shabd-logo

भारत क्रांति

23 अगस्त 2022

43 बार देखा गया 43
बिखर गए टुकड़ो में हम
गिरे मिले इस मिट्टी में
जब जंजीरे जकड़ी माँ को थी 
आज़ादी का साधन न था 
जात पात में बट गए थे
कट गए थे धर्म से अपने
भेद भाव जब बड़ा अधिक था
सर पर थी अंग्रेजी सत्ता।

ये सत्ता बहुत पुरानी थी
मुग़लो ने भी संभाली थी
और हमने सही गुलामी थी 
बस हमने सही गुलामी थी

गुरु नानक की हुंकार से
धर्म के रक्षक बोल उठे 
मुग़लो के ह्रदय के भीतर
देश भक्त के ख़ौफ़ उठे
देश धर्म के नारों से
बस आज़ादी की आस थी
तब प्रताप की तलवार ने
अकबर को दी ललकार थी
रक्त शिवा का  खोल उठा 
काल अफ़ज़ल का भी डोल उठा
गुरु गोविंद के पुत्र बलिदान ने 
भारत माँ के सम्मान में
शीश चरणों मे अपना चढ़ा दिया
औरंज़ेब का शासन हिला दिया।

पर दूर अभी आजादी थी
अभी मुग़लो की ही बारी थी
बावर से लेकर बहादुर तक
मुग़लो ने ही राज किया
मेरी भारत माता को
जंजीरो में ही जकड़ दिया
बस और नहीं सहेंगे हम
हम आज़ादी के मारे थे 
उस स्वतंत्रता संग्राम में
वीर हमने भी उतारे थे
काल 1857 का
प्रथम स्वतंत्रता संग्राम था
और बहादुर की गद्दी गिर गई
मुगल शासन का पतन हुआ
सोचा माँ को पुकार दूँ माँ...
अब ये अपना वतन हुआ।

माँ ने सुनकर दिल से बोला
सुन मेरे प्यारे बालक
क्या पता आज़ादी मेरी 
अभी कितनी कोशो दूर है
और आज़ादी के मतवालों पर 
कितनी आँखें क्रूर हैं।

मुग़लो का शासन पतन हुआ पर
अब अंग्रेजो की बारी थी
माँ के चरणों मे नतमस्तक हम
हमें धरती माँ ही प्यारी हैं
हम भारत माँ के रखवाले
हमें आज़ादी की आश थी
फिर आज़ादी के मतवालों में
मंगल ने हुंकार दी
और जय हिंद के नारों से
अंग्रेजो को हुंकार दी।

फिरंगियों के शासन में
विक्टोरिया का राज हुआ
हुआ कभी ना था ऐसा
वो सब सारा आज हुआ
समय विपरीत भारत का था
वक्त गजब का खेल गया
अखंड भारत को नजर लगी
खंड खंड में फैल गया 
इतिहास रचा गया ऐसा
की भेद भाव का खेल हुआ

अब  जात पात में बट गए है
धर्म से अपने कट गए है
आज़ादी की आश लिए
कर्म से अपने हट गए है

बस और नहीं सहेंगे हम
हमे आज़ादी की आश है
फल ईच्छा बिन कर्म करेंगे
हम भारत की शान है

शान हमें देश पर थी 
बल बुद्धि के तेज पर थी
किन्तु जीत अभी मिली नहीं 
आज़ाद जंग जारी रही
वो शासक छल कपट के थे
फुट डाल शासन करते
राजा मंत्री सब उनके गुलाम
लाचार हुए मजदूर किसान
फुट डाल शासन करते
सत्ता प्रशासन सब उनके।

गुलाम हमको बनाकर के
भारी बेड़ी में जकड़ दिया
हमारे देश मे हमसे ही हमको
बहुत ही गहरा सबक दिया।

सबक एकता के शुत्र का
बंधु बंधु और भाई मित्र का
राष्ट्र धर्म के अस्त्र शस्त्र का
सबक अखंडता के मंत्र का।
सबक मिला जलगई बाती
एक हुए बिखरे साथी
जात पात का ढोंग मिटा दो
ये दहाड़ रही अपनी छाती।

अब काल दुष्ट का आया हैं
अंग्रेजो को फरमाया हैं।
स्वेत अश्व पर हुए सवार
धरती की रक्षा को तैयार
जिसे देख शत्रु छोड़े पानी
फिरंगी विरूद्ध झाँसी रानी
शत्रु  सत्ता डगमग डोले
झाँसी के शस्त्र भी ये  बोले
हम शत्रु मार भगाएंगे
और भारत विजय बनाएंगे।

यहाँ भी गाथा शौर्य रही
पर आज़ादी अभी तक मिली नहीं
चिंगारी तो शूलगादी गई
पर वक्त को ये मंजूर नहीं।

वक्त चला और बात चली
दिल पर लगी जो घात चली
आश चली आज़ादी की
शत्रु सत्ता बर्बादी की।

तात्या टोपे की गर्जन से
सेना की तलवार उठी
तलवारो की ललकारो ने
तेज तुरंग धारों ने
धर से मस्तक भिन्न किया
प्राण शत्रु से छीन लिया
पर वह भी घमंड प्रपंची थे
तात्या अकेले क्या करते।

सेना केवल एक राज्य की
शत्रु नहीं हरा सकती 
साथ राष्ट्र को चलना होगा
समस्त भारत को लड़ना होगा

पंजाब, कश्मीर, लाहौर, हिमाचल
आंध्र प्रदेश, केरल, कर्नाटक
असम, त्रिपुरा, मेघ, बंगाली
गुजरात, मराठा,धरती मेबाड़ी

दिल्ली और उत्तर प्रदेश
दसों दिशा से मेरा देश

धरती अम्बर कैलाश शिखर
सात नदी हिन्द समंदर
जब पांचजन्य बजाएगा
घनघोर प्रलय मच जाएगा
शत्र उठे शत्रु के समक्ष
और कुरुक्षेत्र बन जाएगा 

अंत अधर्मी का होगा
दुष्ट कुकर्मी का होगा
जंजीरे तोड़ी जाएगी
या तो पिघलादि जाएगी
जंग लगे पहुँचेगा घात
अंग्रेजी सत्ता पर आघात
होगा पुनः गीता का सार
मेरा भारत होगा आज़ाद
 
वक्त याद करेगा वीरो को
रणभूमि के रण धीरो को
होते तो मिलती आज़ादी
सम्राट वीर विक्रमादि
कृष्ण देव तेनाली जी
चंद्रगुप्त और चाणक्य
सम्राट अशोक पृथ्वी राजे
ज्ञात राष्ट्र के वीरो का
भारतभूमि के शेरो का
कर मस्तक अब तन जागे
देख शत्रु और भग जावे
नव युग में नूतन उदय
मेरा भारत होगा  विजय

आज़ादी के मतवालों का
भारत माता के लालो का
फिर से जन्म हुआ है जी
फिरंगियों के कालों का

आज़ादी का मन में आनंद
ले झूम उठे विवेकानंद
भारतभूमि से पश्चिम तक
भारत का गुणगान किया
कर विदेशो में भ्रमण
भारत माता का नाम किया

योगिराज बिरसा मुंडा ने 
अंग्रेजी शासन हिला दिया
बंकिमचंद्र आप्टे वीरों ने
ख़ौफ़ दिल मे फैला दिया
जब सत्ता हुई इनकी कमजोर
गरम हथौड़ा दे मारा

मदनलाल और खुदीराम की
छाती अब हुंकार भरे
करतार मुकुंद और दीनदयाल भी
शेरो सी ललकार करे

ह्रदय शत्रु का कर कमजोर
मस्ती में बसंत भी डोल उठा
भारत माँ की रक्षा हेतु
अमीरचंद्र भी बोल उठा
यतीन्द्रनाथ वीर सावरकर का
लाल लहूं भी खोला था
भारत माता के ये सेवक 
भगवा इनका चोला था

केशव माधव गंगाधर ने
वीरो सी कथा दिखाई है
आज़ादी हेतु अपने तन पर
लाला ने लाठी खाई है
बलिदान हुए है जाने कितने
भारत आज़ाद कराने को
मन विचले जाने कितनों के
वंदेमातरम गाने को

शत्रु की छाती करने भयभीत
अब स्वयं प्रलय बन जाना है
राष्ट्रगान को खुले अम्बर तक 
रवींद्रनाथ को गाना है

सरफ़रोशी की तमन्ना
गीत सदा जिसने गाया
काण्ड करा काकोरी का जब
देख के शत्रु घबराया
रामप्रसाद अस्वाक तुल्ला ने
घनघोर प्रलय मचाया था
अंग्रेजी सत्ता दहलाने को
आज़ाद धरा पर आया था

गुलाब कौर भीखाजी कामा भी
शत्रु के सम्मुख आये थे
कूद पड़े थे ये भी रण में
भारत आज़ाद कराने को

राजगुरु सुखदेव भगतसिंह
तीन केसरी भारत के
इंकलाब का नारा था
सपने इनके आज़ादी के
दुश्मनो की जड़ पकड़ी थी
शत्रु कंगाल कराने को
दिन दहाड़े सांडर्स दे मारा
भारत का रूप दिखाने को
असेम्बली  में फोड़ा था बम
दत्त ने इन्हें सुनाने को
गूंज उठे आज़ादी नारे
बहरे कान जगाने को

जलियाबाले का बदला भी
भारत वीरो ने ले डाला
लंदन में जाकर दायर को
उधम सिंह ने दे मारा

गांधी जी का भी नारा
भारत आज़ाद कराना है
हिन्द फ़ौज को लेकर दिल्ली
सुभाष चंद्र को जाना है
भारत के लाल सुहाने है
ये अनमोल रतन की माला है
 देखा सपना आज़ादी का जो
मानो सच होने वाला है

 वक्त बड़ा ही निकट आ रहा
कमर कसे अब बैठे हम
आजादी का जो भीतर सपना
आजाद धरा को देखे हम
उठा वीर मस्तक ऊँचा अब
शत्रु में कितना जोर है
सन 47 में पलड़ा अब
देखे कितना किस और है
देखे छाती अंग्रेजों की
कितनी चौड़ी हो जाती
हो सत्ता आगे भी इनकी
या सत्ता छीनी जाती

समय भयंकर तांडव करता
वीरो की आँधी आई है
भयभीत करने शत्रु सत्ता
भूमि भी मचलाई है

वक्त दिखाई देने लगता
उस अंग्रेजी सत्ता को
अंत दिखाई देने लगता
उस अंग्रेजी सत्ता को
जब काल दिखाई देने लगता
तो जाने की तैयारी की
पहले उनकी सत्ता थी
अबकी अपनी बारी थी

कदमो में अपने छाले पाकर
रथ यहाँ तक आया है
वीरो ने अपना रक्त बहाकर
भारत आजाद कराया है
मध्य रात्रि की सोभा में
दिन का सूरज चमक रहा
काली काया की बैड़ी पर
आज़ाद हथौड़ा थमक रहा  

पता नही आज़ादी हेतु
कितनो का लहु लुहान हुआ
कितनो ने तो बचपन खोया
और तरुण वीरान हुआ

पता नहीं कितनों के मस्तक 
तन से अलग हुए है जी
आज़ादी पाने की खातिर
कितने जतन हुए है जी

भारत आज़ाद कराने पर
रजवाड़ो का जो ढेरा था
लौह पुरुष ने इन मोती को
एक शुत्र में फैरा था

राष्ट्र शक्ति की विजय पताका
ऊँचे अम्बर तक लहरे
भीमराव की भारत भक्ति
कानून बनकर के लहरे

धरती का रंग लाल हुआ है
तब आज़ादी पाई है
एक नही सौ सौ सिंगहो ने
अपनी जान गवाई है

परम पूज्य की वेला है कि
भारत आज़ाद कराया है
भारत आज़ाद कराया है पर
खंड खंड में पाया है
                           भारत माता की जय









20
रचनाएँ
स्वराज काव्य
0.0
वक्त है स्वराज का देश भक्ति कविताएँ
1

भारत क्रांति

23 अगस्त 2022
2
1
0

बिखर गए टुकड़ो में हमगिरे मिले इस मिट्टी मेंजब जंजीरे जकड़ी माँ को थी आज़ादी का साधन न था जात पात में बट गए थेकट गए थे धर्म से अपनेभेद भाव जब बड़ा अधिक थासर पर थी अंग्रेजी सत्ता।ये सत्ता बहुत पु

2

भारत माता की जय

23 अगस्त 2022
0
0
0

माँ मेरे कायर मन मेंवीरो सी आग लगा देनामाँ मेरे कायर तन को चिंगारी से सुलगा देनावीरो का में गुणगान करूमाँ सच्चा वीर बना देनामेरी इस कायर बुद्धि मेंमाँ बौद्धिक तेज़ जगा देनाछत्रपति , राणा जैसी&nbs

3

गा तू वंदेमातरम

23 अगस्त 2022
0
1
0

शंख की पुकार येसिंह सी दहाड़ हैहाथ मे कटार लेथामने नहीं कदमतू सुन जरा तू गा वतन गा तू वन्देमातरम।१।बुद्धि का प्रमाण देभक्ति का प्रमाण देप्रमाण दे तू शक्ति का हम नही कीसी से कम सुन

4

शान तिरंगा

23 अगस्त 2022
0
1
0

देश भक्ती है ढोंग दिखावायह सब कहने वालोंनहीं तिरंगा छत पे लगानान dp पर डालोमान लिया है तुम सच्चे होऔर हम सब झुटे हैलगा तिरंगा हम dp पर ढोंग बहुत करते हैफिर भी अपनी सत्य कथा काएक प्रमाण तुम देनाहर

5

लहराये जा परचम

23 अगस्त 2022
0
1
0

क्यों हार के बैठे होतुम अपनी ही कश्ती मेंयह दुब रही है क्याया छिद्र हुआ इसमेसंकटो के बादल सेक्या दिशा भटकती हैभटकते मन से क्या कभी नौका चलती हैसागरों के सागर कोकभी सुखते देखा हैपर्वतों से अम्बर क

6

भारत माता की जय जयकार

23 अगस्त 2022
0
0
0

चाहो तो कैलाश हमारान चाहने पर पत्थर भी छुटेचाहो तो सागर पर काबून चाहने पर मटका भी फूटेचाहो तो अम्बर पर शासनन चाहने पर धरती भी छूटेचाहो तो हमसे भयभीत होकाल के प्राण भी छूटेचाहो तो जीवन की धाराचाहो तो भ

7

चमकौर का युद्ध

23 अगस्त 2022
0
0
0

चिड़ियों से मैं बाज लड़ावा गीदड़ों को मैं सिंह बनावा सवा लाख से एक लड़ाऊं तबहुँ गोविंद सिंह नाम कबहुं पर्वत जिसके पाव पखाड़े अंधकार भय खाता हो जिसकी चलती कृपाण कृपा करती है रण भूमि जय जय करती है छोड़ के आन

8

प्रभु वर दो

23 अगस्त 2022
0
0
0

इन हाथो में तलवार थमा दो लाकर तीर कमान थमा दो और थमा दो चक्र सुदर्शन भगवा विजय निशान थमा दो भारत का संविधान सुना दो पुस्तक वेद पुराण सुना दो हल्दी घाटी मैदान सुना दो पृथ्वी राणा का राग सुना दो सागर भू

9

तीर चले और वीर चले

23 अगस्त 2022
0
0
0

तीर चले और वीर चलेफूलो से सारे शूल टलेजब वीरो की शमशीर चले देख नाग गले शत्रु न छलेजब आग जमे और नीर जलेऔर काल डरे जब रात ढलेगर्जन कर करके धीर चलेमाता पर जान लुटाने को जीवन को धन्य बनाने को&nb

10

राग देश

23 अगस्त 2022
0
0
0

तीर चले और वीर चलेफूलो से सारे शूल टलेजब वीरो की शमशीर चले देख नाग गले शत्रु न छलेजब आग जमे और नीर जलेऔर काल डरे जब रात ढलेगर्जन कर करके धीर चलेमाता पर जान लुटाने को जीवन को धन्य बनाने को&nb

11

धर्म शस्त्र

24 अगस्त 2022
0
1
0

(1)अधर्मी:-ये काले काल का कलयुग हैअधर्मी धर्म शस्त्र से बोलामें अधर्मी पाप मनुजअंधकार का साया हूँमें अधर्मी तेरे धर्म का नाश करने आया हूँमें अधर्मी दुष्ट हूँ दैत्य हूँ हैवान हूँइस जगत के प्र

12

गीत सुहाने गाये हिंदी

24 अगस्त 2022
0
1
0

गीत सुहाने गाये हिंदी जग रोशन कर जाए हिंदी जीवन को महकाये हिंदी तन मन को हर्षाये हिंदी राष्ट्र प्रेम की भाषा हिंदी भारत विजय पताका हिंदी जय हिंदी का नारा हिंदी भारतवासी भाषा हिंदी माँ भारत का उपहार हि

13

गुरु

24 अगस्त 2022
0
1
0

गुरु है ईश्वर गुरु है पूजागुरु ही जीवन न कोई दूजागुरु दिवाकर गुरु है चंदागुरु ही विष्णु शंकर ब्रम्हागुरु है ऊर्जा गुरु है भक्तिगुरु ही मेरे मन की शक्तिगुरु है अर्पण गुरु है तर्पणगुरु ही मेरे सच का दर्

14

दौड़ अभी भी जारी है

24 अगस्त 2022
0
1
0

जो खोना था सब खो चुकेखोकर जीवन हार चुकेअब जीत की तैयारी हैकुछ पाने की बारी हैदौड़ अभी भी जारी हैनंगे पांव हमारे हैकांटे भी लगते जारे हैघाव हुआ गहरा कदमों मेंअब दर्द सहने की बारी हैदौड़ अभी भी जारी हैअंग

15

विजय दशमी

24 अगस्त 2022
0
1
0

पर्व विजय दशमी का आयासत्य की विजय को लायाकहानी वही त्रेता की हैकथा राम राज्य की हैवनवास चौदह वर्ष का थाअवसर न कोई हर्ष का थावन के भीतर वास राम का सुर्फ़नखा का प्रवास वहाँ थामोहित होकर वह राम परसीत

16

है मेघ बरसने वाले

24 अगस्त 2022
0
1
0

है मेघ बरसने वालेअब थोड़ा विश्राम करोरौद्र रूप प्रलेयांकरकारीपुलकित हो आराम करोहै धरा को जल से भरने वालेकैसी प्रलय दिखा डालीकर्ण कर्ण को पत्थर को तुमनेजल में मग्न करा डालीउच्च निकेतन टिके रह गएबस्ती धन

17

नदियाँ गंदी क्यों

24 अगस्त 2022
0
1
0

गंगा यमुना को माँ कहते होजीवन पावन करने कोफेंक आते हो कूड़ा कचरापानी गंदा करने कोनदिया सारी गंदी करकर तुमको लाज नहीं आतीसाफ करो' माँ चिक रहीक्या वो आवाज नहीं आतीउगता सूरज भी बोलेक्या दशा तुम्हारी

18

क्या है वन्देमातरम

24 अगस्त 2022
0
1
0

हिमालय की चोटी में कैलाश वन्देमातरमहिन्द पारावार की लहर वन्देमातरमहै उड़ रहा आकाश में तूफान वंदेमातरमवीरता के रग में रक्त उफ़ान वन्देमातरमसर कटे धड़ लड़ रहे हुंकार वन्देमातरमहै लहू लुहान जो तलवार वन्देमात

19

माँ भारती पुकारती

24 अगस्त 2022
0
1
0

कर बिजलियों सी गर्जनारुद्र देव अर्चना अंधकार पर विजयकर मातृभू की आरतीमाँ भारती पुकारती।१।सूर्य का प्रताप तूधरती और विष्णुपदसप्त जलधाम भीहै हिन्द की विशालतामाँ भारती पुकारती।२।सम्राट है अनंत कामृग

20

खुश रहना माँ

24 अगस्त 2022
0
1
0

खुश रहना माँलाल तेरे इस धरा परजन्म लेके आये हैइश्क़ नहीं माँ इंकलाब केगीत हमने गाये हैसौ सिंह के बलिदानों नेस्वाधीनता का रथ खिंचा हैक्रांतिवीर के रक्त ने माँइस धरा को सींचा हैं।इस धरा की गोद मे माँतलवा

---

किताब पढ़िए

लेख पढ़िए