बच्चे भगवान तुम भगवान के पिताजी,
ऊँची कैंटीन की बेकार पावभाजी।
पानी बेभाव सागर बगल में दहाड़े,
जिह्वा है ऐंठती क्या खूब जालसाजी।
माना बलवान हो है पूँछ भी तुम्हारी,
रावण के बन्धुगण देने को आग राजी।
सोंचो शैतान आखिर चीख क्यों पड़ा है?
उसके व्यवसाय पर भगवान है फिदा जी।
पत्ती तू पेड़ का षडयंत्र भी समझ ले,
खाती है धूप देती किन्तु छाँव ताजी।
काँटों में नैन के उलझा हुआ कलेजा,
ले लो जो चाहते हो दिल न फाड़ना जी।