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बहकते कदम

9 अगस्त 2022

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 ‘मम्मी मैंने कितनी बार आपको बोला है न मेरी
चीजों को हाथ न लगाया कीजिए ..फिर भी आप हाथ लगाने से बाज नहीं आती हैं |’ सीमा
लगभग चीखते स्वर में बोल पडी | 

आज शनिवार था | अभी सुबह के नौ बज रहे थे | अमूनन
शनिवार को स्कूल की छुट्टी रहती है और बच्चे देर से उठते हैं इसलिए नाश्ता बनाने
के बाद शीतल अपनी बेटी के कमरे में उसे जगाने आयी थी | कमरे की खिड़की खोलकर सीमा
को जागने के लिए दो – तीन बार आवाज लगाईं पर वह बस कुनमुनाकर रह गयी |  

कमरा इतना अस्त-व्यस्त था कि उससे रहा न गया |
शीतल ने सोचा जबतक वह उठती है तबतक स्टडी टेबल पर बिखरी उसकी किताबे ठीक कर देती
हूँ | अभी उसने पहली किताब ही उठाई थी कि सीमा की तेज आवाज कानों में पडी | 

हाथ से किताब गिर पडी और वह घबरा कर बोल पडी—  ‘नहीं ,नहीं मैं कहाँ तुम्हारी चीजों को हाथ लगा
रही हूँ ...वो तो टेबल अस्त व्यस्त देखकर ठीक करने लगी |’ 

‘आपको इसकी चिंता नहीं करनी है ...वह
लगभग बिस्तर से छलांग लगाती हुई शीतल तक पहुंची और किताब छीनते हुए बोली ....मैं
अपना कमरा खुद ठीक कर सकती हूँ | आप जाइए अपना काम कीजिये |’  

शीतल की आँखें बरबस ही भर आयीं | इसलिए
नहीं कि सीमा ने ऐसा क्यों कह दिया बल्कि दिनोंदिन उसका बात करने का तरीका बिगड़ता जा
रहा था |वह ऐसे बात करने लगी थी जैसे वह उसकी कोई बड़ी दुश्मन हो | 

वह चुपचाप बालकनी में आ वहां रखी
आरामकुर्सी पर बैठ गयी | सीमा को लेकर उसके मन में बड़ी चिंता सताने लगी थी | सीमा
का यह व्यवहार सिर्फ आज ही ऐसा था यह बात नहीं थी | तीन चार दिनों पहले भी उसके
स्कूल से लौटने पर जब उसने होमवर्क जानने के लिए उसका स्कूल बैग खोलना चाहा तो उसने तेजी से आकर अपना बैग उसके
हाथों से छीन लिया था | लगभग पंद्रह दिनों से वह उसके व्यवहार में बदलाव को महसूस
कर रही थी |वह देख रही थी कि उसका मन किसी काम में नहीं लग रहा था | अच्छे से खा –
पी भी नहीं रही थी | कहीं स्कूल में तो कुछ नहीं हुआ जो वह उसे बताना नहीं चाह रही
हो |स्कूल जाकर पता करना होगा |ऐसा चलता रहा तो यह लड़की पढ़ाई में तो पिछड़ ही  जाएगी |  

शीतल का ऐसा सोचना जायज भी था | उसके
पति उसके साथ नहीं रहते थे |फ़ौज की नौकरी थी और इन दिनों सिक्किम में पोस्टेड थे | यहाँ
के प्रतिष्ठित अंग्रेजी मीडियम स्कूल में बच्चों का दाखिला हो गया था | इसलिए उनके
भविष्य को देखते हुए उसे बच्चों के साथ यहाँ रुकना पडा था | पति साल में दो या तीन
बार 15-20 दिनों की छुट्टी में आते और जितने दिन रहते घर में मिलिट्री अनुशासन
रहता | बच्चों की इच्छाएं तो पूरी करते लेकिन उनकी पढ़ाई को लेकर बड़े कठोर रहते| स्कूल
में जाकर उनके टीचर्स से मिलना, उनकी पढ़ाई की प्रगति के बारे में जानना और उसके
अनुसार उनसे काम करवाना और समय पर काम न होने पर दंड देना उनके स्वभाव में था |
इसलिए बच्चों में पापा के प्रति एक डर था जो एक प्रकार से शीतल के लिए सही भी था
|उनकी गलती या जिद पर उनके पापा का नाम लेकर वह उन्हें अनुशासन में रख पाती थी | 

लेकिन शीतल आज खुद को बेहद असहाय
महसूस कर रही थी | सीमा उम्र के ऐसे दौर में थी जब सही गलत में अंतर कर पाना  मुश्किल होता है | कक्षा सात में पढनेवाली 13 साल
की कच्ची उम्र वाली सीमा जो अपनी हर बात उससे शेयर करती ,अब चुप रहने लगी थी |
लगता ,जैसे कुछ छिपा रही हो | वह उस के साथ किसी प्रकार की डांट- फटकार या जोर-
जबरदस्ती नहीं करना चाहती थी क्योंकि वह जानती थी कि ऐसा करने से इस उम्र में
बच्चे विद्रोही स्वभाव के हो जाते हैं और बाद में गलत कदम उठा लेते हैं | शीतल को
लगा सोमवार को स्कूल जाकर उसके टीचर्स से उसे मिलना चाहिए| 

सोमवार को सीमा स्कूल जाने के लिये
तैयार हो ही रही थी कि उसकी सहेली श्रुति उसे बुलाने पहुँच गयी | बैग
में जल्दी से टिफिन डालते हुए रोज की तरह ‘बाय मम्मी’ कह वह तेजी से निकलने लगी|  

‘अरे नाश्ता तो करती जा’ –शीतल ने
किचेन से ही आवाज लगाईं | 

‘नहीं मम्मी, देर हो रही है , बस छूट
जायेगी और अभी भूख भी नहीं है | स्कूल में खा लूंगी |’कहती सीमा श्रुति के साथ
उड़नछू हो गयी | 

बस स्टॉप पर पहुँचते ही सीमा बोल पड़ी
– “अरे श्रुति ,तुझे तो एक बात बताना ही
भूल गयी | शनिवार को सुबह मैं
बाल-बाल बच गयी |’ 

‘कैसे यार ?’  

‘अरे, वही तो बता रही हूँ .... उस दिन सुबह में मम्मी मुझे जगाने मेरे कमरे में आई और मेरी
टेबल अस्त व्यस्त देखकर ठीक करने लगी ही
थी कि तभी अचानक मेरी आँख खुली तो देखा उनके हाथ में वही किताब थी
जिसमें सौरभ को लिखा लेटर था | मैंने तुरंत वह किताब उनसे छीन ली |’ 

‘अच्छा हुआ ,आंटी के हाथ में नहीं
पड़ा |अच्छा बता , सौरभ से फोन पर बात हुई ? उसने क्या कहा?’ 

‘कहाँ यार.....मैंने कई बार उसे फोन
किया लेकिन उसने उठाया ही नहीं |पता नहीं क्यों ,वह मुझसे कन्नी कटा रहा है ....’
तभी बस आती दिखी और बात अधूरी रह गयी |  

  

विद्यालय का बड़ा सा प्रांगण |सभी
बच्चे प्रार्थना करने में मग्न थे - देयर शैल बी शावर्स ऑफ़ ब्लेसिंग्स ......का समवेत
स्वर प्रांगण में गूंज रहा था | प्रार्थना ख़त्म होते ही माइक पर सिस्टर रोजी का
स्वर गूँज उठा – Seema
and Shruti of 7 B meet me after assembly immediately and others can go to their
respective classes . 

श्यामली मैम चौंक गयी | यह तो उनकी
क्लास के लिए घोषणा थी | जरुर दोनों बात कर रही होंगी| उनके यहाँ खड़े रहते इन
लड़कियों की हिम्मत कैसे हुई बात करने की और वह भी प्रार्थना के समय, उनका पारा
चढ़ने लगा | लेकिन जब तक वह उनसे पूछती तब तक वे जा चुकी थीं | 

मिसेज श्यामली गुप्ता इस विद्यालय की
पुरानी और बड़ी प्रतिष्ठित शिक्षिका थीं | उम्र लगभग 45-50के आस पास | बच्चों में
बहुत ही लोकप्रिय क्योंकि उनके साथ उनका बड़ा ही दोस्ताना व्यवहार रहता था | वह
अपने विषय में अद्भुत ज्ञान रखती थी लेकिन अनुशासन में बड़ी ही सख्त थीं | उनका
व्यक्तित्व बड़ा ही सौम्य था | बंगाल की कलफदार तांत की साड़ी पहने ,माथे पर एक छोटी
सी बिंदी, होंठों पर हलके गुलाबी रंग की लिपस्टिक जो उनके गोरे चेहरे पर खूब जंचती
,लम्बी चोटी और कलाइयों में साड़ी के रंग से मिलती चूड़ियां पहने जब कक्षा में
प्रवेश करतीं तो बच्चे उन्हें देखते ही रह जाते ,बरबस ही उनके प्रति आदर उमड़ पड़ता

आज उनका पहला पीरियड फ्री था इसलिए
गुस्से को जज्ब करते स्टाफरूम की ओर बढ़ चलीं | वहां घुसते ही लता मैम ने टोक ही
दिया –‘श्यामली दी आपकी क्लास की ये दोनों लडकियाँ बड़ी तेज उड़ रही हैं | कल मैंने
थर्ड पीरियड में दोनों को डिस्पेंसरी के पास घूमते देखा था | मुझे देखते ही वॉश
रूम में घुस गयीं थीं | जरा इन पर नजर रखिये |’  

‘नहीं ऐसी बात नहीं है ,दोनों मुझसे
पूछ कर ही डिस्पेंसरी गयीं थी | बेवजह बच्चों पर शक करने की आपकी आदत अच्छी नहीं
है |’  

‘भई, मुझे जैसा लगा मैंने बता दिया
अब आप जानिये क्या करना है |’ लता मैम ने सामने खुली कॉपी पर अपनी कलम चलाते हुए
कहा | 

श्यामली मैम ने कह तो दिया लेकिन
उनके माथे पर चिंता की लहरें गहरा गयी थीं |क्लास में भी आजकल सीमा बेचैन सी दिखती
|ऐसा लगता कि उसका तन यहाँ है लेकिन मन कहीं और है |खोई- खोई चुप सी |पहले क्लास
में हर काम में आगे रहती इसी कारण उसका नाम प्रीफेक्ट के लिए भी आगे किया था | खैर,
उन्होंने उससे बात करने का निर्णय लिया और अगली क्लास की तैयारी करने लगी |बेल
बजने ही वाली थी कि सिस्टर रोजी का सन्देश लेकर चपरासी आया कि कोई पेरेंट उनसे
मिलना चाहते हैं | 

श्यामली मैम ने बाहर आकर देखा तो एक
भद्र महिला वाइस प्रिंसिपल की ऑफिस के बाहर रखी विजिटर्स चेयर पर बैठी थी | अमूनन
मिलने का समय ब्रेक टाइम होता है लेकिन अगर सिस्टर ने कहलवाया है तो जरूरी होगा | ऐसा
सोचकर वे उनके पास गयी | 

‘नमस्ते! मैं श्यामली गुप्ता, क्या
आप को मुझसे मिलना है |’ 

‘नमस्ते मैडम ! मैं शीतल वर्मा | हाँ,
मुझे आपसे ही मिलना है | मैं सीमा की मम्मी हूँ |उसको लेकर आजकल मैं बहुत परेशान
रहती हूँ | अजीब सा व्यवहार करने लगी है |कुछ भी पूछने पर चिल्लाती है, झल्लाती है
,अपनी किसी चीज को हाथ लगाने नहीं देती है |पहले ऐसा नहीं था अपनी सारी बातें वो
मुझसे शेयर करती थी |’ 

‘देखिये इस उम्र में हार्मोनल चेंजेज
के कारण बच्चों के व्यवहार में अंतर आ सकता है |घबराइये नहीं, उसके साथ नरमी से ही
पेश आइये क्योंकि इस उम्र में बच्चे सख्ती नहीं बर्दाश्त करते हैं और ज्यादा
विद्रोही हो जाते हैं |’-श्यामली मैम ने समझाने की कोशिश की | 

‘मैम ,मुझे ऐसा लगता है कि जैसे
मुझसे वह कुछ छुपा रही है | कहीं स्कूल में तो कुछ नहीं हुआ जैसे किसी से झगडा या
किसी टीचर से काम न करने पर डांट पडी हो |मैम, मैं बहुत परेशान हूँ |मैं बच्चों को
लेकर यहाँ अकेली रहती हूँ |मेरे पति फ़ौज में हैं और अभी सिक्किम में पोस्टेड हैं
|कुछ कीजिये |’ 

‘घबराइए नहीं, आप आराम से घर जाइये
और उसके साथ दोस्तों जैसा व्यवहार कीजिये |मैं यहाँ देखती हूँ, मैं क्या कर सकती
हूँ |हाँ, ज्यादा कुछ गलत लगा तो जरुर बताइयेगा|’ 

‘थैंक्यू मैम, कहकर सीमा की मम्मी तो
चली गयी पर श्यामली मैम को भी चिंता होने लगी | उन्होंने सीमा के बदलते रवैये के
बारे में नहीं बताया क्योंकि उन्हें लगा वो सीमा से बात कर के मामले की तह तक
पहुँच जाएंगी | 

अगले दिन ब्रेक में दो लडकियां दौड़ती
हुई स्टाफरूम के दरवाजे तक आयीं |उनमें से एक ने अन्दर आकर श्यामली मैम से थोड़ी
देर के लिए बाहर आने का अनुरोध किया | जैसे ही वे बाहर आयीं लड़कियों के सब्र का
बाँध टूट गया – 

‘मैम नीचे चलिए न 12वीं क्लास के एक
भैया और 9वीं क्लास की एक दीदी के साथ सीमा की लड़ाई हो रही है |सब मरने- मारने की
धमकी दे रहे है |’ --एक ने कहा  

श्यामली मैम जबतक नीचे उनके साथ गयीं
तब तक मामला शांत हो चुका था | सीमा से बहुत पूछने पर भी उसने इसे पर्सनल प्रॉब्लम
कहकर टाल दिया |उस समय उन्होंने उसे कुछ नहीं कहा सोचा अकेले में बात करेंगी | लेकिन
इसके बाद तीन दिनों तक वह स्कूल नहीं आयी |  

चौथे दिन जब सीमा आयी तो एकदम बेजान कमजोर सी
|श्यामली मैम ने उससे जब पूछा तो पता चला कि उसे बुखार हो गया था | ऐसे में
उन्होंने ठीक से खाने पीने की और अपनी सेहत का ठीक से ख्याल रखने की हिदायत देकर
पढ़ाना शुरू कर दिया | उन्होंने सोचा आज ब्रेक में उससे बात कर लेंगी | 

ब्रेक में श्यामली मैम ने नाश्ते के लिए अपना
टिफिन खोला ही था कि श्रुति और उसकी सहेली नीतू हाँफती हुई  स्टाफरूम में इजाजत लेकर अन्दर घुसीं और वहीँ से
चिल्लाते हुए श्रुति उनके पास आयीं और कहने लगी —मैम.. मैम..सीमा ने वाशरूम में
फिनाइल पी लिया है | मैं अभी वाशरूम गयी थी मैंने देखा उसके हाथ में एक छोटी सी
बोतल में फिनाइल था |मैं घबरा गयी और आपको बताने आ पहुंची |’  

वहां उपस्थित सभी लोग यह सुनकर घबरा गए | श्यामली
मैम तो टिफिन खुला छोड़कर ही आनन् फानन में लड़कियों के साथ वाशरूम की ओर भागी | वहां
पहुँचने पर देखा कोई नहीं था | 

‘यहाँ पर तो कोई नहीं है ,तुमने तो कहा था कि
सीमा ........ 

‘यस मैम ,मैंने देखा था और उससे कहा भी था कि मैं
मैम को इस के बारे में बताने जा रही हूँ | लगता है डर के भाग गयी ‘—श्रुति बीच में
ही बोल पड़ी | 

श्यामली मैम ने वहीँ रूककर कुछ सोचा और कहा –
‘जाओ 7 बी के प्रीफेक्ट को बुला कर लाओ |’ 

‘यस मैम –बोलती हुई दोनों भागीं | पांच मिनट में
ही 7B की प्रीफेक्ट तानिया हाजिर थी |श्यामली मैम ने उसे क्लास से सीमा का स्कूल
बैग लाने के लिए कहा |थोड़ी देर में ही वह उसका बैग लेकर आ गयी | उन्होंने तानिया
को जाने को कहकर बैग को जब चेक किया तो हैरान रह गयीं एक आईने का टूटा हुआ टुकड़ा
,एक रुमाल में बंधी फिनाइल की कुछ गोलियां और एक प्रेम पत्र मिला जो किसी सौरभ को
लिखा गया था |जब उन्होंने उसे पढ़ा तो उनके पैरों तले जमीन खिसकती जान पडी | 

‘हुंह तो बात इतनी आगे बढ़ चुकी है |
सीमा सौरभ को आत्महत्या की धमकी दे रही है| शीघ्र ही कुछ करना होगा | कुछ गलत न हो
जाये इससे पहले उसके अभिभावक और वाइस प्रिंसिपल को खबर करनी होगी और सीमा से भी
अलग से बात करनी होगी |’-- ऐसा सोचते हुए
वह वाइस प्रिंसिपल के कक्ष की ओर बढ़ चलीं | 

‘मे आई कम इन सिस्टर ’ 

‘यस .यस प्लीज कम मिसेज श्यामली | सब ठीक है न...बड़ी
घबराई हुई लग रही हैं ’--सिस्टर ने बड़ी आत्मीयता से पूछा |  

‘घबराने वाली तो बात ही है सिस्टर | याद है
सिस्टर..... मेरी क्लास की सीमा जिसकी मम्मी कुछ दिनों पहले मिलने आई थी......  

‘हाँ ..हाँ..याद है  वो कुछ परेशान भी थी और हमलोगों ने उन्हें
आश्वासन देकर भेज दिया था | क्या हुआ उसको ....सब ठीक है न |’ 

‘नहीं सिस्टर कुछ भी ठीक नहीं है --कहते हुए
श्यामली मैम ने वे सारी चीजें उनके सामने रख दी जो सीमा के बैग से मिली थीं |अब
हैरान होने की बारी सिस्टर की थी क्योंकि ये सारी चीजें आने वाले खतरे की सूचना दे
रहीं थीं | 

‘वाकई ये गंभीर मामला है | मुझे सबसे पहले इसकी
सूचना प्रिंसिपल फादर हेनरी को देनी होगी वे जैसा बताएँगे हमें उसी तरीके से इसे
हैंडल करना होगा |’ 

फादर हेनरी बड़े सुलझे व्यक्तित्व के
मालिक थे | विद्यार्थियों के साथ-साथ वे अभिभावकों में भी अच्छे- खासे लोकप्रिय थे
|उन्हें जैसे ही इस मामले की जानकारी मिली उन्होंने सीमा के पैरेंट को तुरंत स्कूल
आने के लिए स्वयं फोन किया | तब तक सीमा की दो सहेलियों को बुलाकर श्यामली मैम ने
सारी बातें पता की कि आखिर इन सब बातों के पीछे का राज क्या है | 

पूछने पर सारी बातें साफ़ हो गयीं |सौरभ
सीमा के पिता के दोस्त का बेटा था और उसके घर के पास ही रहता था | उसका उसके घर
में आना जाना लगा रहता था |कभी सीमा और सौरभ साथ मार्केट या मॉल चले जाते |एक दो
बार सीमा की जिद पर ट्यूशन का बहाना कर के वह उसे फिल्म भी दिखाने ले गया था |
सीमा को ऐसा लगने लगा कि सौरभ उसे पसंद करता है और प्यार करता है| जैसा कि
किशोरावस्था में लड़के और लड़कियां एक दूसरे
के प्रति आकर्षण को प्यार समझ बैठते हैं वही यहाँ भी हुआ |सीमा सौरभ पर अपना
अधिकार समझने लगी | 

इसी दौरान कक्षा 9 की एक लड़की शौर्या
ने सौरभ को प्रपोज किया और सौरभ ने उसके प्रस्ताव को स्वीकार कर लिया |अब वह उसके
साथ घूमने लगा | उसने सीमा से मिलना जुलना बंद कर दिया| उसका फोन भी रिसीव नहीं
करता | बात पता चलने पर सीमा और शौर्या के बीच झगडा होने लगा |शौर्या सीनियर थी
इसलिए उसने सीमा को कुछ बड़ी धमकी दे डाली थी और सौरभ भी उसे ही सपोर्ट कर रहा था
|इसी से डिप्रेस्ड होकर सीमा यह कदम उठाने चली थी | 

दोनों लड़कियों को क्लास में जाने के
लिए बोलकर उन्होंने मन ही मन कुछ तय किया| 

तभी घंटी बज गयी |वह क्लास जाने के लिए उठी |उन्हें अभी
7 बी में ही जाना था |कक्षा में प्रवेश कर उन्होंने एक गहरी दृष्टि से पूरी कक्षा
का जायजा लिया | बच्चे अभिवादन कर बैठ चुके थे | सीमा
पीछे की बेंच पर उदास बैठी थी| 

उन्होंने कहना शुरू किया –मेरे
प्यारे बच्चों ,तुम्हे यह तो पता ही होगा कि इस बार नोटिस बोर्ड के बगल वाले बोर्ड
को सजाने की बारी 7 बी की है और मैंने इस बार नए बच्चों को चांस देने का निर्णय
किया है |’सुनते ही बच्चे उत्साहित हो हाथ उठाकर बोलने लगे –‘मिस मुझे मौका दीजिये
’‘,मिस मेरी ड्राइंग अच्छी है मैं अच्छी पेंटिंग बना सकता हूँ ’‘,मिस मैं यह अच्छे
से कर सकता हूँ ’..आदि आदि | 

उन्हें शांत करते हुए उन्होंने कहा—मैंने
नाम तय कर लिया है |लड़कों में आदित्य और मनीष तथा लड़कियों में सुरभि और सीमा इस
काम को करेंगे और ग्रुप लीडर होगी सीमा |सो, सीमा तुम पर विशेष जिम्मेदारी है
|तुम्हें ही इन्हें गाइड करना है |’ 

सीमा ने उठकर कहा --मैम आजकल मेरी
तबियत ठीक नहीं है सो किसी और को यह दे दीजिये | 

‘नो एक्सक्यूज ,यू हैव टू डू एंड आई नो यू कैन डू इट,
अंडरस्टैंड ’ मैम की बात सुनते ही बह मुंह बनाकर बैठ गयी | 

स्कूल से घर पहुँचने पर सीमा अनमनी
सी बिस्तर पर जाकर लेट गयी |उसे मैम पर बहुत गुस्सा आ रहा था | आज उसे ही यह बोर्ड
सजाने का कार्य देना था किसी और को भी तो दे सकती थी |एक तो वैसे ही उसके साथ सब
उल्टा पुल्टा हो रहा है और अब एक यह सिरदर्द | 

शीतल ने जब उसे लेटे देखा तो पूछा –‘ क्या
बात है बेटा ,तबियत ठीक नहीं है या कोई परेशानी है?’ 

‘कुछ नहीं मम्मी ,बस यूँ ही थोड़ी
थकान है आप चिंता न करें | कहकर उसने अपनी आँखें बंद कर लीं | ‘लाओ मैं तुम्हारा
सर दबा देती हूँ तुम्हें अच्छा लगेगा –कहते हुए शीतल ने सीमा का सर दबाना शुरू कर
दिया |पहले तो सीमा ने नानुकर की लेकिन उसे भी अच्छा लग रहा था सो चुप हो गयी | 

‘आज स्कूल कैसा रहा बेटा ?’ शीतल
ने स्वाभाविक तौर पर पूछा | 

प्रश्न पूछना था कि वह भड़कती हुई उठ
बैठी ---‘क्या ख़ाक अच्छा रहेगा ! मुझे तो रह-रहकर श्यामली मैम पर गुस्सा आ रहा है
|बोर्ड सजाने का काम दिया तो दिया ग्रूप लीडर भी बना दिया |आप ही सोचिये ,मैंने
कभी लीडर का काम नहीं किया है मम्मी |मेरा तो दिमाग ही काम नहीं कर रहा है कि क्या
करूँ और कैसे करूँ ?और उस पर मजे की बात यह कि कल तक का ही समय है|’ 

‘अच्छा तो यह है मेरी बिटिया की चिंता
का कारण ..... 

‘और नहीं तो क्या ...आज रात भर नींद
नहीं आने वाली .. 

‘क्यों नींद नहीं आएगी ? तुम्हारी
मैम ने अगर तुम्हें चैलेन्ज किया है तो तुम्हे भी हार नहीं माननी चाहिए |पहले चलो
कुछ खा लो ,फिर मिल कर सोचते हैं |’ 

‘नहीं मम्मी, आपसे नहीं होगा |’ 

‘क्यों नहीं होगा ? तुमने
मम्मी को क्या समझ रखा है | मैं तुम्हें कभी हारने नहीं दूंगी |’ 

‘सच में आपसे हो पाएगा ?’ 

‘क्यों नहीं ,प्रयास करने से सब संभव है और मेरी पढ़ाई किस दिन काम
आएगी |’ 

सीमा उत्साहित होकर उठ बैठी |नाश्ता करने के बाद शीतल ने गूगल और यू
ट्यूब पर प्रोजेक्ट के कुछ टॉपिक सर्च कर
उसे बताया |सीमा ने उसमें से एक विषय चुनकर उसकी मुख्य-मुख्य बातें नोट कर लीं| वह
सोचने लगी कि जिसे वह अपने लिए उलझन समझ रही थी मम्मी ने उसे कितना आसान बना दिया
| अब वह मम्मी के प्रति अपने पहले के रवैये के लिए शर्मिंदगी महसूस करने लगी |  

‘क्या हुआ ..अब तो सब ठीक है न ..कल मेरी बिटिया लीडर का काम ..नहीं
नहीं ‘लीडरयी’ कर सकेगी न |’ शीतल ने सीमा का उतरा चेहरा देख हँसी करते हुए कहा | 

अचानक सीमा शीतल के गले से लिपट गयी और धीरे से ‘सॉरी मम्मी’ कहकर
रोने लगी | 

शीतल ने कुछ नहीं कहा उसे रोने दिया सिर्फ उसकी पीठ सहलाती रही | 

जब सीमा शांत हुई तो शीतल ने कहा – कुछ बोलना चाहती हो ? 

‘हाँ मम्मी, आप गुस्सा तो नहीं करेंगी |वैसे गुस्सा होने वाली बात ही
है |इसलिए आप जो सजा देंगी मुझे मंजूर है |’ फिर उसने अपने और सौरभ के बीच की सारी
बातें बता दीं | 

सुनकर शीतल ने प्रतिक्रिया में सिर्फ इतना ही कहा –तुम्हें अहसास हो
गया है न कि तुमने जो किया वह गलत था बस यही काफी है |जो हुआ उसे भूल जाओ और पढ़ाई
पर ध्यान दो | मम्मी हमेशा तुम्हारे साथ है |’  

आशा के
विपरीत मम्मी का व्यवहार उसे चौंकाने वाला था लेकिन उसे अच्छा लगा कि मम्मी उसके
मन को समझ सकी थी | 

‘मम्मी
आप नाराज तो नहीं हैं न ?’ 

‘नहीं
बेटे,इस उम्र में ऐसी गलतियां ज्यादातर बच्चों से अक्सर हो जाती हैं लेकिन इस गलती
को जो सही समय पर सुधार लेतें हैं वही आगे बढ़ पाते हैं |और तुमने तो गलती सुधार ली
है |इसके लिए मुझे तुम पर गुस्सा नहीं
गर्व करना चाहिए’ ---शीतल ने उसके सर पर हाथ फेरते हुए कहा |  

आज सीमा
को बड़े दिनों बाद सुकून की नींद आई थी | 

दूसरे दिन सुबह वह बहुत उत्साहित
दिखी |अपने ग्रुप को गाइड करती हुई मिलकर काम करती हुई|  अंतिम पीरियड में ये चारों बच्चे अपना काम
दिखाने के लिए श्यामली मैम को बुला कर ले गए| वास्तव में काम बहुत सुन्दरता से
किया गया था |प्रदूषण को थीम बनाकर उसके कारण और निवारण सभी को बखूबी दर्शाया गया
था | 

‘एक्सेलेंट वर्क ...यह किसका आइडिया
था – मैम ने पूछा | 

‘मैम, सीमा का’ -सभी एक साथ चिल्ला
पड़े सीमा के अलावा | 

‘वेलडन सीमा, कितनी टैलेंटेड हो |ऐसे
ही मन लगाकर काम करो आगे खूब अच्छा करोगी और तुमसब ने भी खूब मेहनत की है सभी को बहुत
बधाई |’ 

‘थैंक यू मैम ’ 

श्यामली मैम ने देख लिया था सीमा के
चेहरे पर आई चमक को |उन्होंने क्लास में भी सभी के सामने चारों बच्चों की तारीफ़ की
और ख़ास कर सीमा की कुछ ज्यादा |फिर दूसरे दिन की क्रिएटिव असेम्बली में ‘आज का
विचार’ बोलने उसे भेजा | क्लास का डिसिप्लिन मॉनिटर उस दिन अनुपस्थित था तो उसके
आने तक उसे डिसिप्लिन मॉनिटर बना दिया | 

सीमा को कोई न कोई काम बताकर उन्होंने
उसे ऐसा व्यस्त कर दिया कि उसका ध्यान थोडा सा उधर से हट जाए | यही नहीं उसके हर
काम की बीच- बीच में तारीफ़ भी करती जाती | 

आज वीकेंड था |सीमा की नींद नहीं
खुली थी | शीतल ने उसे जगाया और कहा -उठो सीमा गाँव से फोन आया है कि तुम्हारे
दादाजी की तबीयत खराब है |इसलिए हमें थोड़ी देर में गाँव के लिए निकलना होगा |चलो
तैयार हो जाओ |  

गाँव पहुँचने पर पता चला कि उनकी
तबीयत कोई ख़ास ख़राब नहीं
थी |फिर क्या था, शीतल ने  सीमा के साथ गाँव
घूमने का कार्यक्रम बनाया |उन्होंने खेतों की सैर की ,नदी में नौकाविहार किया |सभी
भाई- बहनों ने मिलकर रात में खूब नाचने गाने का मजा लिया |दो दिन कैसे बीत गए पता
ही नहीं चला |सीमा भी शीतल के और करीब आ गयी और शीतल का भी व्यवहार उसके साथ
दोस्तों जैसा हो गया था | 

सोमवार को सीमा का बदला हुआ रूप दिखा
ख़ुशी और आत्मविश्वास से भरपूर |श्यामली मैम ने उसे ब्रेक टाइम में क्लास में ही
रहने को कहा |वह उससे कुछ बात करना चाहती थी |ब्रेक में मिलते ही पूछा -- 

‘कहो सीमा अब कैसी है तुम्हारी तबीयत
?’ 

‘ठीक है मैम |’ 

‘सौरभ की याद आती है या उससे अभी भी मिलती
हो ?सीमा चौंक उठी |उसे ऐसा लगता था कि मैम इस बारे में नहीं जानती है इसलिए उसने
अनजान बनते हुए कहा – कौन सौरभ ? 

‘नाटक न करो, तुम्हारी सहेलियों से
मैंने सब पता लगा लिया है |’- मैम ने थोड़ी सख्ती से कहा | 

‘मैम ,आपको जब सब पता है तो आप मेरे
मन की हालत भी समझती होंगी ’- सीमा ने हथियार डालते हुए कहा | 

‘तभी तो तुमसे यह सब पूछ रही हूँ
|जरा से आकर्षण को प्यार समझ कर जीवन मरण का प्रश्न बना लिया था तुमने |तुम्हे
अपना और घरवालों का जरा भी ख़याल नहीं आया |’ 

सुनकर वह सर झुकाकर नीचे देखती रही
फिर अचानक बोल पड़ी –‘तो क्या करती मैम , जब सौरभ ने मेरी उपेक्षा शुरू कर दी मुझे
ऐसा लगा कि मेरे जीवन में कुछ रहा ही नहीं इसलिए मैं जीना ही नहीं चाहती थी |उस
दिन मैंने सच में फिनायल पीने की कोशिश की थी पर हिम्मत नहीं हुई |मैंने फिल्मों
में देखा था कैसे अपनी नस काटकर हीरो या हीरोइन आत्महत्या कर लेते हैं इसलिए मैंने
वो भी इंतजाम कर लिया था पर उस दिन घर जाकर देखा तो वे चीजें मेरे बैग में नहीं थी
शायद किसी सहेली ने निकाल लिया था | फिर आपने एक -एक करके इतना काम दे दिया कि
मुझे सोचने का मौका भी नहीं मिला |’ 

‘तो अब मौका मिलने पर फिर जान देने
की कोशिश करोगी ?’ 

‘नो मैम, अब ऐसी गलती नहीं होगी
|पढ़ाई से मन उचट गया था पर इस एक सप्ताह के दौरान आप के द्वारा दिए गए कार्यों से
मेरा हौसला बढ़ गया है| मेरा खोया आत्मविश्वास लौट आया है | |मम्मी से मेरी दोस्ती
हो गयी है | अब सारी बातें मम्मी को बताती हूँ वे भी मेरे हर काम में मेरी मदद करती
हैं| अब मैं समझ गयी हूँ कि यही समय अपने भविष्य की नींव रखने का है | मम्मी ने भी
समझाया कि यह उम्र प्यार या आकर्षण के लिए बहुत छोटी है |--सीमा की चमकती आँखों
में भविष्य के सपने श्यामली मैम को स्पष्ट दिखाई पड़ रहे थे|  

‘दैट्स लाइक माय ब्रेव गर्ल ....प्राउड ऑफ़ माय चाइल्ड |’उन्होंने उठकर
उसकी पीठ थपथपाई | 

‘लेकिन मैम एक बात कहूँ |अभी भी सौरभ
को देखने और मिलने का मन करता है |पर मैम, परेशान न हों |मैंने मन को मजबूत बना
लिया है और आप देखिएगा इस बार मेरा रिजल्ट बहुत अच्छा होगा|’---सीमा ने बड़े
विश्वास से कहा | 

‘आल द बेस्ट सीमा ’,जैसे ही श्यामली
मैम  ने कहा बेल बज गयी और सीमा क्लास में
जाने के लिए उठ खड़ी हुई |  

और खतरा टल गया था | 

श्यामली मैम के चेहरे पर राहत के भाव
थे लेकिन वे एक सप्ताह पहले की घटनाओं के बारे में सोच रही थी कि कितनी अफरातफरी
मची थी |उस दिन सीमा की सहेलियों से जानकारी मिलने के बाद उन्होंने जाकर सिस्टर को
बताया तो सिस्टर और श्यामली मैम ने तय कर लिया कि इस मामले को बड़ी नजाकत से हल
करना है क्योंकि लड़की डिप्रेस्ड होने के कारण आत्महत्या तक करने की सोच रही है|
अगर उसके साथ जबरदस्ती या डांट- फटकार की जाएगी तो वह और टूट जायेगी और उसका
भविष्य बनने से पहले ही बिगड़ जाएगा | वह कुंठा और हीन भावना से ग्रस्त हो जाएगी |इसलिए
पहले उसे अपने विश्वास में लेना होगा फिर उसे डिप्रेशन से निकालना था | 

लंच के बाद सिस्टर ,क्लास टीचर
श्यामली मैम और सीमा की मम्मी बैठे थे |सबने मिलकर यह निर्णय लिया कि सीमा को इस
डिप्रेशन से निकालने के लिए हम सबको उसका सपोर्ट सिस्टम बनना होगा और योजनाबद्ध तरीके से
काम करना होगा |घर और स्कूल दोनों ही जगह उसे विश्वास में लेकर काम किया गया और
उसी का परिणाम था कि खतरा टल गया| 

...... और एक मासूम जिन्दगी गुमराह होने से बच
गयी |    

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रचनाएँ
कोई तो हमें थाम लो
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बालपन से गुजरते हुए यौवन की दहलीज पर कदम रखने से पहले हर बच्चे को एक बड़ी ही कठिन अवस्था से होकर गुजरना पड़ता है और यही अवस्था उसके भविष्य निर्धारण में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाती है | अगर उन गलियों की भूल- भुलैया से बचकर वह निकल जाता है तो जिन्दगी बन गयी नहीं तो जीवन भर वे उलझनें उसका पीछा नहीं छोड़तीं | यह है किशोरावस्था .....बचपन और जवानी के बीच का संधिकाल....हार्मोनल चेंजेज से गुजरता हुआ बड़ा ही जोखिम भरा समय | बड़ी ही विचित्र कहानी होती है - न तो मन से पूर्ण विकसित और न ही तन से पूर्ण विकसित और मजे की बात यह है कि समझते वे अपने को किसी से कम नहीं | झल्लाहट तब होती है जब उनकी गिनती न तो बड़ों में होती है और न ही छोटों में |छोटों के बीच हों तो बड़े होने का ताना और बड़ों के बीच बैठ जाएं तो छोटे होने का उलाहना | ऐसे में वे जियें तो जिएँ कैसे ? लगभग सारा किशोर वर्ग यानी ‘टीनएजर्स’ अनेक अलग –अलग कारणों से शारीरिक और मानसिक प्रताड़ना का शिकार है | मन से पूरी तरह समझदार न होने के कारण प्रतिकूल परिस्थितियाँ आने पर मन में एक डर समा जाता है चाहे वह पिता की डांट का डर हो या शिक्षक की डांट का, किसी अनजान व्यक्ति की धमकी का या किसी रिश्तेदार के द्वारा अनैतिक दबाब का डर और इस भय का शासन तब तक मन पर चलता रहता है जब तक कोई सही दिशा निर्देश देने वाला नहीं मिल जाता है| मार्गदर्शक का भी कार्य भी तब तक उतना सरल नहीं होता है जब तक उन्हें वह अपने विश्वास में नहीं लेता| अपने शिक्षण कार्य के दौरान मुझे ऐसी अनेक परिस्थितियों का सामना करना पड़ा क्योंकि मेरा सम्बन्ध इसी उम्र के बच्चों के साथ था | इस उम्र के बच्चों को समझने और उनका विश्वास जीतने के लिए बड़े धैर्य और संयम की जरुरत होती है ऐसा मेरा अनुभव है | ऐसी स्थिति में चाहे उसके माता- पिता ,शिक्षक या रिश्तेदार हों सभी को अपना व्यवहार संतुलित रखने की आवश्यकता होती है| इस पुस्तक को लिखने का मेरा उद्देश्य कुछ इन्हीं से सम्बंधित परिस्थितियों, समस्याओं और समाधान की ओर सबका ध्यान आकर्षित करना है | मेरी सभी कहानियां किशोर वय के मनोभाव ,उलझनों और भटकाव में घिरती हैं लेकिन उनसे उबारने के लिए उनका हाथ थामने के लिए उनके अभिभावक या शिक्षक या कोई रिश्तेदार आगे आते हैं जिनके सहारे उन्हें भटकाव से मुक्ति मिलती है| चाहे वह ‘बहकते कदम’ की मिस श्यामली हो या ‘विरक्त मन’ की मौली मैम हो अथवा ‘इम्तिहान’ का जतिन | जहां ऐसे मार्ग दिखानेवाले नहीं होते वहीँ ये रास्ता भटक जाते हैं या आत्महत्या करने को अग्रसर हो जाते हैं | इसलिए जरुरत है कि हम इस उम्र की पेचीदगियों को समझे और उसी के अनुरूप व्यवहार करें | वर्तमान में इस उम्र के सामने इंटरनेट ,सोशल मीडिया आदि के कारण चुनौतियां और भी ज्यादा बढ़ गयी हैं | इन्हें हमारे छाँव और मार्गदर्शन की जरुरत है | इस दिशा में भी बहुत कुछ किया जा रहा है लेकिन अभी भी बहुत कुछ करने की आवश्यकता है | बच्चे के भविष्य के निर्माण की नींव तो इसी समय पड़ जाती है और नींव ही खोखली रहेगी तो भविष्य की इमारत बुलंद कैसे होगी ? इस नींव को हमारे सहारे की जरुरत है और जिस प्रकार एक भवन निर्माण करने वाले कारीगर को पता होता है कि उसे कहाँ कारीगरी दिखानी है उसी प्रकार हमें यह समझना होगा कि उन्हें हमारे सहयोग की कब, कहाँ और किस रूप में जरुरत है | कब उन्हें भावनाओं के स्नेहिल स्पर्श की चाह है और कब उनको मानसिक संबल की आस है |
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विरक्त मन

9 अगस्त 2022
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 ‘मौली..मौली क्या कर रही हो ...मैं कब से गाडी में बैठा तुम्हारे आने का इन्तजार कर रहा हूँ और एक तुम हो कि तुम्हारे काम कभी ख़त्म होने का नाम ही नहीं लेते ..जल्दी करो ’…राजेश ने जोर से बोलते हुए कार

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विरक्त मन

9 अगस्त 2022
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 ‘मौली..मौली क्या कर रही हो ...मैं कब से गाडी में बैठा तुम्हारे आने का इन्तजार कर रहा हूँ और एक तुम हो कि तुम्हारे काम कभी ख़त्म होने का नाम ही नहीं लेते ..जल्दी करो ’…राजेश ने जोर से बोलते हुए कार

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बहकते कदम

9 अगस्त 2022
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 ‘मम्मी मैंने कितनी बार आपको बोला है न मेरी चीजों को हाथ न लगाया कीजिए ..फिर भी आप हाथ लगाने से बाज नहीं आती हैं |’ सीमा लगभग चीखते स्वर में बोल पडी |  आज शनिवार था | अभी सुबह के नौ बज रहे थे | अमू

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मुक्ति

9 अगस्त 2022
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 टन...टन....टन असेम्बली की घंटी बजी | स्टाफ रूम में बैठे हम सारे शिक्षक- शिक्षिकाएं उठ खड़े हुए क्लास टीचर्स को अपनी - अपनी क्लास को लेकर असेम्बली ग्राउंड में जाना था और सब्जेक्ट टीचर्स को हर फ्लोर क

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