ऊंच - नीच , जाति , धर्म , मजहब के नाम ,
पर क्यों एक - दूसरे का खून बहाते हो ,
हम सब का एक ही रंग - रूप और खून है ,
फिर भी जातीय हिंसा जताते हो ।
जाति हिंसा के संचालकों ने ,
जाति, धर्म और स्थान को बांटा ,
एक - दूसरे के आहार को बांटा ,
लेकिन क्या बांट पाए इंसान को ।
नीच जातियों के छू लेने से ,
उच्च जातियों के पुण्य भी ,
पाप में बदल जाते हैं जो ऐसी ,
मनसा रखे वही सबसे नीच कहलाए ।
रूप - रंग एक , खून एक ,
शरीर की आंतरिक क्रिया एक ,
तुम जातीय हिंसा कैसे कर सकते हो ,
जब हम सब इंसान हैं एक ।
आओ एक संकल्प उठाए ,
की भाईचारे की करें बड़ाई ,
हिंदू , मुस्लिम , सिख , ईसाई ,
आपस में सब भाई - भाई ।