यह हमारी एक कविता का शीर्षक है जिस कविता को हम बाजार नाम से प्रकाशित करना चाहते हैं, 5 भाग है जो आप सबके सामने सब दिन पर हम लिखकर अपनी रचनाओं का संकलन आप सबके सामने पेश करते हैं।
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<div>सुकू अगर चाहिए तो</div><div>हलचल बेच दूं</div><div>चलो यारों अपना </div><div>जिगर भेज दूं,
<div>कुछ कम था</div><div>ज्यादा रखा,</div><div>मेरे हिस्से में मां आधा रखा,</div><div><br></div><div
<div>उमड़ उमड़ कर </div><div>घुमड़ घुमड़ कर </div><div>मन में उठे हिलोर,</div><div>ह
<div>हम चलते गए कारवां बनता गया</div><div>तेरे प्यार से मेरा रास्ता संवरता गया</div><div>उलझने इतनी