भोर भई निद्रा भरपूर, माता दुलराती रहती।
उठो लाल आंखें खोलो, निद्रा फिर दूर भगाती।। 1
स्नान ध्यान से निवृत्त हो, पाठशाला को तुम जाओ।
बालपन इतराता इठलाता, अब मां तुम गोद उठाओ।। 2
मात तात के आदेशों को, सदा करता रहे पालन।
घर आंगन में उछल कूद, अठखेलियां करता बचपन।। 3
बालपन है भोला भाला, नहीं मन में कोई चिंतन।
अठखेलियों से भरा हुआ, न मन में है कोई मंथन।। 4
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