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बारिश की बूंदे

21 दिसम्बर 2022

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दूर गगन से हल्की फुल्की ,
          बारिश की बूंदे छलकी,
                   सबको है मदमस्त किया,
                            मन को है जैसे हर लिया।

प्यासी धरती थी कल की,
      तृष्णा इसकी तृप्त की,
            पशु पक्षी सब नाच उठे,
                   मयूर के अतरंगी पंख खुले।

सीप के मुंह में जब टपकी,
       मोती बन सुंदर अटकी,
             नभ को इसने नया रूप दिया,
                   इंद्रधनुषी रंगों से तरबतर किया।

लहराती हुई हल्की- हल्की
        हैं मस्ती में यह चलतीं,
             जो नन्हे बीजों को छू लिया,
                    तो नया जीवन स्वरूप दिया।
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शब्द mic
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रचनाएँ
फुलझड़ी
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नन्हे-मुन्ने छोटे छोटे बच्चों के लिए, नन्ही नन्ही छोटी कविताओं का रंग बिरंगा संग्रह।
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