बेटियाँ हैं तो कल हैबेटियों से खुशियाँ हर पल हैंबेटियाँ हैं कुदरत का अनमोल उपहारउनसे ही आगे बढ़ता है घर संसार।बेटियाँ बोझ नहीं सम्मान होती हैंहर घर की गीता और कुरान होती हैंहर पल रखती है ख़याल अपनों काऔ
बड़े जतन से बोये जाते हैं बेटे,पर उग आती हैं बेटियॉं,जैसे गेहूँ के खेत में, बेमतलब की झाड़ियाँ,खाद पानी बेटों में,पर लहराकर बढ़ती जाती हैं बेटियाँ।उँगली पकड़ कर चलाये जाते हैं बेटे,पर सरपट दौड़ जाती ह
रानीबेटी लाडली बेटी डॉ शोभाभारद्वाज भारतीय वायुसेना के पास फाईटर प्लेन उड़ाने वालीदस महिला पायलेट हैं फाईटर प्लेन सुपरसोनिक जेट्स उड़ाना आसान नहीं है इन्हें कठिन ट्रेनिग सेगुजरना पड़ता है | बनारस की प्लाईट लेफ्टिनेंट शिवानी सिंह दुनिया के सर्वोत्तमश्रेणी के फाईटर प्लेनों में से एक रफेल की पहली महिला प
यह कौन -सा विकास हो रहा है ...? जहाँ ,गलत को सही ,और ,सही को दबा देने का प्रयास हो रहा है !वे कहते हैं ,साक्षरता बढ़ रही है । समाज की कुंठित सोच तो आज भी पनप रही है ।औरत आज भी है ,मात्र हाड़ -माँस की कहानी , शरीर की भूख मिटा , जिसे रौंद कर मिटा देने में है आसानी!हाँ ,यह लोकतंत्र है ...!अंधा क़ानून सबूत
हक न सही जीने की आजादी दो।देश की कोहनूर है बेटियाँ, इन्हें चुराया नही जाता।घर की शान है बेटियाँ बचाया और पढ़ाया जाता।वक्त आने पर बेटी किसी और के लिए सजाई जाती।एक और दुनियाँ बसाने के लिए दुल्हन बनाई जाती ।चीख़-चित्कार के झमेलों में क्यो फसाई जाती है बेटीयाँ?नूर और हूर होने के बावजूद क्यो छेड़ी जाती है ब
हम तुम्हें अब ये बताना चाहते हैं हम सभी से दूर जाना चाहते हैं घर में बेटी कैदकर के रखने वाले चार-सू चिड़िया उड़ाना चाहते हैं आँख से आँसू गिराकर उम्रभर हम प्यास होंठो की बुझाना चाहते हैं हम सियासत क्या करेंगे आप करिये हम तो अच्छा आबदाना चाहते हैं
 'साहब !मैं तो अपनी बेटी को घर ले आता लेकिन यही सोचकर नहीं लाया कि समाज में मेरी हंसी उड़ेगी और उसका ही यह परिणाम हुआ कि आज मुझे बेटी की लाश को ले जाना पड़ रहा है .'' केवल राकेश ही नहीं बल्कि अधिकांश वे मामले दहेज़ हत्या के हैं उनमे यही स्थिति है दहेज़ के दानव पहले
बेटियाँफूलों की तरह खिलखिलाती हैं।खुशबू की तरह मेहकाती हैं।परियों का रूप लेकर आती हैं।सबकी किस्मत में नहीं होती,किसी किसी घर को ही रोशनाती हैं बेटियां।दुखों में साथ कभी न ये छोड़ती।अपनों से कभी मुंह नहीं मोड़ती।अकेले में बैठ कर चाहे घंटों रो लें।सामने हर दुःख हंस के जर लेती हैं बेटियां।न चाहते हुए भी