shabd-logo

भावनाओं को समझने की कला

19 अगस्त 2016

206 बार देखा गया 206

article-image


दूसरों को समझने के लिए उनके जज़्बातों को नाम देना ज़रूरी है।

"मैं तंग आ चुकी हूँ... अब और नहीं, मैंने सोच लिए है, की मैं उससे जल्द ही ब्रेक अप कर लूंगी", ऐसी बातें हमको रोज़ सुनने को मिलती हैं। हमारे दोस्त हमसे अपने दिल की बात करते हैं। ऐसी स्थिति में, हम कैसा जवाब देते हैं? ज़्यादा तर समय हम कहते हैं "तुझे पहले सोचना चाहिए था", या "सही है, छोड़ दे उसे" या फिर"तू देख क्या करेगी" पर हम ये समझने में असफल हो जाते हैं, की हमारे दोस्त हमसे सिर्फ सम्वेदनशीलता की आशा रखते हैं। अगर हम उन्हें समझ पाएं यही उनके लिए काफी है।

तो हमें ऐसी स्थिति में कहना चाहिए, "मैं समझती हूँ, तू बहुत निराश हुयी है, चिंतित भी है", इससे आप उनके जज़्बातों को नाम दे कर उनका वर्णन कर रहे हैं, और तब आपके दोस्त को सच में लगेगा कि आप उन्हें समझते हैं और वे अकेले नहीं हैं।
हम हमेशा यही अपेक्षा करते हैं, कि विस्तार से पढ़ें....

1

सामाजिक गपशप से व्यवसाय वृद्धि कैसे करेंगे?

30 अप्रैल 2016
0
4
0

Word Of Mouth या सामाजिक गपशप व्यवसाय में कोई नई बात नहीं है, लेकिन ये सामाजिक गपशप का मतलब है सिर्फ अपने परिचित लोगों में अनौपचारिक रूप से किसी विषय पर चर्चा करना। जिसे हम गपशप कहते हैं, ये गपशप बड़े ही काम की चीज़ है, इसके माध्यम से हम अकसर काफी ज़रूरी जानकारी  बांटते हैं।मानसिक तौर पर, हम अगर किसी च

2

भावनाओं को समझने की कला

19 अगस्त 2016
0
1
0

दूसरों को समझने के लिए उनके जज़्बातों को नाम देना ज़रूरी है।"मैं तंग आ चुकी हूँ... अब और नहीं, मैंने सोच लिए है, की मैं उससे जल्द ही ब्रेक अप कर लूंगी", ऐसी बातें हमको रोज़ सुनने को मिलती हैं। हमारे दोस्त हमसे अपने दिल की बात करते हैं। ऐसी स्थिति में, हम कैसा जवाब देते हैं? ज़्यादा तर समय हम कहते हैं "त

3

उदास धुनों को सुनना हमें क्यों अच्छा लगता है?

21 अगस्त 2016
0
1
0

क्या आपने कभी महसूस किया है कि उदास धुनों या संगीत को सुनना आपको अच्छा क्यों लगता है?अरे भई, आप अकेले नहीं हैं! अधिकतर लोग हैं, जिन्हे उदास धुनों को सुनना अच्छा लगता है। लेकिन इन धुनों को सुनकर वे दुखी नही होते इतना तो पक्का है।ऐसा क्यों होता है?जब आप दुखी या उदास होते हैं, तो आपको भूख नही लगती और

4

क्या सेक्स के प्रति लोगों का जोश घट रहा है ?

22 अगस्त 2016
1
0
0

हैरानी की बात है, ऐसे युग में, जहां सेक्स के बारे में हर जगह से हमें पूरी जानकारी मिल रही है, ताकि इस विषय पर कोई भी अज्ञात ना रहे, हमारे रोज़ के जीवन में इस स्वाभाविक प्राकृतिक हरकत का घटाव नज़र आ रहा है।सांख्यिकीय रूप से जांच करने पर पता चलता है, की 16-44 वर्षीय लोगों में, महिलाएं महीने में ४.५ बा

5

हम काल्पनिक कहानियां क्यों पढ़ते हैं?

23 अगस्त 2016
1
0
0

हम अपनी सोच और भावनाओं को पंख देने के लिए काल्पनिक कथा और कहानियां पढ़ते हैं। कल्पना की दुनिया अनोखी होती है; उसका वास्तविक घटना और लोगों से मेल होता भी है, और कभी कभी नहीं भी होता। पर काल्पनिक चरित्र और लोग हमें अकसर प्रभावित करते हैं।हम उनके साथ जुड़ते हैं, उनसे मेलजोल करते हैं, और देखते ही देखते

6

इमोशनल ब्लैकमेलिंग से कैसे निपटें?

26 अगस्त 2016
0
5
0

जानू ! क्या तुम नही चाहते, मैं पार्टी में सबसे अलग दिखूं ! मेरी सारी ड्रेसेस ओल्ड फैशन की हो गयीं हैं, तो प्लीज़! मेरे लिए नई ड्रेस ला दो। शीतल ने राहुल से प्यार भरे अंदाज़ में कहा। ऐसा अक्सर होता था, जब भी शीतल को अपनी कोई बात मनवानी होती, तो वह किसी न किसी तरह से अपनी बात मनवा कर ही रहती, राहुल ज

7

सेल्फ़ी क्या है? और युवा इसके पीछे पागल क्यों हैं?

28 अगस्त 2016
1
3
0

आइये मिलते है नेहा से एक २० वर्षीय युवती है जिसे सेल्फ़ी लेने की आदत सी है वह जहां जाती है वहाँ अपनी 4-5 सेल्फ़ी लेती है, और फिर उन्हें अपने दोस्तों और रिश्तेदारो के बीच दिखाती (शेयर करती) है। दोस्तों नेहा सिर्फ एक उदहारण है कि आज के युवाओं में सेल्फ़ी का कितना क्रेज है,हर सेकंड अकेले फेसबुक पर दस

8

बॉलीवुड मूवीज और मनोवैज्ञानिक समस्याएं

31 अगस्त 2016
0
5
1

बॉलीवुड विश्व की सब बड़ी फिल्म इंडस्ट्री है, और ये एक ऐसा स्तर हैं, जो हमारे समाज और उनके लोगों को काफी हद तक प्रभावित कर सकता है। हर शनि और रविवार को मल्टीप्लेक्स की टिकट विक्रय इसका प्रमाण है। हमारी युवा पीढ़ी बॉलीवुड के सितारों से प्रभावित है, यहाँ तक की बुज़ुर्ग और बच्चे भी। बड़ी संख्या में दर्शकों

---

किताब पढ़िए

लेख पढ़िए