मेरे पापा लाए फ्राक
मेरी प्यारी सुन्दर फ्राक ,
लाल पीले हरे गुलाबी
फूलों की है बगिया न्यारी ,
फ्राक पर बैठी दो दो तितली
कितनी सुन्दर कितनी प्यारी ,
कभी फुदकती लाल फूल पर
तुरन्त फुदकती हरे फूल पर ,
साथ में है एक चिडिया बैठी
दोनों पर निगरानी रखती ,
डांटते रहना उसका काम
और न भाता दूजा काम ,
तितली समझी यह भी फूल
आकर उस पर बैठ गई ,
तितली ने डर पंख फैलाये
लगी ढूढने कोई कोना
मारे डरकर आया रोना
आखिर चिडिया ने माफ किया
दोनों को पुचकार लिया ,
ऐसी सुन्दर मेरी फ्राक,
मेरी प्यारी सुन्दर फ्राक ,
इसको पहन मैं जाऊंगी ,
बाग में दौड लगाऊंगी ,
ऊंचे झूले पर मैं चढकर ,
प्यारे दोस्त ढूंढ ढूंढ कर
सबको पास बुलाऊंगीं
अपनी फ्राक दिखाऊंगीं ।
मेरे पापा लाए फ्राक
मेरी प्यारी सुन्दर फ्राक ।
जया शर्मा (प्रियंवदा )