Hello friends
ना जाने कहां खो गई ,
वो बचपन की मुस्कान मेरी ,
हर वक्त , हर लम्हा मायूस रहती हूं ,
क्या यही है समझदारी की पहचान मेरी ।
अगर हर वक्त मायूस रहना ,
है समझदारी की पहचान ,
तो मुझे मेरा बचपन ही प्यारा है ,
और प्यारी है वो भोली सी मुस्कान ।
नहीं रहना मुझे समझदार बनकर ,
मुझे तो हंसमुख ही रहना है ,
खुद भी हंसना है और ,
दूसरों को भी हंसा के रखना है ।
मुस्कान में है इतना बल ,
हंस कर तो देखो पल भर ,
हमारे सब दुख मिटा देती है ,
मुस्कान हमें प्यार से जीना सीखा देती है ।
आप भी मानिए मेरी एक बात ,
मुस्कुराते रहिए दिन - रात ,
सुख और दुख तो आते - जाते रहेंगे ,
लेकिन ये पल नहीं आएगा इसके बाद ।
दिन बीतते रहेंगे ,
फिसलती रेत की तरह ,
हम मिट जाएंगे ,
एक लकीर की तरह ,
लेकिन मुस्कान रहेगी ,
हमेशा हमारे साथ ।