आप हमारी इस बात से सहमत होंगे की ब्रह्मा जी सृष्टि या संसार के रचना कार हैं |तो मैं कहता हूँ की आप भी ब्रह्मा की ही तरह हैं |बस अंतर सिर्फ इतना है की की उन्होंने पुरे विश्व को बनाया और आप अपने संसार को बनाते हैं ,ब्रह्मा जी अपनी इच्छा से संसार बसाते हैं आप का संसार तुक्के का होता है |यानि आपके यहाँ जन्म लेने वाली संतान सौभाग्यशाली हो भी सकती है और नहीं भी आपने स्वयं भी अनुभव किया होगा की किसी के यहाँ संतान का जन्म ऐशोआराम ले आया और किसी के यहाँ जो था वो भी चला गया |ऐसी स्थिति को तुक्का नहीं तो और क्या कहेंगे ,आपने कोई योजना तो बनायीं नहीं ,नीति का गठन तो किया नहीं था ,बस मन हुआ सम्भोग किया गर्भ ठहरा और जो हुआ उसे ईश्वर का प्रशाद मान कर ऊपरी मन से खुश हुए और स्वयं को जीवन की चक्की में पीसने को छोड़ दिया और भाग्य को कोसने लगे | @अरे मूरख भगवान ने तेरा विवाह करा के तुझे एक अवसर दिया था की तू अपना भाग्य बदल ले और तूने कुछ देर के सुख में पूरी जिंदगी बर्बाद कर ली | @क्या मन में कभी यह विचार नहीं आया की सब कुछ आपके अनुसार हो मैं जानता हूँ बिल्कुल आया होगा भले ही आपने किसी को न बताया हो ,मैं कहता हूँ यह हो सकता है की सब कुछ आपके अनुसार ही हो ,जब त्रेता ,और द्वापर युग में हो सकता है तो इस युग में भी हो सकता है बस थोड़ा नियम सैयम को मानना और अपने व् अपने बचे के भाग्य के रचनाकार स्वयं बन जाओ | @फिर चाहे वह कन्या हो या बालक ,इससे भ्रूण हत्या की भी जरूरत नहीं होगी क्योंकि आने वाली संतान भाग्यवान ही होगी इसमें कोई संशय नहीं है |आइये एक नवीन संसार की रचना करें जहाँ कोई भाग्यहीन न हो सभी महा भाग्यशाली हो | आपका अपना