सोशल मीडिया पर बुलाए भारत बंद (जनरल) का असर बिहार की सड़कों पर दिखने लगा है. वही बिहार, जहां भारत बंद को ठंगा दिखाते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अलग-अलग कार्यक्रमों में हिस्सा लेने वाले हैं. आज चंपारण सत्याग्रह की वर्षगांठ है, उसी के कार्यक्रम में प्रधानमंत्री को शरीक होना है. इसके बाद वो मधेपुरा में देश में बने सबसे ताकतवर रेल इंजन को हरी झंडी भी दिखाने जाने वाले हैं. लेकिन बावजूद इसके बिहार के अलग-अलग शहरों से लगातार हिंसा की खबरें आ रही हैं. आरा में पुलिस के एसडीओ पत्थरबाज़ी को काबू करने की कोशिश में घायल हो गए हैं. इससे भी बड़ी खबर ये कि हाजीपुर में केंद्रीय मंत्री उपेंद्र कुशवाहा के साथ बदलसलूकी हुई है. केंद्रीय गृहमंत्रालय ने देश के सभी राज्यों को बंद के दौरान हिंसा से सख्ती से निपटने के आदेश जारी कर दिए हैं.
कौन हैं उपेंद्र कुशवाहा?
उपेंद्र कुशवाहा केंद्रीय मानव संसाधन मंत्रालय में राज्यमंत्री हैं. राजनीति की शुरुआत करते वक्त वो युवा लोक दल, युवा जनता दल से जुड़े रहे. बाद में वो समता पार्टी से होते हुए जनता दल (यूनाइटेड) में गए. बिहार विधानसभा में वो नेता प्रतिपक्ष रह चुके हैं. जनता दल (यूनाइटेड) के टिकट पर वो राज्यसभा भी गए थे. लेकिन दिसंबर 2012 में नीतीश से खटपट के बाद उन्होंने पार्टी छोड़ दी और राज्यसभा भी. 2013 में उपेंद्र ने अपनी अलग पार्टी बनाई राष्ट्रीय लोक समता पार्टी नाम से. कुशवाहा ने तब कहा था कि उनकी पार्टी लालू, और एनडीए दोनों को बिहार से बाहर करने पर काम करेगी. तब बिहार में एनडीए माने जनता दल (यूनाइटेड) और भाजपा दोनों होता था. कुशवाहा की पार्टी के आने के कुछ वक्त बाद नीतीश ने एनडीए छोड़ दिया था.
फरवरी 2014 में कुशवाहा ने वापस एनडीए में आ मिले. 2014 के आम चुनाव के लिए. भाजपा ने उन्हें बिहार में तीन सीटें दीं – सीतामढ़ी, काराकाट और जहानाबाद. मोदी लहर में राष्ट्रीय लोक समता पार्टी ये तीनों सीटें जीती. कोइरी (ओबीसी) समाज से आने वाले कुशवाहा काराकाट (जो बिहार के ओबीसी बहुल रोहतास जिले में पड़ता है) से सांसद बने और अब केंद्र में राज्यमंत्री हैं.
भारत बंद -(जनरल) के दौरान कुशवाहा की गाड़ी उनकी सुरक्षा में तैनात पुलिस बल समेत हाजीपुर में एक भीड़ द्वारा रोक ली गई जहां जाम लगा था. गाड़ी रोकने के बाद वहां जमा भीड़ ने हो-हल्ला मचाया. घटना के वीडियो में ‘जातिवाद का नारा देने वाले नेता हैं ये..’ की तरह की बातें सुनाई आती हैं. उपेंद्र भीड़ में शामिल लोगों से बोले कि उन्हें रोककर क्या मिलेगा. लोगों को समझाने के लिए वो गाड़ी से उतरे भी. मंत्री जी के साथ पुलिस के जवान थे, जो बीच-बचाव करके उन्हें सकुशल वापस ले गए.
एक्स्ट्रा ज्ञान हाजीपुर के बारे में
पटना से निकलकर मुजफ्फरपुर और दरभंगा की तरफ निकलिएगा, तो राजधानी से ठीक सटा हुआ है हाजीपुर. गंगा पर एक लंबा सा नदी पुल है- महात्मा गांधी सेतु. उसी पर चढ़कर पटना से हाजीपुर जाते हैं. नीचे केले के घने बाग. बाग क्या, उनको जंगल ही समझ लीजिए. यहां होने वाला केला बड़ा मशहूर है. उंगली के साइज का मीठा-मीठा. चिनिया केला बोलते हैं इधर इसको. गंगा पुल की दो खासियत है. पहली- एक समय में ये एशिया का सबसे बड़ा नदी पुल था. दूसरी- इसकी हमेशा मरम्मत ही होती रहती है.
हाजीपुर का हिस्ट्री कनेक्शन भी है. जिस वैशाली को हम हिंदुस्तानी दुनिया का पहला लोकतंत्र कहते हैं, वो इसी हाजीपुर में ही पड़ता है. वैशाली में लिच्छवियों का राज था. वैशाली अपने पड़ोसी पाटलिपुत्र साम्राज्य को जीभ चिढ़ाता था. जब सब झुक गए थे, तब भी इसने अजातशत्रु के आगे अपनी रीढ़ की हड्डी तानी हुई थी. कहते हैं कि इसे हराने के लिए मगध के महान राजा अजातशत्रु को ‘वैशाली की नगरवधू’ से प्रेम का नाटक करना पड़ा. ये हाजीपुर का इतिहास है. इस इतिहास का वर्तमान से कोई लेना-देना नहीं. अब जो चीज इस शहर पर सबसे ज्यादा हावी है, वो है जाति की पॉलिटिक्स. पॉलिटिक्स में हाजीपुर का सबसे ज्यादा नाम किया है रामविलास पासवान ने. पासवान हाजीपुर से ही हैं.
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