि तुम अपने पापा की आखरी याद को भी खो देना चाहती हो।
आशिता की आंखें नम हो चली । क्या करे कुछ समझ में नहीं आ रहा था। तो मन ही मन अपने पापा की यादें को कैसे खो दे?
तभी दादा जी : शादी होगी अभी उसी से रिश्ता आया है। कहां से आया है?
अभी दिनेश जी : पापा राजवंश इंडस्ट्री के सी ईओ का रिश्ता आया है। जैसे ही दादाजी ने राजवंश सुना उन्हें कुछ याद आया । उन्होंने फोन को उठाया और एक तरफ चले गए।
किसी को फोन कर वापस आए । और
आशिता : आशिता बेटा तुम्हें यह शादी करनी ही पड़ेगी। तुम यह शादी करोगी ।
जैसे ही आशिता ने यह सुना पैरों तले जमीन खिसक गई । और दिनेश जी फुले नहीं समा रहे थे।क्योंकि पहली बार उसके पिताजी ने उनकी किसी बात पर सहमति जताई है।
ऐसा पहली बार हो रहा था। इसी वजह से सब लोग हैरानी से देख रहे थे । आशिता तो वहां पर बैठने लायक ही नहीं रही । उठ कर वहां से चली गई। कमरे में जाकर दरवाजा बंद कर दीया ।
अपने बेड पर बैठ कर सोच रही थी । दादा जी आते है तो वह खडी हो जाती हैे।
कमरे में आए और कहा :आशिता बेटी.... आशिता ने उनकी तरफ देखा ।और तो
दादा जी ने कहां: देखो आशिका में चाहता हूँ ।कि यह शादी करो । और लड़का बहुत अच्छा है। तो तुम शादी करोगी।
आशिता: ठीक है दादाजी । आप लोगों की हर बात मानुगी मैं। मैं यह शादी करूंगी ।
दूसरी तरफ,
राजवंश मेंशन में सब लोग एक टक दरवाजे को देखे जा रहे थे ।तभी दरवाजे से रुद्र अंदर आया और इस तरह से खुद को और दरवाजे को घुत्ताॅ पाकर।
रुद्र: आप सब लोग दरवाजे को ऐसे क्या खोज रहे हैं?
तभी सब ने अपना ध्यान हटाया और का नहीं हम बस तुम्हारा इंतजार कर रहे थे। सोचा कि तुम आ जाओ उसके बाद डिनर करेंगे । तो दूसरे ने मुस्कुराते हुए कहा ठीक है चलिए मैं हाथ मुंह धो कर आया।
सब डाइनिंग टेबल पर चले गए । अब सब यही सोच रहे थे। कि रूद्र को यह बात कैसे बताई जाए ।
तभी रूद्र आया और सबको सर्वंट ने खाना परोसा और सब खा रहे थे। तभी
रूद्र के दादा जी : रूद्र तुम्हें शादी करनी पड़ेगी।
रूद्र ने यह सुना उसके हाथ खाना खाते रूक गए।
रुद्र: नहीं ।
दादाजी : शादी करनी पड़ेगी और राणावत फैमिली से है।
जैसे ही रूद्र (ने राणावत सुना उसने कहा): राणावत से मुझे कुछ नहीं चाहिए समझे आप लोग । ना ही मैं शादी करूंगा। ना ही कुछ और ।
तभी दादा जी : रूद्र बेटा मानता हूं जो भी हुआ अच्छा नहीं हुआ ।पर यह लड़की बहुत अच्छी है। और मैं चाहता हूं कि तुम उससे शादी करो ।
तभी रूद्र : दादा जी आप क्यों उसकी और मेरी दोनों की जिंदगी खराब कर रहे हैं ? आपको पता है फिर भी।
तभी दादी जी : तुम्हें यह शादी करनी ही पड़ेगी ।और कुछ भी नहीं वरना मैं तुमसे कभी बात नहीं करूंगी ।मरते दम तक नहीं ।
ऐसा रूद्र ने ( हीं सुना उसे बहुत गुस्सा आ रहा था। लेकिन उसने अपने गुस्से को कंट्रोल करते हुए कहा) : ठीक है कर लूंगा शादी ।
इतना कहकर वहां से चला गया।
दादाजी : कमलजीत का फोन था। यह उसी की ही पोती है। और वह कह रहा था कि वह बहुत सुलझी और सरल लड़कि है । हमारे रूद्र के लिए बिल्कुल सही लड़की है। मैंने खुद उसे देखाता पता है बचपन में जब हम राणावत मेंशन में जाते थे। वहां पर आशू नाम की एक छोटी सी बच्ची हुआ करती थी।
बस यह वही आशिता है ।बहुत प्यारी थी ।इस पर नहीं अब तो और भी ज्यादा प्यारी हो गई होगी ।इसलिए मैं उन्हें मना भी नहीं कर पाया और खासकर बात की है। कि उसके चाचा जी और चाची जी उसकी जान के हाथों के पीछे पड़े हुए हैं ।
इस वजह से हमें शादी करनी ही पड़ेगी और मुझे पता है आशिता के इस घर में आने से हमें हमारा पुराना रूद्र वापस मिल जाएगा। मेरे लिए तो यह शादी बहुत ज्यादा मायने रखने वाली है।
दादी जी : तब तो ठीक है ।
दोनों ने हीं शादी के लिए हां कर दी थी । दोनों ही और से दोनों मजबूर है। दोनों किसी को भी नहीं कह सकते थे। इसी वजह से दोनों ने इस शादी के लिए हां कर दी । वहीं आशिता क अपने पास्ट के बारे मे कुछ सोच रही थी ।