कविता का सौन्दर्य उसके अर्थ में होता है और शब्द उसके अर्थ को व्यक्त करते हैं ।कविता रस अलंकार और छन्दबद्ध हो तो श्रोता के मन मष्तिक पर अमिट छाप छोड़ने वाली होती है ।
विश्व की सर्वोत्तम कविता मैं तुलसी की कविता को मानती हूं ।
रामचरितमानस को अधिकतर लोगों ने धार्मिक ग्रंथ का पाठ करने तक सीमित कर दिया ,रामचरितमानस के संपूर्ण सौंदर्य को प्राप्त करने के लिए उस ग्रन्थ को स्वाध्याय और चिंतन का विषय बनाना चाहिए।
तुलसी लिखित कवितावली में वर्णित बहुत सुंदर पंक्ति लिख रही
पुर ते निकसी रघुबीर वधू ,
वन गमन के लिए जाती सीता का कोमल सौंदर्य जो वीर पुरुषों से सुशोभित ,रघुकुल की वधू है जब नगर से निकली उस समय को इतने भाव पूर्ण भावों में कहना किसी अन्य कवि के लिए असंभव है ।
रस छंद अलंकार से सुसज्जित कवि तुलसी की प्रत्येक पंक्ति अविस्मरणीय है ।
भक्ति काल तो है ही स्वर्ण युग ,उस पर लिखने के लिए बहुत विस्तार हो जाएगा ।इसलिए आधुनिक काल की कविता पर भी प्रकाश डालना जरूरी है ।
छायावाद तक रस ,छंद ,अलंकार से सुशोभित रही
कविता ,पर उसके बाद भाव प्रधान मुख्य हो गया ।कविता में मेरी पसंद बच्चन जी का काव्य भी है ।
इलाहाबाद यूनिवर्सिटी के हॉस्टल में रहकर रचनाएं लिखी जाती और रात में हॉस्टल के सभी छात्र इकट्ठे होते और बच्चन जी गा गा कर अपनी कविताओं के मोह पास में सभी छात्रों को बांधे रखते हैं सच में यह था कविता के प्रति प्रति कवि और श्रोता का समर्पण कविता की बात हो और कवि नीरज का स्मरण ना हो ऐसा हो ही नहीं सकता।