भारत देश विविधता का देश है, जहां अनेक जनजातियाँ अपनी समृद्ध और सांस्कृतिक धरोहर से सजी हुई हैं। भारतीय जनजातियाँ अपनी अनूठी संस्कृति, भाषा, और परंपराओं के साथ भारतीय समाज के रंग-रूप को समृद्ध करती हैं। ये जनजातियाँ देश के विविध भूभागों में बसती हैं और अपनी समृद्ध संस्कृति के माध्यम से अपने अंचल को सजाती हैं।
भारतीय जनजातियाँ विभिन्न धर्म, संस्कृति, भाषा और शैली में अपनी विशिष्टता को दिखाती हैं। ये जनजातियाँ अपनी रिच सांस्कृतिक विरासत के माध्यम से देश की अनमोल धरोहर को संजोती हैं और उसे आने वाली पीढ़ियों को सौंपती हैं। अरुणाचल प्रदेश की आदिवासी जनजातियाँ, नागालैंड के आोनग और मेघालय के कासी जनजातियाँ, मिज़ोरम के मिज़ो और मेग़़हाल जनजातियाँ, ओडिशा की धुरुवा और संताल जनजातियाँ, और ज़म्मू-कश्मीर की गुज्ज़र और बक़रवाल जनजातियाँ भारतीय संस्कृति के अद्भुत अंग हैं। ये जनजातियाँ अपने परंपरागत गाने, नृत्य, शैली, और शृंगार के माध्यम से भारतीय संस्कृति को विकसित करती हैं। उनकी कहानियाँ, गीत और कला देश की अमूल्य समृद्धि के रूप में भारतीय समाज को समृद्ध करती हैं।
भारतीय जनजातियों का सभी के साथ एक सान्निध्य रहने का यह माध्यम भारतीय संस्कृति को भिन्नता और विविधता के साथ समृद्ध करता है। इन जनजातियों की संस्कृति भारतीय समाज को साम्राज्य और अद्भुतता के विकास के लिए प्रेरित करती है। ये जनजातियाँ अपने प्राचीन और समृद्ध संस्कृति के धारोहर के साथ एक गर्वभारी भारतीय हैं। उनकी सांस्कृतिक विरासत देश को समृद्धि, विकास, और सम्मान की दिशा में अग्रसर करती है।
इन जनजातियों को समर्थन और सम्मान देने से भारतीय समाज को विश्वस्तरीय समृद्धि की ओर एक पथ प्रदर्शक मिलेगा, जो समृद्ध संस्कृति की शानदार धरोहर के रूप में तमाम लोगों को प्रेरित करेगा। इसलिए, भारतीय जनजातियों के सांस्कृतिक धरोहर को संजोकर उसे सजाने और समृद्ध करने का यह युग्म हम सभी की जिम्मेदारी है।