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एक साथ

13 दिसम्बर 2021

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हम चलते गए कारवां बनता गया
तेरे प्यार से मेरा रास्ता संवरता गया
उलझने इतनी थी की कदम रुक रुक गए
साथ अपनो का था मुस्किलें डरती रही,

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रचनाएँ
जीवन के बाजार,
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यह हमारी एक कविता का शीर्षक है जिस कविता को हम बाजार नाम से प्रकाशित करना चाहते हैं, 5 भाग है जो आप सबके सामने सब दिन पर हम लिखकर अपनी रचनाओं का संकलन आप सबके सामने पेश करते हैं।

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