उज्जवल, बेदाग़, बिना सलवटों की,
सुंदर सी यूनिफार्म पहने।
पॉलिश किए हुए जूते मौजे,
और साथ में टाई बेल्ट के गहने।
गले में टांगे पानी की बॉटल,
और पीठ पर स्कूल बैग।
वह नन्हां बालक स्कूल की ओर,
धीरे-धीरे कदम बढ़ा रहा था।
रोड किनारे झोपड़ी के सामने,
अपने हमउम्र बालक को देख ठिठक गया था।
एक गड्ढे में भरे पानी में,
उछल उछल कर वो खेल रहा था।
दोनों ने एक दूसरे को देखा,
और दोनों ने खुद को देखा।
काश उसके जैसा होता मेरा बचपन,
दोनों खड़े सोच रहे थे।