23 नवम्बर 2021
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मैं डाॅ कंचन शुक्ला अयोध्या में रहतीं हूं मैंने 24 सालो तक डिग्री कालेज में अंशकालिक प्रवक्ता के तौर पर अध्यापन कार्य किया है अब मैं लेखन का कार्य कर रही हूं इस समय मैं हिन्दी प्रतिलिपि, रश्मिरथी और साहित्यनामा पत्रिका में लिखती हूं। अभी हाल में ही मैंने शब्द इन पर भी लिखना शुरू किया है मुझे पढ़ने लिखने का शौक बचपन से ही था मैं अपनी डायरी में अपने मनोभावों को लिखती रहती थी कभी कभी आसपास घटित होने वाली घटनाओं को मैं कहानी की तरह लिख लेती थी। लेकिन यह लेखन कार्य मैं अपनी डायरी में ही लिखती थी मैं कुछ लिखती हूं कोई नहीं जानता था। मैं अपने मन की पीड़ा भी अपनी डायरी को सुनाती थी आज से दो साल पहले मैं मोबाइल देख रही थी मुझे हिन्दी प्रतिलिपि ऐप दिखाई दिया मैंने उसे डाउनलोड किया और उस पर लिखी कहानियां, कविताएं और लेख पढ़ने लगी तब मुझे अहसास हुआ की मैं भी तो ऐसा ही लिखती हूं पर अपनी डायरी में तो क्यूं ना मैं भी आज से प्रतिलिपि पर लिखूं यह विचार आते ही मैंने एक कहानी अब और नहीं लिखी फिर एक कविता लिखी यशोधरा का प्रश्न महात्मा बुद्ध से मेरी दोनों ही रचनाओं को लोगों का बहुत स्नेह मिला तब से मेरी लेखनी मेरे मन के उद्गारों को लिखने में मेरा साथ दे रही है मेरी रचनाएं पुरस्कृत भी हुईं हैं और हो रहीं हैं अब लेखन मेरा जुनून बन गया है जबतक मेरी लेखनी मेरा साथ देगी मैं लिखती रहूंगी।D
भुवन बहुत ही घटिया इंसान लगता है, सही किया शोभना ने
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