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चमकौर का युद्ध

23 अगस्त 2022

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चिड़ियों से मैं बाज लड़ावा
गीदड़ों को मैं सिंह बनावा
सवा लाख से एक लड़ाऊं
तबहुँ गोविंद सिंह नाम कबहुं

पर्वत जिसके पाव पखाड़े
अंधकार भय खाता हो
जिसकी चलती कृपाण कृपा करती है
रण भूमि जय जय करती है

छोड़ के आनंद पुर साहिब जो
चमकौर गाँव मे आ बैठे है
कोई और नही वो स्वयं भूपति
भारत माँ के गोविंद बेटे है

मैं दृश्य बनाता प्रलयकारी
कथा सुनाता भयकारी
कथा रक्त वर्षा की है
चंडी रूप सिरसा की है
कथा युद्ध मे काल की
चमकौर के महाकाल की
कथा पुत्र बलिदान की
माँ भारत के सम्मान की

युद्ध भूमि अब सज्जित हो गई
अत्याचार से लज्जित हो गई
बजीर खां के दुष्कर्मो से
भारत भूमि खंडित हो गई

भारत माता की सुन पुकार
चमक उठी पंथी कृपाण

वजीर खां के समक्ष जभी
गुरु गोविंद सिंह सी आते है
बजीर खां के जुड़ते कर
सर अपने आप झुक जाते है

एक तरफ सेना चालीस के
दस दस लाख खड़े हुए
सवा लाख से एक लड़ेगा
सिंह इसी बात पर अड़े हुए

एक तरफ घमंड प्रपंची
कांटो के जाल बिछाता है
समर भूमि अधरों से चूमकर
सिंह मन ही मन मुस्काता है

एक तरफ धरती माता को
जंजीरो ने जकड़ा है
सिंह स्वतन्त्रता पाने हेतु
हाथ हथौड़ा पकड़ा है

बाजीरखं ने हट पकड़ ली
की मेरी शान निराली है
गोविंद निकल तू छिपा कहा पर
मेरी कटक रक्त की प्यासी है

सिख चालीस दो साहिबजादे
और पिता दशमेश रहें
बाहर किले के बाजीरखां के
दस लाख कुत्ते भौक रहे

कूद जाने को रणभूमि में
रणधीरों ने रणनीति का विस्तार किया
पांच पांच की टोली होगी
विजय समर की बोली होगी
सवा लाख से एक लड़ना
काल बनकर तांडव करना
सीने में आग लगा देना
ज्वाला को भड़का देना

पांच पांच की टोली ले
युद्धभूमि में धीर जाते थे
मुग़लो के सर पर तांडव कर
मृत्युं से भेंट कराते थे

पुत्र प्रेम का मोह नही था
पुत्रो को भी रण में भेजा

उठा अजित अपना भाल तू
जा विजयी अखंड मेरे बेटा
रण में तुझको जाना होगा
माता का कर्ज चुकाना है
सर काट देना शत्रु का
या बलिदान स्वयं हो जाना तुम
सीना चौड़ा कर लड़ते जाना
कदमो को नही हटाना तुम

पांच पांच का जत्था जाता
रणभूमि में युद्ध करने को
भय हृदय मुग़लो का खाता
युद्ध भूमि युद्ध करने को

रफ्तार प्रकाश की क्या होगी
जो तीरो की रफ्ताए थी
गोविंद से लोहा लेले कोई
क्या ही उनकी औकात थी

नही पकड़ सकते गोविंद को
गोविंद गरज गरज कर बोला
मुग़ल सल्तनत का सिंघासन
कंपित हो डगमग डोला

गोविंद तो हाथ नही आये
चमकौर समर में विजय मिली

पर फतेह सिंह और जोरावर को
बंधी कर जोर दिखाते है
नन्हे नन्हे बच्चो से ज़बरन
इस्लाम कबूल कराते है

भयदर्शन देकर कह देते
इस्लाम कबूल तो हाँ बोलो
पर वीर कभी न झुक सकते
सागर में बांध कब रुक सकते

चाहे प्राण हमारे लो
धर से मस्तक छिन्न करदो
दीवार में जिंदा चिनवा दो
इस्लाम कबूल हो कभी नहीं

देख शौर्य बच्चो की की सभा
सन्न रही चुप चाप खड़ी
कलियों  को ईंटो से ढककर
गलती कर दी है बहुत बड़ी
झुके नही मस्तक ऊचां
बात एक ही आती है

बकरी भेड़ के झुंड कभी
शेरो से उलझा करते है
लाख लडालो एक लड़ेगा
हटे नहीं हम मरते है
जो बोले सो निहाल
सत श्री अकाल
जो बोले सो निहाल
सत श्री अकाल















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रचनाएँ
स्वराज काव्य
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वक्त है स्वराज का देश भक्ति कविताएँ
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भारत क्रांति

23 अगस्त 2022
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बिखर गए टुकड़ो में हमगिरे मिले इस मिट्टी मेंजब जंजीरे जकड़ी माँ को थी आज़ादी का साधन न था जात पात में बट गए थेकट गए थे धर्म से अपनेभेद भाव जब बड़ा अधिक थासर पर थी अंग्रेजी सत्ता।ये सत्ता बहुत पु

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भारत माता की जय

23 अगस्त 2022
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माँ मेरे कायर मन मेंवीरो सी आग लगा देनामाँ मेरे कायर तन को चिंगारी से सुलगा देनावीरो का में गुणगान करूमाँ सच्चा वीर बना देनामेरी इस कायर बुद्धि मेंमाँ बौद्धिक तेज़ जगा देनाछत्रपति , राणा जैसी&nbs

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गा तू वंदेमातरम

23 अगस्त 2022
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शंख की पुकार येसिंह सी दहाड़ हैहाथ मे कटार लेथामने नहीं कदमतू सुन जरा तू गा वतन गा तू वन्देमातरम।१।बुद्धि का प्रमाण देभक्ति का प्रमाण देप्रमाण दे तू शक्ति का हम नही कीसी से कम सुन

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शान तिरंगा

23 अगस्त 2022
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देश भक्ती है ढोंग दिखावायह सब कहने वालोंनहीं तिरंगा छत पे लगानान dp पर डालोमान लिया है तुम सच्चे होऔर हम सब झुटे हैलगा तिरंगा हम dp पर ढोंग बहुत करते हैफिर भी अपनी सत्य कथा काएक प्रमाण तुम देनाहर

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लहराये जा परचम

23 अगस्त 2022
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क्यों हार के बैठे होतुम अपनी ही कश्ती मेंयह दुब रही है क्याया छिद्र हुआ इसमेसंकटो के बादल सेक्या दिशा भटकती हैभटकते मन से क्या कभी नौका चलती हैसागरों के सागर कोकभी सुखते देखा हैपर्वतों से अम्बर क

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भारत माता की जय जयकार

23 अगस्त 2022
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चाहो तो कैलाश हमारान चाहने पर पत्थर भी छुटेचाहो तो सागर पर काबून चाहने पर मटका भी फूटेचाहो तो अम्बर पर शासनन चाहने पर धरती भी छूटेचाहो तो हमसे भयभीत होकाल के प्राण भी छूटेचाहो तो जीवन की धाराचाहो तो भ

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चमकौर का युद्ध

23 अगस्त 2022
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चिड़ियों से मैं बाज लड़ावा गीदड़ों को मैं सिंह बनावा सवा लाख से एक लड़ाऊं तबहुँ गोविंद सिंह नाम कबहुं पर्वत जिसके पाव पखाड़े अंधकार भय खाता हो जिसकी चलती कृपाण कृपा करती है रण भूमि जय जय करती है छोड़ के आन

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प्रभु वर दो

23 अगस्त 2022
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इन हाथो में तलवार थमा दो लाकर तीर कमान थमा दो और थमा दो चक्र सुदर्शन भगवा विजय निशान थमा दो भारत का संविधान सुना दो पुस्तक वेद पुराण सुना दो हल्दी घाटी मैदान सुना दो पृथ्वी राणा का राग सुना दो सागर भू

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तीर चले और वीर चले

23 अगस्त 2022
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तीर चले और वीर चलेफूलो से सारे शूल टलेजब वीरो की शमशीर चले देख नाग गले शत्रु न छलेजब आग जमे और नीर जलेऔर काल डरे जब रात ढलेगर्जन कर करके धीर चलेमाता पर जान लुटाने को जीवन को धन्य बनाने को&nb

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राग देश

23 अगस्त 2022
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तीर चले और वीर चलेफूलो से सारे शूल टलेजब वीरो की शमशीर चले देख नाग गले शत्रु न छलेजब आग जमे और नीर जलेऔर काल डरे जब रात ढलेगर्जन कर करके धीर चलेमाता पर जान लुटाने को जीवन को धन्य बनाने को&nb

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धर्म शस्त्र

24 अगस्त 2022
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(1)अधर्मी:-ये काले काल का कलयुग हैअधर्मी धर्म शस्त्र से बोलामें अधर्मी पाप मनुजअंधकार का साया हूँमें अधर्मी तेरे धर्म का नाश करने आया हूँमें अधर्मी दुष्ट हूँ दैत्य हूँ हैवान हूँइस जगत के प्र

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गीत सुहाने गाये हिंदी

24 अगस्त 2022
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गीत सुहाने गाये हिंदी जग रोशन कर जाए हिंदी जीवन को महकाये हिंदी तन मन को हर्षाये हिंदी राष्ट्र प्रेम की भाषा हिंदी भारत विजय पताका हिंदी जय हिंदी का नारा हिंदी भारतवासी भाषा हिंदी माँ भारत का उपहार हि

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गुरु

24 अगस्त 2022
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गुरु है ईश्वर गुरु है पूजागुरु ही जीवन न कोई दूजागुरु दिवाकर गुरु है चंदागुरु ही विष्णु शंकर ब्रम्हागुरु है ऊर्जा गुरु है भक्तिगुरु ही मेरे मन की शक्तिगुरु है अर्पण गुरु है तर्पणगुरु ही मेरे सच का दर्

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दौड़ अभी भी जारी है

24 अगस्त 2022
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जो खोना था सब खो चुकेखोकर जीवन हार चुकेअब जीत की तैयारी हैकुछ पाने की बारी हैदौड़ अभी भी जारी हैनंगे पांव हमारे हैकांटे भी लगते जारे हैघाव हुआ गहरा कदमों मेंअब दर्द सहने की बारी हैदौड़ अभी भी जारी हैअंग

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विजय दशमी

24 अगस्त 2022
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पर्व विजय दशमी का आयासत्य की विजय को लायाकहानी वही त्रेता की हैकथा राम राज्य की हैवनवास चौदह वर्ष का थाअवसर न कोई हर्ष का थावन के भीतर वास राम का सुर्फ़नखा का प्रवास वहाँ थामोहित होकर वह राम परसीत

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है मेघ बरसने वाले

24 अगस्त 2022
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है मेघ बरसने वालेअब थोड़ा विश्राम करोरौद्र रूप प्रलेयांकरकारीपुलकित हो आराम करोहै धरा को जल से भरने वालेकैसी प्रलय दिखा डालीकर्ण कर्ण को पत्थर को तुमनेजल में मग्न करा डालीउच्च निकेतन टिके रह गएबस्ती धन

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नदियाँ गंदी क्यों

24 अगस्त 2022
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गंगा यमुना को माँ कहते होजीवन पावन करने कोफेंक आते हो कूड़ा कचरापानी गंदा करने कोनदिया सारी गंदी करकर तुमको लाज नहीं आतीसाफ करो' माँ चिक रहीक्या वो आवाज नहीं आतीउगता सूरज भी बोलेक्या दशा तुम्हारी

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क्या है वन्देमातरम

24 अगस्त 2022
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हिमालय की चोटी में कैलाश वन्देमातरमहिन्द पारावार की लहर वन्देमातरमहै उड़ रहा आकाश में तूफान वंदेमातरमवीरता के रग में रक्त उफ़ान वन्देमातरमसर कटे धड़ लड़ रहे हुंकार वन्देमातरमहै लहू लुहान जो तलवार वन्देमात

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माँ भारती पुकारती

24 अगस्त 2022
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कर बिजलियों सी गर्जनारुद्र देव अर्चना अंधकार पर विजयकर मातृभू की आरतीमाँ भारती पुकारती।१।सूर्य का प्रताप तूधरती और विष्णुपदसप्त जलधाम भीहै हिन्द की विशालतामाँ भारती पुकारती।२।सम्राट है अनंत कामृग

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खुश रहना माँ

24 अगस्त 2022
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खुश रहना माँलाल तेरे इस धरा परजन्म लेके आये हैइश्क़ नहीं माँ इंकलाब केगीत हमने गाये हैसौ सिंह के बलिदानों नेस्वाधीनता का रथ खिंचा हैक्रांतिवीर के रक्त ने माँइस धरा को सींचा हैं।इस धरा की गोद मे माँतलवा

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