माँ मेरे कायर मन में
वीरो सी आग लगा देना
माँ मेरे कायर तन को
चिंगारी से सुलगा देना
वीरो का में गुणगान करू
माँ सच्चा वीर बना देना
मेरी इस कायर बुद्धि में
माँ बौद्धिक तेज़ जगा देना
छत्रपति , राणा जैसी
अब तो, मैं हुँकार भरू
मातृ भूमि रक्षा हेतु
जीवन , मैं बलिदान करूँ
राजगुरु सुखदेव भगत सी
शक्ति मैं धारण कर लूँ
धर्म के खातिर अर्जुन जैसा
गांडीव हाथों में धर लूँ
चाणक्य सा तेज जगा माँ
प्रहलाद सी भक्ति हों
तोड़ सकें हर चक्रव्यूह जो
ऐसी मेरी बुद्धि हों
अखंड भारत विजय करें माँ
चंद्रगुप्त सी शक्ति हों
विक्रम जैसा न्याय करू में
रामा जैसी युक्ति हों
भगवा में धारण कर लूं माँ
त्याग विवेकानंद सा हों
भीमराव सा ज्ञान जगा माँ
वेराग्य संतो जैसा हों
कर्ण जैसा दान करू माँ
तन - मन को इस जीवन को
ज्वलां मैं, सीने मे भरू माँ
करने तेरी रक्षा को।
तेरी रक्षा की खातिर माँ
आहुति प्राणों की दे जाऊँ
जो आँख उठे तेरे आँचल पर
वो पापी प्राण में हर लाऊ
भारत माता की जय
.......... पारस