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बाजार १भाग

9 दिसम्बर 2021

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सुकू अगर चाहिए तो
हलचल बेच दूं
चलो यारों अपना 
जिगर भेज दूं,

ख्वाब हो गलत तो 
नजर भेज दूं,
इरादों के खातिर 
सजर बेच दूं,

चलो यारों अपना
 जिगर बेच दूं,


सलीका ना हो तो 
हुनर बेच दूं 
शराफत ना हो तो 
यह सर बेच दूं,

दुआएं मिले तो 
असर बेच दूं,
इज्जत के खातिर
बसर बेच दूं,

सच्चाई ना हो तो
जुबा बेच दूं,
भरोसा ना हो तो
 वफा बेच दूं

खुशियों के खातिर 
यह गम बेच दूं,
जिंदगी मिले तो
उमर बेच दूं,

चलो यारों अपना 
जिगर बेच दूं,
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रचनाएँ
जीवन के बाजार,
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यह हमारी एक कविता का शीर्षक है जिस कविता को हम बाजार नाम से प्रकाशित करना चाहते हैं, 5 भाग है जो आप सबके सामने सब दिन पर हम लिखकर अपनी रचनाओं का संकलन आप सबके सामने पेश करते हैं।

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