रेणु प्रसाद
मैं एक शिक्षिका होने के साथ-साथ लेखिका भी हूँ। मेरे विचार में लिखना स्वयं को अभिव्यक्त करने का सबसे अच्छा माध्यम है ,इसलिए मैं लिखती हूँ । मेरी कविताएँ,कहानियाँ,लेख आदि विभिन्न पत्रिकाओं के सोशल मीडिया में प्रकाशित होते रहते हैं । मीडियम प्लेटफॉर्म पर ब्लॉग भी लिखती हूँ। मेरी चार पुस्तकें प्रकाशित हो चुकी हैं।इनमें दो उपन्यास, एक काव्य संग्रह और एक कहानी संग्रह है। ये आमेजन पर उपलब्ध हैं ।
कोई तो हमें थाम लो
बालपन से गुजरते हुए यौवन की दहलीज पर कदम रखने से पहले हर बच्चे को एक बड़ी ही कठिन अवस्था से होकर गुजरना पड़ता है और यही अवस्था उसके भविष्य निर्धारण में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाती है | अगर उन गलियों की भूल- भुलैया से बचकर वह निकल जाता है तो जिन्दगी बन ग
कोई तो हमें थाम लो
बालपन से गुजरते हुए यौवन की दहलीज पर कदम रखने से पहले हर बच्चे को एक बड़ी ही कठिन अवस्था से होकर गुजरना पड़ता है और यही अवस्था उसके भविष्य निर्धारण में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाती है | अगर उन गलियों की भूल- भुलैया से बचकर वह निकल जाता है तो जिन्दगी बन ग