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औरत का वज़ूद भाग 2

23 नवम्बर 2021

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औरत का वज़ूद भाग 2

   " हां बंदिता मैं अपने उस भयानक अतीत को कैसे भूल सकतीं हूं उस अतीत ने आज भी मेरा पीछा नहीं छोड़ा है तुम्हें याद है कालेज का पहला दिन" शोभना यह कहती हुई अतीत की वादियों में खोती चली गई••••

   " मां मैं कालेज जा रही हूं" शोभना ने धीरे से कहा उसके चेहरे पर डर साफ़ दिखाई दे रहा था

  " मुझे बताने की जरूरत नहीं है अपने पापा को बताओ मैं तो तुम्हारी सौतेली मां हूं सगी मां तो हूं नहीं मेरे सामने इज्ज़त करने का झूंठा दिखावा न करो अगर तुम मुझे अपनी मां समझती तो मेरी बात मान लेती यूं मेरी बात ठुकरा कर मेरा अपमान न करतीं" शोभना की सौतेली मां शांति जी ने गुस्से में व्यंग्यात्मक लहजे में कहा।

   शोभना ने कोई जवाब नहीं दिया वह चुपचाप सिर झुकाकर खड़ी रही शोभना के चेहरे पर असमंजस के भाव साफ़ दिखाई दे रहे थे।
तभी शोभना के पापा मिस्टर सुभाष वहां आ गए उन्होंने अपनी पत्नी की बात सुन ली थी उन्होंने घूरते हुए अपनी पत्नी शांति को देखा फिर गुस्से में बोले " तुम्हारा नाम शांति किसने रख दिया था तुम्हारा नाम तो अशांति होना चाहिए था अगर मुझे पता होता कि तुम एक कर्कशा  औरत हो तो मैं तुमसे शादी ही न करता मैं अपनी बेटी के लिए ममतामई मां लाना चाहता था। पर ममता शब्द से तो तुम्हारा दूर-दूर का कोई रिश्ता नहीं है शोभना तुम कालेज जाओ और आज के बाद अपनी मां से कुछ भी पूछने की जरूरत नहीं है तुम्हें जो भी कुछ कहना सुनना हो मुझसे कहा करो" अपने पापा की बात सुनकर शोभना हाल से बाहर निकल गई उसके चेहरे पर कोई खुशी  दिखाई नहीं दे रही थी उसने एक लम्बी सांस ली और कार में जाकर बैठ गई उसके बैठते ही कार बंगले से बाहर निकल गई।

   " आप शोभना के सामने मेरा अपमान करते हैं क्या यह ठीक है सौतेली ही सही मैं उसकी मां हूं मैं उसका भला ही चाहती हूं जो मैंने कहा था उसमें बुराई क्या है अगर आप भुवन से शोभना का विवाह कर देंगे तो शोभना हमारी आंखों के सामने रहेगी भुवन घरजमाई बनने को तैयार है किसी और लड़के से अगर आपने शोभना की शादी की तो आपको शोभना को इस घर से विदा करना पड़ेगा" शांति ने अपने पति के गुस्से को देखते हुए अपनी जुबान में शहद घोलते हुए कहा।

   " तुम कान खोलकर सुन लो शोभना की शादी वहीं होगी जहां वह चाहेंगी अब इस विषय पर कोई बहस नहीं होगी" सुभाष ने चेतावनी देते हुए गुस्से में कहा और घर से बाहर चले गए।

    सुभाष की बात सुनकर शांति के चेहरे पर अशांति के बादल मंडराने लगे शांति जी ने फोन मिलाया " हेलो !! हां कौन भुवन? भुवन शोभना तुमसे शादी करने के लिए तैयार नहीं है और सुभाष जी वही करेंगे जो शोभना चाहेंगी।अब क्या होगा हमारे प्लान पर तो पानी फिर गया अब दौलत और लड़की दोनों हाथ से निकल जाएगी कुछ करो ऐसा नहीं होना चाहिए वरना हम लोग शोभना के गुलाम बनकर रह जाएंगे" शांति ने भुवन से कहा भुवन उसके दूर के रिश्ते में भांजा लगता है उससे कहा।

   " मौसी जी आप परेशान न हों मैं ऐसा होने ही नहीं दूंगा" उधर से भुवन की आवाज

  " ऐसा क्या करोगे मुझे भी बताओ"?? शांति ने गम्भीर लहज़े में पूछा।

  " वह मुझ पर छोड़ दीजिए आप तो बस देखती जाइए मैं क्या करता हूं आपके पति देव मेरे पैर पकड़कर मुझसे विनती करेंगे की मैं उनकी लाडली बेटी से शादी करूं उसके बाद मैं दिखाऊंगा कि, मैं क्या कर सकता हूं मैं अपने अपमान का बदला लेकर रहूंगा दोनों बाप बेटी से बस मैं जैसा कहता हूं वैसा आप करती जाइएगा।आप शोभना को हमेशा डरा धमकाकर रखियेगा ताकि वह अपने बाप से खुलकर कुछ कह न सके उसके बाद मैं सब देख लूंगा" भुवन ने अपनी मौसी शांति को समझाते हुए गम्भीर लहज़े में कहा।

   " ठीक है भुवन बेटा अब तुम्हारा ही सहारा है वरना हमारे सारे सपने मिट्टी में मिल जाएंगे" शांति ने लम्बी सांस खींचकर जवाब दिया।

   " आप बेफिक्र रहिए मैं सब कुछ अच्छे से सम्भाल लूंगा" भुवन ने कहा उसके चेहरे पर धूर्तता साफ़ दिखाई दे रही थी।

   " मां आप किससे बात कर रहीं थीं" शांति की अपनी बेटी रूपा ने पूछा

   " तुम्हारे भुवन भैया से" शांति ने मुस्कुराते हुए जवाब दिया।

" मां अगर शुभी दीदी भुवन भैया से शादी नहीं करना चाहती तो आप क्यों यह शादी करवाना चाहती हैं"?? रूपा ने आश्चर्य व्यक्त करते हुए पूछा।

   " अभी तुम्हें इतनी समझ नहीं है इसलिए मैं ऐसा क्यों करना चाहतीं हूं तुम यह सब नहीं समझोगी" शांति ने गम्भीर लहज़े में जवाब दिया।

   " मैं अब छोटी बच्ची नहीं हूं मां मुझे सब समझ आता है आप मुझे बताइए नहीं तो मैं पापा को सब बता दूंगी कि,आप दीदी को भुवन भैया से शादी करने के लिए मज़बूर कर रहीं हैं" रूपा ने धमकाते हुए कहा।

    " तू पागल हो गई है क्या अपनी मां की शिकायत करेगी यह सब कुछ मैं तेरे लिए ही तो कर रहीं हूं। तुझे पता भी है यह जो एशो-आराम का जीवन तुम जी रही हो वह सब तुम से छिन जाएगा अगर शोभना की शादी कहीं और हो गई तो, क्योंकि यह सारी प्रापर्टी शोभना के नाम पर है शादी के बाद यह सब उसके पति का हो जाएगा इसलिए मैं चाहती हूं कि, शोभना की शादी भुवन से हो जाए अगर ऐसा हुआ तो यह सब हमारा ही रहेगा। हमारे एशो-आराम में कोई कमी नहीं आएगी अब कुछ तेरी समझ में आया की नहीं"?? शांति ने रूपा को समझाते हुए कहा।

   रूपा  अपनी मां की बात बहुत ध्यान से सुन रही थी उसने कोई जवाब तो नहीं दिया पर उसे इतना जरूर समझ आ गया की अगर शोभना दीदी की शादी भुवन से नहीं हुई तो उसकी एशो-आराम की जिंदगी खत्म हो जाएगी। इसलिए मां की बात मानने में ही उसकी भलाई है यह सोचते हुए रूपा ने कहा " ठीक है मां जैसा आप कहेंगी मैं वैसा ही करूंगी" यह कहते हुए रूपा कालेज के लिए निकल गई।

उधर शोभना की कार कालेज कैम्पस में दाखिल हुई है ड्राइवर ने गाड़ी से उतर कर कार का दरवाजा खोला शोभना  कार से बाहर आई उसने चारों ओर अपनी नज़र दौड़ाई तो उसने देखा थोड़ी दूरी पर लड़के लड़कियों की भीड़ लगी हुई है वह उसी ओर बढ़ी तो उसने देखा की वहां नये छात्र छात्राओं की रैगिंग हो रही है।यह देखकर शोभना के चेहरे पर घबराहट उभर आई वह चुपचाप वहां से जाने लगी तभी एक लड़की ने कहा "आप कहां जा रहीं हैं मोहतरमा यहां आइए क्या नाम है आपका??  उस लड़की की बात सुनकर शोभना का चेहरा डर से पीला पड़ गया।

   " शोभना नाम है मेरा" शोभना ने डरते हुए जवाब दिया

   " शोभना जी आप गाना तो गाती होंगी हमें कोई प्रेम गीत सुना दीजिए" उस लड़की ने हंसते हुए कहा

   " मोना इनसे कहो गायन के साथ नृत्य कला का भी प्रदर्शन करें तभी हम ख़ुश होंगे और इन्हें रैगिंग की परीक्षा में उत्तीर्ण करेंगे तब यह इस कालेज में पढ़ सकतीं हैं अन्यथा नहीं" एक लड़के ने मोना से कहा वह लड़का इन सबका नेता लग रहा था। शोभना ने देखा उस लड़के का व्यक्तित्व बहुत ही प्रभावशाली था लम्बा चौड़ा घुंघराले बाल गोरा रंग उसने नीली जींस और नेवी ब्लू टी शर्ट बनी हुई थी।

   शोभना मोना और उस लड़के को देखती रही उसके मुंह से कोई आवाज नहीं निकली।

  "शोभना जी आप अपनी परीक्षा दीजिए खड़ी क्यों हैं"?? उस लड़के ने शोभना को गहरी नज़रों से देखते हुए कहा

   " मुझे गाना और नाचना नहीं आता" शोभना ने डरते हुए कहा।

  " आपको नचाना तो आता होगा  तो हमारे कृष्णा भैया को नचा दीजिए तब भी आप को यहां से जाने की अनुमति मिल जाएगी" एक दूसरे लड़के ने हंसते हुए कहा।

   शोभना उन लोगों की बातें सुनकर घबरा गई और उसी घबराहट में वह रोने लगी

  उसको रोता देखकर सभी लड़के लड़कियां घबरा गए क्योंकि रैगिंग पर रोक लगी हुई थी कहीं इस बात की सूचना प्रिंसिपल सर को मिल गई तो उन लोगों को रिस्टिकेट भी किया जा सकता है।

  तभी पीछे से एक आवाज सुनाई दी " आपके कृष्णा भैया को मैं नचा देती हूं अगर उन्हें नाचने का इतना ही शौक है तो"

शोभना के साथ साथ वहां उपस्थित सभी लड़के लड़कियां आवाज की दिशा में देखने लगे••••

क्रमशः

डॉ कंचन शुक्ला
स्वरचित मौलिक
17/6/2021

  

  


भारती

भारती

बहुत ही बढ़िया 👏👏👌🏻

8 अप्रैल 2022

Anita Singh

Anita Singh

बढ़िया भाग

31 दिसम्बर 2021

29 दिसम्बर 2021

Jyoti

Jyoti

👌

29 दिसम्बर 2021

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रचनाएँ
औरत का वज़ूद
4.5
मैंने अपने इस उपन्यास में औरत के आंतरिक संघर्ष और अंतर्द्वंद को दर्शाने के साथ साथ उसको अपने वज़ूद को क़ायम रखने के लिए कितना मानसिक कष्ट सहन करना पड़ता है जिससे वह अपनी नारी गरिमा को भी बनाए रख सके अन्यथा उसके अस्तित्व पर प्रश्नचिन्ह लग जाता है।
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