यूँ तो समस्त संसार में मर्जी ऊपर वाले की ही चलती है फिर भी विवाह के बाद सभी की मुख्य जिज्ञासा संतान की ही होती है |और यह अभिलाषा पूर्ण भी होती है लेकिन कभी कभी ही ऐसा होता है की संतान के जन्म के साथ ही घर में सभी कुछ शुभ होने लगे अचानक धन की बारिश जैसी होने लगे और लोग कहने लगें की जब से उनके घर नया मेहमान आया है तब से उनकी तो किस्मत ही बदल गयी ,भाग्य ही बदल गया ,वहीँ समाज में कुछ लोग यह भी कहते सुने जाते है की अगले ने मेहनत भी खूब की तब आज उनका भाग्य बदल गया अब उनके यहाँ धन बरसता है |परन्तु हम यह कहेंगे की यदि सिर्फ मेहनत से सब कुछ होता तो सभी मजदूर अमीर और धनवान हो गए होते {ज़रा विचार अवश्य करे,}
अब आप ही बताएं क्या सब कुछ मेहनत से हो सकता है ?
हम कहते हैं नहीं !
मेहनत तब सार्थक होती है जब उसको भाग्य का सहारा मिल जाता है और भाग्य या तो खुद का हो या फिर आपसे संबधित किसी अन्य का वो फिर चाहें आपके बच्चें ही क्यों न हो !यह साधारण नहीं असाधारण बात है लेकिन है पूर्ण रूप से सत्य | हमने अथक तपस्या के द्वारा उस विधि की खोज की है की जिसके द्वारा द्वापर युग ,त्रेता युग में महा भाग्यशाली लोगो ने जनम लिया हम ज्ञान की उसी समृद्ध परंपरा को खोज लाएं हैं जिसके द्वारा आप जैसी संतान चाहें वैसी संतान को जन्म दे और संसार को सोचने पर मजबूर कर दें की कल का साधारण व्यक्ति आज असाधारण कैसे हो गया | इससे एक लाभ और भी होगा की भ्रूण हत्या के पाप से भी संसार बचा रहेगा और भाग्यवान संतान का जन्म तो होगा ही | आपका अपना
पंडित विजय पाठक 'शास्त्री' मोबाइल;-09795766748 child7814@gmail.com