रुकी
वो इसलिए की प्राण बच जाए,
चली भी वो इसलिए की प्राण बच जाए ।
बनाया खुद को अस्पताल,
क्योंकि जिंदगी का सवाल बच जाए ।
बच्चों को लेकर चली,
की नई पीढ़ी का नौजवान बच जाए ।
चली मज़दूरों को लेकर,
की पसीने का मान बच जाए ।
दौड़ेगी जल्द ही देश की धड़कन,
फिक्र सिर्फ इतनी की अपना हिंदुस्तान बच जाए ।
जय हिन्द,
जय भारतीय रेल ।