सरत चंद्र चट्टोपाध्याय, जिन्हें चाँदा या चाँदी भी कहा जाता है, भारतीय साहित्य के एक महान कथाकार और उपन्यासकार थे। उनकी रचनाएँ आज भी पाठकों के दिलों में बसी हुई हैं और उनकी कहानियों में मानवीय भावनाओं की गहराईयाँ छिपी होती हैं।
सरत चंद्र चट्टोपाध्याय का जन्म 15 सितंबर 1876 को हुआ था। उनका बचपन और युवावस्था अत्यंत संघर्षमय रहा है, जिसने उन्हें जीवन की मूलभूत समस्याओं के साथ सामना करने की कला सिखाई। उनके लेखन में आम लोगों की जीवनशैली, संघर्ष, प्यार, और समाज में विभिन्न मुद्दों पर उनकी दृष्टि मिलती है। उनकी कहानियों में बचपन की मस्ती, परिवार के रिश्तों की महत्वपूर्णता, और मानवीय भावनाओं का आदान-प्रदान दिखता है। उनके उपन्यास "परिनीता" में समाज में स्त्री की भूमिका और स्वतंत्रता के मुद्दे को व्यक्त किया गया है। वे उपन्यासों के माध्यम से समाज की समस्याओं पर आलोचनात्मक प्रतिक्रिया देने का काम करते थे।
सरत चंद्र चट्टोपाध्याय की लघुकथाएँ भी उनके उपन्यासों की तरह ही महत्वपूर्ण हैं। "विदाई" और "महान गरीबी" जैसी उनकी लघुकथाएँ आज भी पाठकों के बीच में लोकप्रिय हैं।
सरत चंद्र चट्टोपाध्याय का लेखन आज भी हमें उनके समय के समाज की छवि दिखाता है और हमें उस समय की सामाजिक, आर्थिक, और सांस्कृतिक स्थिति का अनुभव कराता है। उनकी कहानियों के माध्यम से हम उन समस्याओं के साथ संघर्ष को समझ पाते हैं जो उस समय में मौजूद थे।
समापन में, सरत चंद्र चट्टोपाध्याय का लेखन भारतीय साहित्य की अमूल्य धरोहर है, जो हमें हमारे समाज के सामाजिक, मानवीय, और आध्यात्मिक मूल्यों को समझने में मदद करता है। उनकी कहानियाँ हमें सच्चे और अंतर्निहित भावनाओं का अनुभव कराती हैं और हमें जीवन के विभिन्न पहलुओं को समझने में मदद करती हैं।