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बारिश की बूंदे

21 दिसम्बर 2022

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दूर गगन से हल्की फुल्की ,
          बारिश की बूंदे छलकी,
                   सबको है मदमस्त किया,
                            मन को है जैसे हर लिया।

प्यासी धरती थी कल की,
      तृष्णा इसकी तृप्त की,
            पशु पक्षी सब नाच उठे,
                   मयूर के अतरंगी पंख खुले।

सीप के मुंह में जब टपकी,
       मोती बन सुंदर अटकी,
             नभ को इसने नया रूप दिया,
                   इंद्रधनुषी रंगों से तरबतर किया।

लहराती हुई हल्की- हल्की
        हैं मस्ती में यह चलतीं,
             जो नन्हे बीजों को छू लिया,
                    तो नया जीवन स्वरूप दिया।
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रचनाएँ
फुलझड़ी
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नन्हे-मुन्ने छोटे छोटे बच्चों के लिए, नन्ही नन्ही छोटी कविताओं का रंग बिरंगा संग्रह।
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किसान

20 दिसम्बर 2022
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किसान दिवस (२३.१२ ) पर हमारे भारतवर्ष के किसानों को समर्पित एक कविता.. सूरज की पहली किरण संग उठता , नहीं करता आराम, दिन भर में हूं हल जोतता , बिना करें विश्राम। चाहे हो शरद या हो वर्षा , नहीं लगाता वि

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बारिश की बूंदे

21 दिसम्बर 2022
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दूर गगन से हल्की फुल्की , बारिश की बूंदे छलकी, सबको है मदमस्त किया, &nb

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बढ़े चलो

23 दिसम्बर 2022
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ख्वाब देखोगे तो ही पूरे होंगेइंद्रधनुष के रंग तुम्हें , तभी नजर आएंगे,कश्ती हमारी कभी किनारा ढूंढ ही लेगी,दूर गगन में हम भी गश्त लगाएंगे।कम नहीं है दम हमने किसी से भी,इस दुनिया को यह दिखाएंगे,कर गुजरे

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सीखो

24 फरवरी 2023
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नदी से नित चलना सीखो,फूलों से मुस्काना सीखो,बारिश की निर्मल बूंदों से,मंद मंद तुम गाना सीखो।वृक्षों से फल देना सीखो,इंद्रधनुष के रंग देना सीखो,सीखो घनी रात से धीरज,धरती से बोझ उठाना सीखो।सूरज देखो क्य

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चलो मिलकर

19 मई 2023
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चलो मिलकर हम कदम बढ़ाए,चलो मिलकर हम वतन सजाएं,चलो भारत को प्यारे अपने हम,मिलकर सुखी, समृद्ध बनाएं…चलो मिलकर हम बढ़ते जाएं,चलो मिलकर हम एक हो जाएं,चलो ले ध्वजा अपनी हम,हिमालय के शिखर पर लहराए….चलो भेदभ

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