किसी का सहारा
किसी का सहारा बन कर
साथ दे पाओ तो बेहतर है
उजाले में तो सभी मिलते हैं गले,
अंधेरों में साथ दे पाओ तो बेहतर है
कुछ लोगों को नहीं है दरकार
किसी कीमती तोहफे की
इस भागती दौड़ती दुनिया में
उन्हें अपना कीमती वक्त दे
पाओ तो बेहतर है,
कुछ खामोशियों में छुपी होती है कयी बातें
हंसते हुए चेहरों के पीछे दर्द पलते हैं
यूं तो मुमकिन नहीं हर दिल को समझ पाना
तुम समझने की कोशिश भी कर पाओ तो बेहतर है,
दर्द भरे चेहरे पर हंसी लाना मुश्किल है
तुम एक हल्की सी मुस्कान ला पाओ तो बेहतर है
उन गहरी आंखों को पढ़ पाओ तो बेहतर है ।
मंजू ओमर
झांसी
रचना र्पूणतया मौलिक और स्वरचित है