अगर कोई पूछे कि आपने अपनी ज़िंदगी में सबसे क्रूर मज़ाक क्या सुना हैं तो मैं कहूँगा, "भारत का कानून सब भारतीयों के लिए एक बराबर हैं"। आरक्षण कानून, अल्पसंख्यक कानून, निजी कानून होने के बाद भी कोई दावा करे कि कानून सबके लिए एक बराबर हैं तो वो मज़ाक के अलावा कुछ हो ही नही ह