किसान दिवस (२३.१२ ) पर हमारे भारतवर्ष के किसानों को समर्पित एक कविता..
सूरज की पहली किरण संग उठता ,
नहीं करता आराम,
दिन भर में हूं हल जोतता ,
बिना करें विश्राम।
चाहे हो शरद या हो वर्षा ,
नहीं लगाता विराम ,
अथक प्रयास करता हूं निरंतर ,
जब तक ना मिले आयाम ।
सुंदर पीली मंजरी लहराती ,
मिलता सुखद परिणाम,
सच्ची मेहनत और लगन का फल,
देते है अवश्य भगवान।
अपनी प्यारी फसल सींचता,
लेकर मैं प्रभु का नाम ,
मैं ही हूं अन्नदाता इस जग का ,
मैं हूं मेहनती किसान!
स्वरचित
लिपिका भट्टी