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किस पे लिखूँ

12 जुलाई 2022

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किस पे लिखूँ,
यह धरती कहती है, मुझ पर लिखो।
अनगिनत कविताएँ समाई है मुझमें,
मेरी प्राकृतिक छटा निराली,
ढ़ेरों रंग बिखरे हैं इनमें।
बिल्कुल सही मैं यही करूँगी,
मैं धरती का सौन्दर्य लिखूँगी।
हरी चुनरिया ओढ़े दुल्हनियाँ,
झरने सी इठलाती है।
कहीं बहती हुई सरिताएँ,
कल कल शोर मचातीं हैं।
हरे भरे उपवन सुन्दर में,
रंग बिरंगे फूल खिले।
कहीं छोटी झाड़ झाड़ियाँ,
कहीं वृक्ष विशाल मिले।
पंछी कलरव करते हुए,
कोई गाना गा रहे थे।
कान पर आकर मारी चोंच,
और हम नींद से जाग गए थे।
आँख खुली तो हमने देखा,
ये तो थी बस कल्पना।
इधर उधर नजरें दौड़ाई,
हाय ये था सुंदर सपना।
हरी चुनरिया के रंग अब,
फीके पड़ गए हैं।
खूब घनेरे उपवन अब,
उजडे उजडे लग रहे हैं।
बड़े तरुवर पर चल रहीं आरी,
झाड़ियों पर बिल्डोजर।
कारखानों के शोर में,
खो गया पक्षियों का स्वर।
हरियाली जो देखी सपने में,
वो तस्वीर पुरानी थी।
था वो नजारा काल्पनिक,
परियों की कहानी थी।


12 जुलाई 2022

काव्या सोनी

काव्या सोनी

Behtreen likha aapne dear lajwab rachna 👏👌

12 जुलाई 2022

25
रचनाएँ
मिज़ाज-ए-मन
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यह पुस्तक काव्य संग्रह है।
1

मोह आँसुओं से

17 जून 2022
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एक दिन आँख ने पूछा पलकों से, तुम क्या करती रहती हो। चंद बूंदे आँसुओं की, संभाल नहीं पाती हो। जैसे ही उमड़ कर आते हैं, तुम रोक क्यों नहीं लेती हो। हो तुम पहरेदार फिर भी, बहने इनको देती हो।

2

मुझसे पूछे

24 जून 2022
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1

मैं क्या सोचती हूँ, कोई मुझसे पूछे। मेरे वजूद का हाल मुझसे पूछे।। बरसों से खामोश हूँ, सब की सुनती हूँ। कोई मेरी भी राय मुझसे पूछे।। दिल और दिमाग से, नवाजा है मुझे भी। उलझन में

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चंद ख्वाहिशें

12 जुलाई 2022
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चंद ख्वाहिशें दिल में सजा लीं, सजा हो गई। टूट कर बिखर गए, ख्वाहिशें कजा हो गईं। लम्हा लम्हा संजोया, बनाया सपनों का घरौंदा। ढ़ह गई दीवारें, छत भी जुदा हो गई। बिखरी ख्वाह

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किस पे लिखूँ

12 जुलाई 2022
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किस पे लिखूँ, यह धरती कहती है, मुझ पर लिखो। अनगिनत कविताएँ समाई है मुझमें, मेरी प्राकृतिक छटा निराली, ढ़ेरों रंग बिखरे हैं इनमें। बिल्कुल सही मैं यही करूँगी, मैं धरती का सौन्दर्य लिखूँगी। हरी चु

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बूढ़ा नीम

16 जुलाई 2022
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मेरे गाँव का बूढ़ा नीम, अब ठूंठ हो गया। कभी रहतीं थीं रौनकें यहाँ , सब झूठ हो गया। कितने सावन देखे उसने, कितने पंछी फले फूले। उसकी मजबूत शाखाओं पर, डलते थे झूले। बारिश में आतीं निबोंड़िया

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बारिश की बूँदें

16 जुलाई 2022
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पड़ी बूंदें जो बारिश की, रोम रोम मेरा खिल गया। टूटती सी ख्वाहिशों को, उम्मीदों का सहारा मिल गया। उखड़ रहीं थीं सांसे, टूट रही थी आस, खोते हुए अंधेरों में, जैसे सितारा मिल गया। चातक की चाहत सी,

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छोड़ दिया है....

16 जुलाई 2022
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ऐसा नहीं है कि जिंदगी में, गम कम हो गए हैं।बस दूसरों को रो-रोकर, सुनाना छोड़ दिया है।। जो बन के हमदर्द सुनते, और हँसते पीछे मुड़कर। उन्हें अपना गम, बताना छोड़ दिया है।। कभी रोते

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मेरे अजीज

21 जुलाई 2022
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ज्यों ही पहला कदम बढ़ाया कामयाबी की ओर। मेरे कुछ अजीजों ने मचाया बहुत शोर।। अलार्म सुनते ही कान बोले हाय ये क्यों बज गया। प्यारी सी नींद का गहरा सुकून तज गया।। कुछ अलसाती आँखें बोली थोड

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मासूम ख्वाहिश

21 जुलाई 2022
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उज्जवल, बेदाग़, बिना सलवटों की, सुंदर सी यूनिफार्म पहने। पॉलिश किए हुए जूते मौजे, और साथ में टाई बेल्ट के गहने। गले में टांगे पानी की बॉटल, और पीठ पर स्कूल बैग। वह नन्हां

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बिछड़न

31 जुलाई 2022
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बिछड़ के अपनों से वो भी तड़पी होगी जब एक बूँद बारिश की बादलों से जुदा हुई होगी कितनी वेदना कितनी उदास हुई होगी जब वह टूट कर बिखर गई होगी आँखें उसकी नम हुई होंगी

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समय चक्र

5 अगस्त 2022
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एक दिन टहलते टहलते कुछ देर हो गई और वहीं पार्क की बेंच पर थोड़ा सुस्ताने बैठ गया हवा के झोंके ने छुआ और वही बेंच पर लेट गया पहुँच गया बीते दिनों में दफ्तर के केबिन म

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प्यारी सखी काव्या

6 अगस्त 2022
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जिनके नाम में ही काव्य है, उनकी कविताओं का क्या कहना। काव्या तुम हो मेरी प्यारी सखी, हो दोस्ती का अनमोल गहना। ऑनलाइन हुई हमारी दोस्ती, बातें हुई मोबाइल से। नहीं हुए रूबरू

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दोस्ती अनमोल गहना

6 अगस्त 2022
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पाया अनमोल गहना, तुम्हारी दोस्ती के रूप में। तुम निस्वार्थ छाँव, इस मतलबी धूप में। जुड़ा दिल से यह रिश्ता, दिल से ही निभाया। इस भरी दुनिया में, साथ तुम्हारा पाया।&nb

14

अनुभव पोटली

8 अगस्त 2022
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थक जाती हैं आँखें दिखना कम हो जाता है झुक जाती है कमर चलना मुश्किल हो जाता है देता कानों से कम सुनाई आवाज उलझने लगती है काँपने लगते हाथ गर्दन हिलने लगती है शरीर

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बहू डे

9 अगस्त 2022
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मदर्स डे, फादर्स डे, ब्रदर्स डे, फ्रेंडशिप डे हर रिश्ते को हम विशेष दिवस मनाते हैं तो बहू डे कब मनाते हैं विशेष दिवस पर चॉकलेट, गिफ्ट दिलाते हैं खूब स्टेटस लगातें है

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मैं अफसर बेटी

9 अगस्त 2022
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मैं अफसर बेटी पढ़ लिख कर, मेहनत कर हासिल किया मुकाम कमाई इज्जत, शोहरत, पैसा और कमाया नाम मान प्रतिष्ठा, रुतबा मुझको मिला तमाम वाहवाही खूब लूटी मैं अफसर बे

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दहेज लोभियों को सबक

9 अगस्त 2022
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गाजे-बाजे के साथ आई बारात ढ़ोल नगाड़ों से किया स्वागत लड़की वालों ने फिर लड़के वालों की, की आवभगत रस्में निभाई जा रहीं थीं दावत उड़ाई जा रही थी तभी अचानक शौर हुआ दूल्हा दहेज के लिए अड़ गय

18

छोटी पड़ गई राखी

17 अगस्त 2022
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लाई मैं सबसे सुंदर राखी जिस पर लिखा था प्यारा भैया मिठाई भी लाई थाली सजाई रखे रोली और चावल और रखी राखी कर रहे होंगे इंतजार मेरे भाई रह न जाए उनकी सुनी कलाई

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शब्द.in उपहार

17 अगस्त 2022
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1

मिला शब्द.in उपहार दिया लिखने का अधिकार लिखने की चाहत सोई हुई थी किस्मत मेरी खोई हुई थी किया खुद से ही दीदार मिला शब्द.in उपहार फेमस राइटर्स की पढ़ीं रचनाएँ नई-नई लिखीं कविताएँ किताबों का है यह

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काँच के रिश्ते

17 अगस्त 2022
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1

बड़े संभाले रखा था सहेजे जिन रिश्तों को थोड़ी पकड़ हुई ढ़ीली हाथ से छूट गए रिश्ते वो काँच के खन्न से टूट गए जब लगे हम समेटने टूटे बिखरे रिश्तों को लगाते ही हाथ&

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जब हम तुम मिले

30 अगस्त 2022
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1

वो पहली मुलाकात जब हम तुम मिले वो प्यारा एहसास जब हम तुम मिले नजरें नहीं उठ रहीं थीं बार-बार झुक रहीं थीं करना था दीदार जब हम तो मिले कुछ खामोश मैं खु

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जिंदगी एक पहेली

30 अगस्त 2022
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1

एक दिन पूछा जिंदगी से इतना क्यों इतराती हो किसी को खूब हंसाती हो किसी को क्यूं सताती हो किसी को बना के राजा अकड़ के रौब दिखाती हो किसी की तंगी हालत पाई पाई को तरसाती

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नारी जीवन

30 अगस्त 2022
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1

नारी जीवन पर बहुतों ने लिखा बहुतों ने चलाई कलम मुहिम फिर भी कुछ नारी आज भी मजबूर हैं ऐसा जीवन जीने के लिए जिनमें सुविधाएं हैं खुशियाॅं नहीं महंगे कपड़े जेवर हैं&nbsp

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खो गया

30 अगस्त 2022
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1

अंधी दौड़ में दौड़ रहे सब सुकून खो गया वह क्यों आगे मैं क्यों पीछे सब्र खो गया बेचैनी की ओढ़ी चादर बेसब्री का तकिया नित चिंतन का झूला झूले नींद खो गया संगी साथी

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लो बन गई कविता

30 अगस्त 2022
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0

कुछ शब्दों से खेला कुछ मन को टटोला लो बन गई कविता कुछ अपनी कही कुछ दूसरों की सुनीलो बन गई कविता कुछ अतीत में झाॅंका कुछ भविष्य को जाॅंचा लो बन गई कविता कुछ जज्ब

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