बहुत जिये उनके लिए
अब खुद के लिए जीना चाहतीं हूं
औरों की फ़िक्र छोड़
अब खुद की फ़िक्र करना चाहतीं हूं
हममें भी है हौसला
कितना ये आजमाना चाहती हूं
अब खुद के लिए जीना चाहतीं हूं
औरों की फ़िक्र छोड़
अब खुद की फ़िक्र करना चाहतीं हूं
हममें भी है हौसला
कितना ये आजमाना चाहती हूं
सबकी पहचान बनातीं रहीं
अब मैं खुद की पहचान बनाना चाहती हूं
रूकावटें तो बहुत आयेगी अब
उन रूकावटों से लड़ना चाहतीं हूं
हर चाह को दिया मजबूरी का नाम
उन चाहतों को अब पूरा करना चाहतीं हूं
कुछ खुशी हमको भी मिलें
उन खुशियों का आंसमा पाना चाहतीं हूं
जीवन के बचें इन आखिरी पलों में
मैं खुद कर जीना चाहतीं हूं ।