महाश्वेता देवी एक महान भारतीय साहित्यिक, सामाजिक कार्यकर्ता और मानवाधिकार अग्रणी थीं। उनकी रचनाएँ समाज में जागरूकता और समाजिक बदलाव की दिशा में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती थीं।
महाश्वेता देवी का जन्म १४ जनवरी, १९२६ को हुआ था। उन्होंने अपने लेखनी के माध्यम से आदिवासी समुदाय, बेरोजगार और पिछड़े वर्ग के लोगों की आवाज बुलंद की और उनके अधिकारों की रक्षा की।
महाश्वेता देवी की कहानियाँ आधुनिक भारत के समस्याओं को उजागर करती थीं और उन्होंने विभिन्न समाजिक और राजनीतिक मुद्दों पर अपने लेखों में विचार दिए। उनकी रचनाओं में समाज की ताकद और दुर्बलों के प्रति संवेदना का अभिव्यक्त होता है। उन्होंने 'हजार चरित्रें', 'आरेख', 'ज्योतिसे', 'रुदली', 'हाजार चूहे', 'दरिबा' आदि जैसी कई महत्वपूर्ण कहानियाँ लिखी जो समाज की जरूरतों और असमानता के खिलाफ आवाज उठाती हैं।
महाश्वेता देवी का योगदान मानवाधिकारों की रक्षा में भी अत्यंत महत्वपूर्ण रहा। उन्होंने गरीब, निष्ठाहीन और छेड़छाड़ किए जाने वाले लोगों की कहानियों को साहित्य के माध्यम से साझा किया।
महाश्वेता देवी की रचनाएँ हमें समाज में न्याय, समानता और इंसानीत की महत्वपूर्णता को समझने में मदद करती हैं। उनका योगदान साहित्यिक, सामाजिक और मानवाधिकार क्षेत्र में अद्वितीय है और उन्हें सम्मान से याद किया जाता है।